West Bengal Assembly Election 2021: बंगाल रणनीति- बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के तीर्थस्थल का दौरा करेंगे पीएम मोदी
West Bengal Assembly Election 2021 बंगाल 70 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाले मतुआ समुदाय के वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए भाजपा का एक और मास्टर स्ट्रोक। पीएम मतुआ समुदाय के धर्मगुरु हरिचांद ठाकुर की जन्मस्थली तथा मतुआ समुदाय के तीर्थस्थल का करेंगे दौरा
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले तथा 70 से अधिक सीटों पर प्रभाव रखने वाले मतुआ समुदाय के वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए भाजपा ने एक और मास्टर स्ट्रोक खेला है। 27 मार्च को बंगाल में मतदान शुरू हो रहा है। इसके पहले 26 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के सफर को होंगे तथा वह अगले दिन 27 मार्च को गोपालगंज के तुंगीपाड़ा में बांग्लादेश के संस्थापक तथा पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के पैतृक घर का दौरा करने वाले हैं। लगे हाथ वह मतुआ समुदाय के धर्मगुरु हरिचांद ठाकुर की जन्मस्थली तथा मतुआ समुदाय के तीर्थ स्थल गोपालगंज के उड़ाकांदी का दौरा करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि पीएम के साथ बंगाल में मतुआ समुदाय से आने वाले बनगांव के भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर भी रह सकते हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मानना है कि अगर प्रधानमंत्री वहां जाते हैं और हरिचांद-गुरुचांद ठाकुर को श्रद्धांजलि देते हैं तो भाजपा के लिए बंगाल में मतुआ वोट जीतना आसान होगा। क्योंकि भारत का कोई अन्य प्रधानमंत्री वहां नहीं गया है। मतुआ महासंघ के केंद्रीय नेता सुशील मल्लिक का कहना है कि अगर पीएम मोदी ऐसा करते हैं तो वह दुनिया भर में फैले पांच करोड़ से अधिक मतुआ के दिलों में जगह बना लेंगे। क्योंकि वह देश के पहले पीएम होंगे जो मतुआ समुदाय के तीर्थ स्थल का दौरा करेंगे। उसके बाद अगर प्रधानमंत्री मतुआ समुदाय को बिना शर्त नागरिकता देने की घोषणा करते हैं जो शरणार्थी के रूप में भारत गए, तो वह इस समुदाय के लोगों का दिल जीत लेंगे।
मतुआ समुदाय के धर्मगुरु हरिचांद ठाकुर की जन्मस्थली है उड़ाकांदी
मतुआ समुदाय के धर्मगुरु हरिचांद ठाकुर का जन्म 11 मार्च 1812 को उड़ाकांदी में हुआ था। उनकी वाणी तथा उनके उपदेशों को उनके बेटे गुरुचांद ठाकुर ने पूरे बंगाल में फैलाया था। गुरुचांद ठाकुर का जन्म भी उड़ाकांदी में हुआ था। इस सुदूर गांव में एक मंदिर है, जिसे मतुआ समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान माना जाता है। बांग्लादेश प्रशासन के सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने ढाका से तुंगीपाड़ा के साथ उड़ाकांदी मतुआ मंदिर, बरिशाल के शिकारपुर में सती पीठ के रूप में जानी जाने वाली सुगंध शक्ति पीठ, कुस्ठिया के सिलाईदह में रवींद्रनाथ ठाकुर की की कुठीबाड़ी और बाघाजतिन के बसतबाड़ी देखने की इच्छा जाहिर की है।
उड़ाकांदी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, पीएम के दौरे में हो सकती है बाधा
बाकी जगह कोई समस्या नहीं है, लेकिन उड़ाकांदी से समस्या जुड़ी हुई है। क्योंकि, बांग्लादेश प्रशासन के अनुसार, मोदी की तरह वीवीआइपी की यात्रा के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। काफिला भीड़भाड़ वाली सड़कों में प्रवेश नहीं कर पाएगा और पास में हेलीपैड बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। हालांकि, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि भारत आग्रह कर रहा है कि पीएम के दौरे से उड़ाकांदी के कार्यक्रम को बाहर न किया जाए। लेकिन वे चिंतित हैं। क्योंकि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान जब भारत की उच्चायुक्त वीणा सीकरी उड़ाकांदी आई थीं तो भीड़ के कारण कई लोग कुचल गए थे। गत शुक्रवार को बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग के नौ सदस्यों के एक दल ने सुगंध शक्ति पीठ और साथ ही उड़ाकांदी का दौरा किया। स्थानीय प्रशासन ने मांग की है कि मोदी की यात्रा की व्यवस्था की जाए।