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निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और निर्बाध नगर निकाय चुनाव कराने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार

West Bengal Municipal Elections 2021 दायर याचिका में कहा गया है कि कोलकाता नगर निगम चुनाव के भाजपा उम्मीदवारों को धमकियां दी जा रही हैं और उन पर उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव भी बनाया जा रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 02:37 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 02:37 PM (IST)
निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और निर्बाध नगर निकाय चुनाव कराने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार
राज्य प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील दी जाती है?

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और निर्बाध नगर निकाय चुनाव संपन्न कराने की मांग को लेकर भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। कोलकाता नगर निगम चुनाव में पर्याप्त केंद्रीय बलों की तैनाती और राज्य चुनाव आयोग को एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश देने की मांग को लेकर भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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बंगाल में यह पहला मौका नहीं है जब विपक्षी दल की ओर से शांतिपूर्ण, निर्बाध और निष्पक्ष चुनाव के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। भाजपा की ओर से राज्य चुनाव आयोग से लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ तक से अनुरोध किया गया कि केंद्रीय बलों की तैनाती में नगर निकाय चुनाव कराए जाएं। पर, ऐसा नहीं हुआ तो अब भगवा कैंप ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है।

आखिर लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव चुनाव को लेकर बार-बार कोर्ट जाने की नौबत क्यों आ रही है? इस पर सभी दलों से लेकर चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। अगर चुनाव में हिंसा और गड़बड़ी की पहले से ही आशंका रहेगी तो लोकतंत्र का उत्सव कैसे मनेगा? प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कोलकाता नगर निगम चुनावों के लिए भाजपा की ओर से नामित उम्मीदवारों को धमकियां दी जा रही हैं और उन पर उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि इन धमकियों और हिंसा ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव कराने के संवैधानिक जनादेश का गंभीर उल्लंघन हो रहा है। याचिका में पांच उम्मीदवारों की एक सूची भी दी गई है, जिन्हें धमकी मिली है। इस संबंध में कोलकाता पुलिस से शिकायत भी की गई है। साथ ही मई, 2021 में बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा का भी उल्लेख करते हुए रिट याचिका दायर करने के लिए विवश होने की बात कही गई है।

भाजपा ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों को तैनात करने की तत्काल आवश्यकता बताई है। राज्य चुनाव आयोग से लेकर पुलिस प्रशासन तक को चुनाव क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपने संवैधानिक व वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने का निर्देश दिया जाए। अब देखने वाली बात है कि राज्य चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील दी जाती है? वैसे तो राज्यपाल को राज्य चुनाव आयुक्त ने साफ कह दिया है कि निकाय चुनाव में केंद्रीय बल की आवश्यकता नहीं है। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाता है।


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