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Nandigram Election Result 2021: ममता अगर नंदीग्राम हारीं तो क्‍या होंगे मायने, सुवेंदु अगर जीते तो क्‍या होगी मुख्‍य वजह

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शुरुआत में पोस्टल बैलटों और कुछ हिंदू बहुल मतदान केंद्रों के वोटों की गिनती हुई है जिसमें सुवेंदु आगे चल रहे हैं। जैसे ही मुस्लिम बहुल क्षेत्रों का ईवीएम खुलेगा तो ममता यहां बढ़त बना सकती है।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 02 May 2021 12:39 PM (IST)Updated: Sun, 02 May 2021 02:00 PM (IST)
Nandigram Election Result 2021:  ममता अगर नंदीग्राम हारीं तो क्‍या होंगे मायने, सुवेंदु अगर जीते तो क्‍या होगी मुख्‍य वजह
ममता अगर नंदीग्राम हारीं तो क्‍या होंगे मायने

कोलकाता, राजीव कुमार झा। बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे चर्चित व हाई प्रोफाइल पूर्व मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम सीट के नतीजे पर इस बार पूरे देश- दुनिया की नजरें टिकी है। नंदीग्राम कभी ममता बनर्जी के आंदोलन के कारण सुर्खियों में आया था। इसी नंदीग्राम के जरिए साल 2011 में ममता बनर्जी ने बंगाल में लगातार 34 साल लंबे वामपंथी शासन का अंत कर दिया था।

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नंदीग्राम आंदोलन ममता बनर्जी की राजनीतिक लड़ाई के लिए संजीवनी का काम किया था। इस बार राज्य की सबसे हाई प्रोफाइल इस सीट पर हार- जीत के परिणाम को लेकर लोग सबसे ज्यादा उत्सुक हैं। राजनीतिक लिहाज से यह केंद्र इसलिए अहम हो गया है क्योंकि यहां से खुद राज्य की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की टक्कर कभी उनके करीबी रहे कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री सुवेंदु अधिकारी से है, जो अब यहां से भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। इस सीट पर सुबह से वोटों की गिनती के बाद से ही ममता व सुवेंदु के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है।

हालांकि शुरुआती रुझानों में यहां से सुवेंदु अधिकारी पिछले ढाई घंटे से लगातार आगे चल रहे हैं। शुरुआत में ममता बनर्जी आगे चल रही थी लेकिन अब वह पीछे चल रही हैं। यहां छह राउंड वोटों की गिनती के बाद सुवेंदु अधिकारी, ममता से 7,262 से अधिक वोटों से इस समय आगे चल रहे हैं। जिस तरह सुवेंदु यहां लगातार आगे चल रहे हैं और उन्होंने 7,000 से अधिक वोटों की बढ़त बना ली है, वैसे में यहां इस बार बड़े उलटफेर की इस बार संभावना दिख रही है।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़ने वाले सुवेंदु अधिकारी की चुनौती के बाद ममता बनर्जी ने इस बार कोलकाता की अपनी परंपरागत भवानीपुर सीट को छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही है। यदि नंदीग्राम से ममता चुनाव हार जाती है तो यह शायद उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी हार होगी। ममता का यहां बहुत कुछ दांव पर है। वैसे यह बहुत ही शुरुआती रुझान है क्योंकि कुल 18 राउंड वोटों की गिनती की जानी है। इससे पहले नंदीग्राम में दो राउंड की गिनती के बाद सुवेंदु अधिकारी 3,400 वोटों से आगे चल रहे थे। इधर, सुवेंदु के आगे चलने के पीछे एक बड़ी वजह यह माना जा रहा है कि अभी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के वोटों की गिनती यहां नहीं हुई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शुरुआत में पोस्टल बैलटों और कुछ हिंदू बहुल मतदान केंद्रों के वोटों की गिनती हुई है, जिसमें सुवेंदु आगे चल रहे हैं। जैसे ही मुस्लिम बहुल क्षेत्रों का ईवीएम खुलेगा तो ममता यहां बढ़त बना सकती है। दरअसल इस बार खासकर नंदीग्राम में हिंदू वोटों का जमकर ध्रुवीकरण हुआ है।

