Bengal Assembly Elections 2021: विस चुनाव में नेताजी से जुड़े 'बंगाली सेंटीमेंट' को भुनाने की जुगत में भाजपा व तृणमूल
केंद्र की मोदी और बंगाल की ममता सरकार ने नेताजी की 125वीं जयंती के पालन के लिए अपने-अपने स्तर पर कमेटी का किया है गठन। बंगाल की जनता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस से गहरा जुड़ाव है। वे शिक्षक सैनिक और शीर्ष स्तर के नेता थे।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। ईश्वरचंद्र विद्यासागर, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बाद अब भाजपा व तृणमूल आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े 'बंगाली सेंटीमेंट' को भुनाने की जुगत में है। अगले साल नेताजी की 125वीं जयंती का पालन करने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया तो केंद्र की मोदी सरकार ने भी इस बाबत कमेटी बना दी है।
राज्य कमेटी की चेयरपर्सन खुद ममता हैं तो केंद्रीय कमेटी का अध्यक्ष केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बनाया गया है। राज्य कमेटी में बंगाल के दो नोबेल पदक जयी अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन और अभिजीत विनायक बंद्योपाध्याय को शामिल किया गया है, वहीं केंद्रीय कमेटी में जाने-माने लेखक, इतिहासकार, बोस परिवार के सदस्य और आजाद हिंद फौज से जुड़े लोगों को रखा गया है। दोनों कमेटियां अपने-अपने स्तर पर नेताजी जयंती के उपलक्ष में कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।
गौरतलब है कि बंगाल की जनता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस से गहरा जुड़ाव है। पीएम मोदी ने कमेटी की घोषणा करते हुए ट्वीट किया-'नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साहस से सभी परिचित हैं। वे शिक्षक, सैनिक और शीर्ष स्तर के नेता थे। नेताजी की 125वीं जयंती का पालन करने के लिए हम उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने जा रहे हैं। इस विशेष अनुष्ठान को हमें सफल करना होगा।'
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी के मसले पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने केंद्र की सत्ता में आने पर नेताजी के रहस्यमय तरीके से गायब होने से संबंधित सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक उसे पूरा नहीं किया है। ममता नेताजी जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश की मांग को लेकर कई बार पीएम मोदी को पत्र भी लिख चुकी हैं।
नेताजी सिर्फ बंगाल के नहीं , पूरे देश के हैं : चंद्र कुमार बोस
नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने कहा-नेताजी को सिर्फ 'बंगाली सेंटीमेंट' से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि वे सिर्फ बंगाल के नहीं , पूरे देश के हैं। वे राष्ट्रीय नेता थे। उन्हें तो 'हीरो ऑफ द एशिया' तक की उपाधि से नवाजा गया था। नेताजी बंगाली थे लेकिन उनका जन्म ओड़िशा के कटक शहर में हुआ था, फिर तो ओड़िशा के लोग भी उनपर दावा कर सकते हैं।
इसी तरह नेताजी की आजाद हिंद फौज में दक्षिण भारत के बहुत से लोग शामिल थे। जहां तक नेताजी जयंती के पालन के लिए कमेटियों के गठन की बात है तो यह एक अच्छी पहल है। हालांकि मैं यही कहना चाहूंगा कि नेताजी जयंती पर होने वाले कार्यक्रम सिर्फ उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण व भाषण तक सीमित नहीं रहने चाहिए बल्कि 1857 से लेकर 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और स्वतंत्रता प्राप्ति में आजाद हिंद फौज की भूमिका को सही तरीके से बताया जाना चाहिए। नेताजी जयंती को देशप्रेम दिवस के तौर पर मनाया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें देशभक्तों में देशभक्त कहा जाता है।