Bengal Chunav 2021: दीदी का गोत्र- बंगाल में हिंदुत्व के साथ-साथ राष्ट्रवाद से भी वोटरों को साधने की कोशिश
Bengal Chunav 2021अब बंगाल के विधानसभा चुनाव में तुष्टीकरण का आरोप झेल रहीं मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी(दीदी) को नंदीग्राम में खुद को हिंदू ब्राह्मण बताने से लेकर मंदिर-मंदिर गईं और बड़ा हिंदू बताते हुए चुनावी मंच से चंडी पाठ तक कर दीं।
कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। चुनाव जीतने के लिए नेता कुछ भी करने और कहने को सहज ही तैयार हो जाते हैं। हमारे देश में मंदिर, होली, दिवाली, मस्जिद, दरगाह, इफ्तार, ईद के मौके को सियासतदान वोट बैंक को साधने के लिए इस्तेमाल करते रहते हैं। परंतु, हमारे देश में कई ऐसे नेता हैं जो सामान्य दिनों में मंदिर से दूर रहते हैं, लेकिन इफ्तार में जरूर जाते हैं। परंतु, जैसे ही चुनाव नजदीक आए तो वे मंदिर-मंदिर दौड़ने लगते हैं। कुछ वर्ष पहले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंदिर-मंदिर जा रहे थे और खुद को जेनऊधारी से लेकर शिव भक्त और पंडित बता रहे थे।
अब बंगाल के विधानसभा चुनाव में तुष्टीकरण का आरोप झेल रहीं मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी(दीदी) को नंदीग्राम में खुद को हिंदू, ब्राह्मण बताने से लेकर मंदिर-मंदिर गईं और बड़ा हिंदू बताते हुए चुनावी मंच से चंडी पाठ तक कर दीं। यही नहीं चुनाव प्रचार के अंतिम दिन नंदीग्राम में एक जनसभा को संबोधित करते दीदी ने अपना गोत्र तक बता दिया। यह पहली बार है जब ममता को चुनाव के दौरान मंदिरों का दौरा और अपना गोत्र बताना पड़ रहा है।
ममता ने चुनावी सभा में कहा कि मैं मंदिर गई थी पुरोहित ने पूछा कि मेरा गोत्र क्या है? मुझे याद आया कि त्रिपुरेश्वरी मंदिर में मैंने अपना गोत्र मां, माटी, मानुष बताया था, लेकिन आज जब मुझसे पूछा गया तो मैंने कहा कि पर्सनल गोत्र शांडिल्य है। आखिर ममता को गोत्र बताने की नौबत क्यों आ गई? दरअसल, यहां वोट का सवाल है। कैसे भी चुनाव में वोट मिल जाए इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
ममता ने सिर्फ अपना गोत्र ही नहीं बताया बल्कि भारत माता की संतान होने की भी बात कही। चुनाव सभा के आखिरी में राष्ट्रगान गाया गया और चोट के बावजूद व्हीलचेयर से उठकर ममता करीब 19 दिन बाद सार्वजनिक मंच पर खड़ी भी हुईं। दीदी हिंदुत्व के साथ-साथ राष्ट्रवाद से भी वोटरों को साधने की कोशिश कर रही हैं।