माना जा रहा है कि यहां बड़ी संख्या में हिंदुओं का वोट सुवेंदु के पक्ष में गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक ने यहां सुवेंदु अधिकारी के लिए रैली व रोड शो किया था। सभी ने यहां जय श्रीराम का नारा जमकर बुलंद किया था। साथ ही सुवेंदु ने ममता बनर्जी को बेगम की संज्ञा देने से लेकर पाकिस्तान तक का मुद्दा उछाल कर यहां हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश की।

भाजपा ने यहां ममता बनर्जी को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। हालांकि ममता पूरी तरह आश्वस्त हैं कि नंदीग्राम में उनकी की जीत होगी।बता दें कि नंदीग्राम में दूसरे चरण में एक अप्रैल को मतदान हुआ था और बंपर वोटिंग हुए थे। यहां 88 फीसद से अधिक मतदान हुआ था।

ममता बनर्जी ने भी नंदीग्राम में किया था चंडी पाठ

वैसे ममता बनर्जी ने भी नंदीग्राम में हिंदू वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए चुनावी रैली के दौरान मंच से ही चंडी पाठ किया था। ममता चुनाव प्रचार के दौरान नंदीग्राम में कई मंदिरों में भी गईं थी। ऐसे में इस बार नंदीग्राम में बेहद ही दिलचस्प मुकाबला है और जब तक यहां अंतिम नतीजा नहीं आ जाता कुछ भी कहना मुश्किल है।

ममता का खेल बिगाड़ सकती हैं मिनाक्षी

ममता बनर्जी के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद माकपा ने यहां से युवा नेता मिनाक्षी मुखर्जी को मैदान में उतारा। युवा वोटरों में मिनाक्षी की अच्छी खासी पकड़ है। मिनाक्षी भले यहां मुकाबले में नहीं दिख रही है, लेकिन सुवेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी में से किसी एक का खेल वह जरूर बिगाड़ सकती हैं। खासकर ममता को मिनाक्षी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है क्योंकि थोड़ा बहुत जो भी मुस्लिम वोट वह काटेगी इससे सीधे ममता को नुकसान होगा। दरअसल, परंपरागत तौर पर माकपा का भी एक कैडर वोट है और साल 2007-08 में नंदीग्राम आंदोलन से पहले यह क्षेत्र उसका गढ़ रहा है।

नंदीग्राम में सुवेंदु का है काफी प्रभाव

दरअसल, बहुचर्चित नंदीग्राम आंदोलन में ममता बनर्जी के साथ रहे सुवेंदु इस आंदोलन के पोस्टर बॉय माने जाते हैं। पूर्व मेदिनीपुर जिले से ही आने वाले सुवेंदु का इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है। उन्होंने 2016 में टीएमसी के टिकट पर चुनाव लड़कर यहां से जीत दर्ज की थी। अधिकारी ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

चुनाव से पहले सुवेंदु ने की थी टीएमसी से बगावत

बता दें कि सुवेंदु अधिकारी चुनाव से पहले टीएमसी से नाता तोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे। सुवेंदु के भाजपा में शामिल होने के बाद ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इससे पहले 2011 में टीएमसी की सरकार बनने के बाद ममता ने कोलकाता की भवानीपुर सीट से चुनाव लड़कर विधायक बनीं। ममता बनर्जी का गृहक्षेत्र भी भवानीपुर ही है। हालांकि इस बार ममता भवानीपुर सीट की बजाय नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं।

बंगाल में काफी आगे चल रही है तृणमूल

इधर, बंगाल के चुनावी नतीजे पर नजर डालें तो शुरुआती रुझानों में तृणमूल कांग्रेस काफी आगे चल रही है। रुझानों में बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए तृणमूल कांग्रेस 197 सीटों पर जबकि भाजपा काफी पीछे यानी 92 सीटों पर ही आगे चल रही है। तृणमूल और भाजपा के बीच सीटों का फासला अब काफी बढ़ गया है। 


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