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Bengal Chunav: केंद्रीय चुनाव आयोग से दिल्‍ली में मिले तृणमूल सांसद, आरोप-बंगाल में निष्पक्ष चुनाव वास्तविकता से बहुत दूर

बंगाल में मतदान केंद्रों के 100 मीटर के भीतर राज्य पुलिस के कर्मियों को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं देने के चुनाव आयोग के कथित फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को चुनाव आयोग से मिला।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 09:41 PM (IST)
Bengal Chunav: केंद्रीय चुनाव आयोग से दिल्‍ली में मिले तृणमूल सांसद, आरोप-बंगाल में निष्पक्ष चुनाव वास्तविकता से बहुत दूर
आज आयोग से मिलेगा तृणमूल कांग्रेस का संसदीय प्रतिनिधिमंडल

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में मतदान केंद्रों के 100 मीटर के भीतर राज्य पुलिस के कर्मियों को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं देने के चुनाव आयोग के कथित फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को चुनाव आयोग से मिला। सांसदों ने आरोप लगाया कि बंगाल में निष्पक्ष चुनाव वास्तविकता से बहुत दूर होता जा रहा है।

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पार्टी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय, महुआ मोइत्रा, मोहम्मद नदीमुल हक, प्रतिमा मंडल समेत हाल में तृणमूल में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की अगुवाई में टीएमसी संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और इस कदम को पक्षपातपूर्ण बताया। मुलाकात के बाद सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा- पोलिंग बूथ के 100 मीटर के अंदर केंद्रीय बलों की तैनाती पर फिर से विचार होना चाहिए।

इसके अलावा आयोग को ममता बनर्जी पर हुए हमले के मामले में विस्तृत रिपोर्ट देनी चाहिए, क्योंकि अभी जो रिपोर्ट आई है वो पूरी नहीं है। वहीं, वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि हमने बंगाल की हकीकत के बारे में आयोग को अवगत कराया है। तृणमूल पोलिंग बूथ के आसपास अधिक केंद्रीय फोर्स की तैनाती नहीं चाहती है, इससे लोगों में भय का माहौल बन सकता है।

उन्होंने कहा कि आयोग से अपील की गई है कि वो बंगाल की जनता को समझे। वहां अधिकतर लोग बंगाली बोलते हैं, ऐसे में ऐसी फोर्स को तैनात किया जाए जो लोगों को समझ सके। दरअसल, बंगाल में शातिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव को लेकर विपक्षी दल पहले से अंदेशा व्यक्त कर रहे हैं। यही कारण है कि आयोग ने राज्य में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनात की है। बंगाल में पोलिंग बूथ के पास स्थानीय पुलिस की तैनाती नहीं होगी, बल्कि 100 मीटर से अधिक दूरी पर पुलिस को दूसरी लेयर के तौर पर रखा जाना है।

ज्ञापन में तृणमूल का आरोप

तृणमूल द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, यह अब बिल्कुल स्पष्ट हो रहा है कि बंगाल में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव वास्तविकता से दूर होता जा रहा है। यह भारत के चुनाव आयोग द्वारा राज्य में होने जा रहे चुनाव के संबंध में लिए गए पक्षपातपूर्ण कदम से स्पष्ट है। उसमें कहा गया, पहले उदाहरण के तौर पर, मीडिया में यह बताया गया है कि आयोग ने मतदान केंद्रों के 100 मीटर के भीतर राज्य पुलिस की मौजूदगी की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है और ऐसी जगहों पर केवल केंद्रीय बलों की तैनाती होगी। यदि यह सही है, तो यह निर्णय असामान्य है और जो बंगाल में पुलिस प्रशासन की प्रतिष्ठा पर गंभीर आक्षेप लगाता है। उचित स्तर पर इसकी पुष्टि की जानी चाहिए।

साथ ही कहा कि आयोग का निर्णय केवल बंगाल के लिए है, देश के चार अन्य राज्यों के लिए नहीं हैं, जहां उसके साथ चुनाव होने जा रहे हैं। इसलिए यह उपयुक्त मांग है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्रीय बलों के बीच उचित समन्वय होना चाहिए और राज्य और केंद्रीय पुलिस बल दोनों के संयुक्त समूहों को मतदान केंद्रों के 100 मीटर के दायरे में तैनात किया जाना चाहिए।

आयोग से निष्पक्ष चुनाव की मांग पर भाजपा का तृणमूल पर तंज

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग से निष्पक्ष और ¨हसा मुक्त चुनाव की मांग पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने तृणमूल पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि एक ही उंगली, एक ही बटन। यदि वे इसके माध्यम से जीतते हैं, तो यह लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति की सहजता है। वहीं वह उंगली दूसरी तरफ गिरती है, तो यह सांप्रदायिक सोच या पूर्ण धोखाधड़ी से प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि ईवीएम को खलनायक बनाने की कोशिश साबित करती है कि तृणमूल कांग्रेस हार रही है।

भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि 2016 में सत्ता में आने के बाद तृणमूल ने एक नया विवाद लाने की कोशिश की। वो है ईवीएम फ्रॉड। उन्होंने चुनाव आयोग ने चुनौती दी। उस चुनौती को किसी ने स्वीकार नहीं किया। जिन्होंने कोशिश की, वे असफल रहे। ईवीएम फ्रॉड का सिद्धांत बंगाल के राजनीतिक रूप से जागरूक लोगों को प्रभावित नहीं करेगा। बंगाल के लोगों ने स्वीकार किया कि राज्य पुलिस चुनाव को प्रभावित नहीं करेगी। पुलिस के राजनीतिकरण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हमें राज्य पुलिस पर कोई भरोसा नहीं है।


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