राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले नेताओं की बयानबाजी बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष के बाद अब यहां भाजपा की वरिष्ठ नेत्री व पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष के विवादित बयान सामने आए हैं।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा चुनाव से पहले जनसंपर्क बढ़ाने के लिए चलाए जा रहे दीदीर सुरक्षा कवच अभियान को लेकर निशाना साधते हुए घोष ने दीदी (ममता बनर्जी) के दूतों को लाठी-डंडे और झाड़ू से पीटने और जूते खोलकर मारने की बात कही हैं। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता घोष इस दिन हावड़ा के सांकराइल में पार्टी द्वारा बीडीओ कार्यालय के सामने विरोध सभा में बोल रही थीं।
राज्य में विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में कथित भ्रष्टाचार को लेकर राज्य सरकार व तृणमूल को घेरते हुए उन्होंने कहा, दीदी के दूत बंगाल के भूत हैं। जब वे गांव में घुसे तो उन्हें लाठी-डंडों और झाड़ू से पीटें। जूते हैं तो उतार कर मारें। घोष ने आरोप लगाया कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त है। उनके शब्दों में, तृणमूल नेताओं ने रेत, कोयला और यहां तक कि गरीब लोगों की नौकरियां लूटकर करोड़ों रुपये कमाए हैं और जिन्हें नौकरी मिलनी चाहिए वो सड़कों पर धरना दे रहे हैं।
तृणमूल ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया
इधर, घोष की टिप्पणी की आलोचना करते हुए तृणमूल ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। हावड़ा सदर के तृणमूल जिलाध्यक्ष व विधायक कल्याण घोष ने कहा कि यह भाजपा की संस्कृति है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम जहां भी जाते हैं, हमें फूल और मालाएं मिलती हैं। भाजपा के माथे पर जूते मारे जाते हैं। भाजपा झूठ बोलकर पाखंड कर रही है। लोगों को सब समझ में आ रहा है। ममता बनर्जी सरकार के विकास से आम लोग खुश हैं। इसलिए बौखलाहट में भाजपा के लोग अनाप- शनाप बोल रहे हैं।

बता दें कि इससे पहले मेदिनीपुर से सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने पिछले दिनों भ्रष्टाचार को लेकर तृणमूल को घेरते हुए लोगों से कहा था कि जिन्होंने आपको लूटा है उन्हें पेड़ से बांध दें। इसके बाद हुगली से भाजपा सांसद लाकेट चटर्जी ने भी तृणमूल के इस नए अभियान की आलोचना की थीं और उन्होंने दीदी के दूतों को घर में पकड़कर रखने की बात कही थीं।
बता दें कि दीदीर सुरक्षा कवच कार्यक्रम के तहत तृणमूल कांग्रेस के जनप्रतिनिधि व नेता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दूत बनकर गांव-गांव जा रहे हैं और उनकी समस्याएं सुन रहे हैं। हालांकि, कई जगहों पर उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।