Move to Jagran APP

बांग्लादेश में हिंसा को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं बंगाल में राजनीतिक दल, उपचुनाव से पहले सीएए लागू करने पर छिड़ी बहस

बांग्लादेश की घटनाएं बंगाल में भगवा खेमे को कोई राजनीतिक लाभ देगी और राज्य में राजनीतिक विमर्श को आकार देंगी।बांग्लादेश में साम्प्रदायिक हिंसा ने बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने की आवश्यकता पर भी बहस फिर से शुरू कर दी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 04:48 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 10:54 PM (IST)
30 अक्टूबर को बंगाल में होने वाले उपचुनाव से पहले इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ साम्प्रदायिक हिंसा की हाल की घटनाओं को बंगाल में राजनीतिक विमर्श में जगह मिलना शुरू हो गया है और विपक्षी भाजपा तथा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) दोनों ही राज्य में 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव से पहले इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही हैं। बहरहाल, राजनीतिक विश्लेषकों की राय इस पर विभाजित है कि क्या बांग्लादेश की घटनाएं बंगाल में भगवा खेमे को कोई राजनीतिक लाभ देगी और राज्य में राजनीतिक विमर्श को आकार देंगी।बांग्लादेश में साम्प्रदायिक हिंसा ने बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने की आवश्यकता पर भी बहस फिर से शुरू कर दी है।

loksabha election banner

बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में पिछले सप्ताह ढाका से करीब 100 किलोमीटर दूर कोमिला में दुर्गा पूजा पंडाल में कथित ईशनिंदा की घटना को लेकर हिंसा भड़क उठी जिसके बाद कई प्रभावित इलाकों में अर्द्धसैन्य बल तैनात करने पड़े। मीडिया में आई कई खबरों में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की जानकारी दी गई।बांग्लादेश में हिंसा का बंगाल में भाजपा नेता चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए अपने चुनाव प्रचार अभियान में इस्तेमाल करने की कोशिश भी कर रहे हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, जाहिर तौर पर बांग्लादेश में जिस तरह की हिंसा हुई और हिंदुओं पर हमला किया गया, उसका सीमा के इस पार भी असर पड़ेगा। यही वजह है कि केंद्र में हमारी सरकार ने सीएए पारित किया था। लेकिन टीएमसी जैसे दलों ने वोट बैंक की राजनीति के लिए इसका विरोध किया था। अब ये दल मौन हो गए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बांग्लादेश से ‘जोय बांग्ला’ नारा ले सकती हैं लेकिन ऐसी घटनाओं के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल सकतीं। उनका समर्थन करते हुए बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि पड़ोसी देश में घटनाओं का पूर्वी राज्य पर निश्चित तौर पर असर पड़ेगा। भाजपा नेता ने कहा, जब भी हिंदुओं पर हमला किया जाएगा हम इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाएंगे और न्याय के लिए लड़ेंगे। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले का बंगाल पर असर पड़ेगा। यहां लोग अच्छी तरह समझेंगे कि हम सीएए के लिए क्यों लड़े और क्यों टीएमसी ने इसका विरोध किया।

प्रचार अभियान में हिंदुओं पर हुए अत्याचार का किया जा रहा जिक्र

चार विधानसभा सीटों दिनहाटा, शांतिपुर, गोसाबा और खड़दह में से भाजपा ने बांग्लादेश की सीमा के साथ लगते जिलों कूचबिहार और नदिया में क्रमश: दिनहाटा और शांतिपुर में प्रचार अभियान में पड़ोसी देश में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों का जिक्र करना शुरू कर दिया है।इन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है जिनकी जड़ें बांग्लादेश से जुड़ी हुई हैं और उन्हें 1947 में या 1971 के मुक्ति संग्राम में देश छोड़ना पड़ा था।भाजपा ने अप्रैल-मई में हुए विधानसभा चुनावों में इन दोनों सीमावर्ती सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन विधायकों के इस्तीफा देने के कारण ये सीटें खाली हो गईं।

हमले के खिलाफ प्रदर्शन रैलियों की संख्या अभूतपूर्व

इधर, भाजपा नेता तथागत राय ने दावा किया, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला कोई नई बात नहीं है। लेकिन शायद इस बार इसने सभी हदें पार कर दी हैं। नई बात पिछले एक हफ्ते में बंगाल में आयोजित की गई प्रदर्शन रैलियों की अभूतपूर्व संख्या है। हो सकता है कि इसका राज्य के राजनीतिक या चुनावी विमर्श पर कोई असर पड़े या न पड़े लेकिन निश्चित तौर पर बंगाल इस मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया गया है।

दक्षिणपंथी समूहों ने ट्वीटर पर ‘सेव बांग्लादेशी हिंदुज’ और ‘सेव बंगाली हिंदुज’ जैसे हैशटैग के साथ एक व्यापक आनलाइन अभियान शुरू कर दिया है।

टीएमसी ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को तुरंत रोकने की मांग की

उधर, टीएमसी ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को तुरंत रोकने की मांग की है लेकिन उसने इन घटनाओं का इस्तेमाल जनता का ध्रुवीकरण करने की भाजपा की कोशिश को ज्यादा अहमियत देने से इन्कार कर दिया है।टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा, हम चाहते हैं कि बांग्लादेश में सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करें। लेकिन भाजपा को शवों पर राजनीति करना बंद करना चाहिए। बंगाल में लोगों के ध्रुवीकरण की भगवा पार्टी की कोशिश का कोई नतीजा नहीं निकलेगा क्योंकि उनके शीर्ष नेतृत्व ने खुद इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चुप्पी पर सवाल उठाए।

बांग्लादेश में हिंसा के असर पर राजनीतिक विश्लेषक बंटे

बहरहाल, राजनीतिक विश्लेषक बंगाल की राजनीति पर बांग्लादेश में साम्प्रदायिक हिंसा के असर पर विभाजित हैं।राजनीतिक मामलों के जानकार सब्यसाची बासु रे चौधरी का मानना है कि बांग्लादेश, भारत या पाकिस्तान में साम्प्रदायिक हिंसा का क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ता है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य के विचार अलग हैं और उनका कहना है कि इसका बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य पर असर नहीं पड़ेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.