कोलकाता में भी खतरनाक स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण
बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले में महानगर कोलकाता ने दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया है।
कोलकाता, [राज्य ब्यूरो]। दिल्ली में हाल में हुए एक टेस्ट मैच के दौरान प्रदूषण के चलते श्रीलंकाई खिलाडि़यों के मास्क पहन पर मैदान पर उतरने को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे देश के लिए शर्मनाक बताते हुए केंद्र सरकार को घेरा था।
तंज कसते हुए कहा था कि राजधानी दिल्ली राजनीतिक प्रदूषण से लेकर मौसमी प्रदूषण का शिकार है। खाने से लेकर खेलने तक में मास्क पहनना पड़ रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले में महानगर कोलकाता ने दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया है।
एक सप्ताह में कुछ इस तरह रहा प्रदूषण का मात्रा
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह हवा में प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 का स्तर दिल्ली से भी अधिक कोलकाता में है। दिल्ली ही नहीं हवा की सबसे खराब गुणवत्ता के मामले में कोलकाता ने मुंबई, चेन्नई सहित अन्य सभी मेट्रो शहरों को पीछे छोड़ दिया है। आंकड़ों के अनुसार, 18 दिसंबर को कोलकाता में पीएम 2.5 का स्तर सबसे अधिक 362 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया जो सामान्य स्तर से छह गुणा अधिक है।
इस दिन दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 80, मुंबई में 133 जबकि चेन्नई में 80 था। 17 दिसंबर को भी कोलकाता में पीएम 2.5 का स्तर सबसे अधिक 272 दर्ज किया गया जबकि दिल्ली में 183, मुंबई में 263 व चेन्नई में 84 था। 16 दिसंबर को भी कोलकाता में पीएम 2.5 का स्तर सबसे अधिक 279 दर्ज किया गया जबकि दिल्ली में 210, मुंबई में 220 व चेन्नई में 74 था। 15 दिसंबर को दिल्ली में पीएम 2.5 सबसे अधिक 283 रहा जबकि कोलकाता में 272 दर्ज किया गया और मुंबई में 170 और चेन्नई में 78 रहा।
सांस में हवा नहीं जहर ले रहे हैं लोग
विशेषज्ञों का कहना है कि कोलकाता में वायु प्रदूषण इस समय सबसे खतरनाक स्तर पर है और लोग हवा के साथ जहर भी घुल रहा सांसों में। कई डॉक्टरों ने यहां प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए खासकर बच्चों, बुजुर्गो व मरीजों को घर के भीतर ही रहने की चेतावनी दी है।
सूत्रों के अनुसार कोलकाता में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने भी बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए कोलकाता को भारत का सबसे प्रदूषित शहर करार दिया है। इसको लेकर दूतावास की ओर से विश्र्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आगाह किया गया है। इधर डब्ल्यूएचओ के एक अधिकारी ने स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचने के लिए प्रदूषण से निपटने को एक दीर्घकालिक योजना बनाने की सलाह दी है।
इसके अलावा राज्य के कई पर्यावरणविदों ने भी इसपर चिंता जताते हुए राज्य सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि समय रहते यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह बहुत खतरनाक साबित होगा।
दूसरी तरफ इस मामले में पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता ने एनजीटी में एक याचिका भी दाखिल की है। एक अन्य पर्यावरणविद् सोमेंद्र मोहन घोष का कहना है कि कोलकाता अब देश की डीजल वाहनों की राजधानी बन गई है। राज्य सरकार ने कम प्रदूषण वाले स्वच्छ ईधन जैसे सीएनजी, बायो डीजल आदि को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है। जिसके चलते कोलकाता में हवा की गुणवत्ता हाल के वर्षो में लगातार खराब हो रही है।
बच्चों व बुजुर्गो के लिए बहुत खतरनाक है 2.5
हवा में घुले 2.5 के खतरनाक कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि सांस के जरिए ये हमारे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। पीएम 2.5 बच्चों और बुजुर्गो को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है। खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है। लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। पीएम 2.5 का सामान्य लेवल 60 एमजीसीएम होना चाहिए।