Kolkata: सागरदिघी हार के बाद अब ममता बनर्जी ने रब्बानी से अल्पसंख्यक विभाग लिया अपने हाथों में
राज्य में 2011 के बाद से मुस्लिम वोट कुल मिलाकर तृणमूल के पास रहे। लेकिन सत्ता पक्ष के नेताओं को सागरदिघी जैसे प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में मिली हार में अशुभ संकेत नजर आ रहे हैं। विपक्षी खेमा दावा कर रहा है कि अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। ऐसा लग रहा है कि मुस्लिम वोट बैंक को लेकर मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी काफी परेशान है। यही वजह है कि पंचायत चुनाव से पहले उन्होंने मंत्री गुलाम रब्बानी से अल्पसंख्यक विकास एवं मदरसा विभाग छीन कर अपने हाथों में ले लिया है। अब गोआलपोखर के विधायक कैबिनटे मंत्री रब्बानी खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्यानिकी विभाग जिम्मेदारी संभालेंगे।
सागरदिघी के पूर्व विधायक सुब्रत साहा के 27 दिसंबर को निधन के बाद से इस विभाग का अतिरक्त कार्यभार पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार संभाल रहे थे। मालदा के हरिश्चंद्रपुर के विधायक ताजमुल हुसैन अल्पसंख्यक विकास विभाग के राज्य मंत्री हैं।
ताजमुल वर्तमान में लघु और कुटीर उद्योग विभाग के राज्य मंत्री हैं। इस बार ताजमुल को उक्त विभाग के साथ अल्पसंख्यक विभाग का भी राज्य मंत्री के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। इस बदलाव की खबर राज्य प्रशासन के सूत्रों ने दी है। इस फेरबदल के 'अन्य' राजनीतिक मायने निकाल जा रहे हैं।
बंगाल के अल्पसंख्यकों के मन समझने के लिए बनाई कमेटी
वाम-कांग्रेस गठबंधन से सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद, इस परिणाम ने ममता बनर्जी काफी परेशान हैं। चुनाव के नतीजे आने के बाद अल्पसंख्यक वोट तृणमूल से विमुख हुए हैं या नहीं, यह सवाल भी उठने लगा है। वाम-कांग्रेस-भाजपा के 'अनैतिक गठबंधन' को सागरदिघी में हार का कारण बताते हुए मुख्यमंत्री खुद अल्पसंख्यक वोटों के नुकसान का कारण जानने को सक्रिय हैं।
ममता ने नुकसान की वजह जानने के अलावा पूरे बंगाल के अल्पसंख्यकों के मन समझने के लिए एक कमेटी बनाई थी। उस कमेटी में राज्य के चार मुस्लिम मंत्रियों सिद्दीकुल्ला चौधरी, सबीना यास्मीन, अख्रुज्जमां और गुलाम रब्बानी को रखा गया है। जंगीपुर विधायक जावेद खान को भी रखा गया है।
हालांकि उस कमेटी में जंगीपुर के सांसद खलीलुर्रहमान को नहीं रखा गया तो एक बड़ी बहस शुरू हो गई थी। सागरदिघी के परिणाम से सीख लेकर तृणमूल ने पार्टी के संगठन में बदलाव किया। पहले हाजी नुरुल इस्लाम को पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से हटाकर ममता ने इटाहार विधायक मुशर्रफ हुसैन अध्यक्ष बनाया। हालांकि इस्लाम को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का चेयरमैन बना दिया गया है जो यह महज एक सांकेतिक पद मात्र माना जाता है।
ऐसे में अल्पसंख्यक विभाग का दायित्व अपने हाथों में मुख्यमंत्री द्वारा लेने के फैसला अलग संकेत दे रहा है। पंचायत चुनाव सामने है। इसके बाद लोकसभा की लड़ाई होना है। उससे पहले मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक जैसे महत्वपूर्ण विभाग खुद संभालना चाहती हैं। तृणमूल सूत्रों से यह पता चला है।
एक और अल्पसंख्यक विकास बोर्ड गठन करने की तैयारी
राज्य में 2011 के बाद से मुस्लिम वोट कुल मिलाकर तृणमूल के पास रहे। लेकिन सत्ता पक्ष के नेताओं को सागरदिघी जैसे प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में मिली हार में अशुभ संकेत नजर आ रहे हैं। विपक्षी खेमा दावा कर रहा है कि तृणमूल शासन द्वारा अल्पसंख्यकों को 'प्रताड़ित' किया जा रहा है। इस बार इस संकट के समाधान के लिए खुद मुख्यमंत्री ममता ने पहल की है।
सोमवार को कैबिनेट की बैठक के अंत में कानून मंत्री मलय घटक ने कहा कि राज्य में एक और अल्पसंख्यक विकास बोर्ड का गठन किया जा रहा है। 2011 में राज्य में सत्ता में आई तृणमूल सरकार ने अल्पसंख्यक विकास बोर्ड का गठन किया था। इस बार राज्य दूसरा अल्पसंख्यक बोर्ड बनाने जा रहा है।