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विद्यापति के बाद आधुनिक काल के सबसे लोकप्रिय गीतकार थे रवींद्र नाथ ठाकुर : अशोक झा

मैथिली के लोकप्रिय गीतकार रवींद्र नाथ ठाकुर को कोलकाता में दी गई श्रद्धांजलि निधन को बताया मिथिला- मैथिली के लिए अपूरणीय क्षति। बहुमखी प्रतिभा का धनी व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि वह महाकवि विद्यापति के बाद मिथिला के आधुनिक काल के सबसे लोकप्रिय गीतकार थे।

By Priti JhaEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 10:08 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 10:50 AM (IST)
विद्यापति के बाद आधुनिक काल के सबसे लोकप्रिय गीतकार थे रवींद्र नाथ ठाकुर : अशोक झा
मैथिली के लोकप्रिय गीतकार रवींद्र नाथ ठाकुर

जागरण संवाददाता, कोलकाता। मैथिली कला, साहित्य एवं सिनेमा जगत के अप्रतिम व्यक्तित्व एवं लोकप्रिय गीतकार व साहित्यकार रवींद्र नाथ ठाकुर के निधन पर उनके सम्मान में मिथिला विकास परिषद एवं मिथिला महिला मंच की ओर से रविवार को कोलकाता में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। परिषद के अध्यक्ष एवं साहित्यि अकादमी नई दिल्ली के मैथिली परामर्शदातृ समिति के पूर्व सदस्य अशोक झा की अध्यक्षता में महानगर के यमुना भवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में ठाकुर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित कला प्रेमियों समेत मिथिला के सभी वर्गों के लोगों ने रवींद्र नाथ ठाकुर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया।

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पिछले दो वर्षों से कैंसर से जूझ रहे

मैथिली के लोकप्रिय गीतकार और कवि ठाकुर का 18 मई को दिल्ली के एक अस्पताल में 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। इस मौके पर परिषद के अध्यक्ष अशोक झा ने ठाकुर के निधन को मिथिला और मैथिली के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नहीं जा सकती। झा ने उन्हें बहुमखी प्रतिभा का धनी (मल्टी टैलेंटेड) व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि वह महाकवि विद्यापति के बाद मिथिला के आधुनिक काल के सबसे लोकप्रिय गीतकार थे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय ठाकुर के नाटककार, उपन्यासकार, गीतकार, सिनेमा, वृतचित्र निर्माता व संगठनकर्ता के रूप में उनकी भागीदारी व योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने ठाकुर की कलायजी रचना- बउआ भरि नगरी मे शोर, तोहर मामी छौ बड़ गोर, मामा चान सन.... का जिक्र करते हुए कहा कि यह गीत आज भी मिथिला क्षेत्र में संपूर्ण निजता के संग जीवित है और हर गांव-गांव में यह गुनगुनाते हुए मिल जाते हैं।

वहीं, मिथिला महिला मंच की अध्यक्ष शैल झा ने स्वर्गीय ठाकुर को मैथिली गीत का अप्रतिम हस्ताक्षर बताया। कार्यक्रम का संचालन अरुण झा, नबोनाथ झा तथा अमर नाथ झा भारती ने किया। कार्यक्रम के दौरान रवींद्र नाथ ठाकुर के द्वारा लिखे गये गीतों को गोपी कांत झा मुन्ना, विजय इस्सर, गुडिय़ा झा, किरण इस्सर, आदित्य नाथ ठाकुर व नाल वादक विकास झा ने प्रस्तुत कर उन्हें याद किया, जिसकी सभी ने सराहना की।

इस मौके पर बिनय कुमार प्रतिहस्त, नारायण ठाकुर, शिक्षाविद डा. माया शंकर झा, अंजय चौधरी, कमल किशोर झा, विनय भूषण, भवनाथ झा, अशोक ठाकुर, रमेश झा, ममता झा, महारानी झा, संजय ठाकुर, सुधा झा, शंभु नाथ मिश्र, लाल मंडल, राजेंद्र मंडल, इजराउल हक खान, संजु वर्मन, राजेश सिंह, परमानंद झा रंजीत मिश्र, मोहन चौधरी, अशोक झा (2) विकास साव, विजय मिश्रा, गोपाल गौड़, पोसनजीत सिंह, अरुण झा, शक्ति सिंह, रंजीत साह, पवन ठाकुर आदि उपस्थित थे, जिन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की।

लता मंगेशकर ने भी गाया था ठाकुर का गीत

बता दें कि पिछले दो वर्षों से कैंसर से जूझ रहे ठाकुर का नोएडा के सेक्टर-34 स्थित मानस अस्पताल में इलाज चल रहा था और 18 मई को उनका निधन हो गया। बिहार के पूर्णिया निवासी मैथिली गीतकार ठाकुर नोएडा में पिछले तीन वर्षों से अपने बड़े पुत्र अवनींद्र ठाकुर के साथ रह रहे थे। ठाकुर ने मैथिली की पहली फिल्म ममता गाबय गीत के लिए गीत लिखा था। इस गीत को लोकप्रिय गायिका लता मंगेशकर ने गाया था। भरि नगरी में शोर, बौआ मामी तोहर गोर, मामा चान सन जैसी कलायजी रचना के रचनाकार के निधन से मैथिली समाज में शोक है। 20वीं सदी के आठवें दशक में मैथिली गीतकार रवींद्र- महेंद्र की जोड़ी काफी प्रसिद्ध थी। जनता इस जोड़ी को काफी पसंद करती थी। 


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