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Bengal Assembly Election 2021: रेलवे, सड़क, जल मार्ग.. शुरू से ही तीनों क्षेत्रों में समृद्ध रहा है कांथी

Bengal Assembly Election 2021 डच और अंग्रेजों के जमाने में किए गए दस्तावेजीकरण में इस जगह का नाम कोंटाई है। हालांकि स्थानीय लोग इसे कांथी कहते हैं। भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु का दबदबा वाला इलाका होने की वजह से कांथी राजनीतिक रूप से जितनी चर्चा में आया है

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 01:26 PM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 01:27 PM (IST)
उससे कहीं ज्यादा इसका ऐतिहासिक और व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व है:

नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। Bengal Assembly Election 2021 बंगाल और ओडिशा की सीमावर्ती इलाका में दीघा, मंदारमोनी और शंकरपुर जैसे समुद्र तट को अपने भीतर सहेजे हुए है कोंटाई। यह पूर्वी मेदनीपुर इलाके का एक ब्लॉक है। भूविज्ञानियों के अनुसार यह स्वाभाविक रूप से ही अस्तित्व में आया है। तीसरी शताब्दी ईस्वी कोई भीषण बाढ़ आई, जिसके बाद यहां रेत की एक दीवार -सी बन गई। अंग्रेजी में इसे सैंड बाउंड रीफ्स कहते हैं। इससे ही इसका नाम कोंटाई पड़ा। पांचवीं शताब्दी में लिखे गए यात्र वत्तांतों में इस इलाके का जिक्र तो मिलता है लेकिन कोंटाई नाम का उल्लेख कहीं नहीं है। फा-हिएन या उसके बाद अन्य लोगों द्वारा लिखे गए वृतांतों में इस जगह का नाम पेटुआ बताया गया है। इसी नाम से यहां बंदरगाह था। किसी भी स्थान पर बंदरगाह होना व्यापार या कारोबार का संकेत देते हैं। कोंटाई भी इसका पर्याय रहा होगा।

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जिला प्रशासन के गजेटियर में उल्लेखित संदर्भो के अनुसार यह बंदरगाह रसूलपुर नदी के मुहाने पर हुआ करता था। कालांतर में यह बंदरगाह बंद हो गया और मूल स्थान से हटकर दूसरी जगह (संभवत: हल्दिया) चला गया। हालांकि इलाके के नामकरण को लेकर स्थानीय लोगों की अपनी परिभाषा व व्याख्या है। रसूलपुर मुहाने से लेकर पीपलीपट्टन तक रेत की दीवार है। समुद्र से यह एक लंबी दीवार की तरह दिखता है इसलिए इसे कांथी कहा जाने लगा। वहीं कुछ लोग यह बताते है यहां रेत के टीले पर संन्यासी, फकीर या डॉक्टर रहते थे, जो बीमारों का इलाज करते थे। उनसे हिंदी में पूछते थे, कहां से हो? संभवत: वहीं शब्द आगे चलकर अपभ्रंश के रूप में कांथी हो गया।

खास है गांधी मेला

कोंटाई का गांधी मेला बहुत लोकप्रिय है। यह एक प्रकार का मेला है। यह हर साल जनवरी-फरवरी माह के दौरान 10-15 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। गांधी मेला में न केवल मनोरंजन के लिए बल्कि कृषि और औद्योगिक प्रदर्शनियां भी होती है। यहां का वार्षिक पुस्तक मेला भी बंगाल में ख्यात है।

लोकेशन की वजह से फिल्म उद्योग पनप रहा है

आसपास खूबसूरत लोकेशन होने की वजह से यह टॉलीवुड फिल्म उद्योग की पसंदीदा जगह बनती जा रही है। सड़क और रेल मार्ग से बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से भी यह धीरे-धीरे विकसित हो रहा है।

अंग्रेजों के समय बड़ा सब डिवीजन था कोंटाई

कोंटाई मूल रूप से हिजली साम्राज्य का एक हिस्सा था। इलाके का महत्व इससे समझा जा सकता है कि वर्ष 1852 में ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ ब्रिटिश इंडिया ने कोंटाई को छह पुलिस स्टेशनों का सब डिवीजन घोषित किया था। यह बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा सब-स्टेशन था।

रोचक जानकारी: बंकिम चंद्र रहे थे यहां डिप्टी मजिस्ट्रेट

ख्यात उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय कोंटाई के डिप्टी मजिस्ट्रेट रहे। हालांकि यह अवधि बहुत छोटी रही। वर्ष 1960 में जनवरी से नवंबर तक, यानी लगभग 11 महीने रहे।

काजू और झींगा मछली की खेती

प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार समुद्र तटों की वजह से कोंटाई बेहतर पर्यटन स्थल है। वहीं कृषि के लिहाज से भी यह प्रमुख इलाका है। यहां धान के अवाला काजू की फसल होती है। कोंटाई के पास माजना में काजू का बड़ा प्रसंस्करण उद्योग स्थापित है। झींगा मछली की खेती और सूखी मछली का बड़ा कारोबार है।

एशिया का सबसे बड़ा मत्सयिकी बंदरगाह पेटुआघाट

कोंटाई के पास स्थित पेटुआघाट बंदरगाह एशिया का सबसे बड़ा मत्सयिकी बंदरगाह और फिश लैंडिंग सेंटर है। वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री ने देश के पांच मत्सयिकी बंदरगाह और फिश लैंडिंग सेंटर कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और पेटुआघाट को बड़ी राशि आवंटित की है।


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