Amit Shah Bengal Visit : तृणमूल का शाह पर निशाना, बंगाल में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं
शाह के तुष्टीकरण टिप्पणी को लेकर तृणमूल के नेता व मंत्री ने बोला हमला। तृणमूल ने शाह के दोपहर भोजन के लिए एक मतुआ परिवार में जाने के कार्यक्रम का मखौल उड़ाया और शरणार्थी समुदाय तक पहुंच बनाने को भाजपा शासित राज्यों में ध्यान बंटाने का ‘चुनावी हथकंडा’ करार दिया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर शुक्रवार को उनकी ‘तुष्टीकरण टिप्पणी’’ को लेकर तृणमूल नेतृत्व ने निशाना साधा और कहा कि बंगाल में सांप्रदायिकता राजनीति का कोई स्थान नहीं है। तृणमूल ने शाह के दोपहर भोजन के लिए एक मतुआ परिवार में जाने के कार्यक्रम का मखौल उड़ाया और शरणार्थी समुदाय तक पहुंच बनाने को भाजपा शासित राज्यों में पिछड़े समुदायों पर किए गए अत्याचारों से ध्यान बंटाने का एक ‘चुनावी हथकंडा’ करार दिया।
तुष्टीकरण की राजनीति से अमित शाह का क्या मतलब है?
शाह ने शुक्रवार को बंगाल के ‘खोए गौरव’ को वापस लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए यहां दक्षिणेश्वर मंदिर के दौरे के दौरान कहा कि राज्य में ‘तुष्टीकरण की मौजूदा राजनीति’ ने राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना को बनाए रखने की उसकी सदियों पुरानी परंपरा को चोट पहुंचाई है। इस पर तृणमूल के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सौगत रॉय ने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति से अमित शाह का क्या मतलब है?
एक कार्यकर्ता के रूप में बोल रहे या गृह मंत्री के रूप में?
वह भाजपा के एक कार्यकर्ता के रूप में बोल रहे थे या देश के केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में? सरकार को सभी समुदायों के साथ समानता और सम्मान के साथ व्यवहार करना होता है। मुझे नहीं लगता कि राज्य में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए कुछ करना एक अपराध है। उन्होंने सवाल किया कि शाह ने तथ्य को नजरअंदाज क्यों किया कि बंगाल सरकार ने दुर्गा पूजा समारोह को अनुमति दी थी, जबकि भाजपा शासित कुछ राज्यों ने रद कर दिया था।
जनता भाजपा की विभाजनकारी राजनीति खारिज कर देगी
वह दुर्गा पूजा को अनुमति देने के राज्य सरकार के फैसले के बारे में क्यों नहीं बोल रहे हैं? क्या यह अल्पसंख्यक तुष्टीकरण था? मैं यह कहना चाहूंगा कि बंगाल में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं है। राज्य की जनता भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को खारिज कर देगी। वहीं राज्य के मंत्री फिरहाद हकिम ने भी शाह पर मतुआ परिवार के निवास पर दोपहर का भोजन करने के निर्धारित कार्यक्रम को लेकर निशाना साधा और कहा कि यह लोगों को मूर्ख बनाने का एक प्रयास है।
दोपहर का भोजन चुनावी हथकंडा के अलावा कुछ भी नहीं
हकिम ने कहा कि भाजपा शासित सभी राज्यों में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े समुदायों के लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं। हर जगह से अत्याचार की खबरें हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए मतुआ समुदाय के किसी व्यक्ति के घर पर दोपहर का भोजन करने का यह नाटक विधानसभा चुनाव से पहले एक चुनावी हथकंडा के अलावा कुछ भी नहीं है। लेकिन वह हर बार लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं और मतुआ लोग भाजपा के दोहरे मानकों से बहुत अच्छी तरह परिचित हैं।