एसी ट्राम से बढ़ा राजस्व, संख्या बढ़ाने की तैयारी
- 21वीं सदी के यात्रियों को आकर्षित कर रही ट्राम जागरण संवाददाता कोलकाता 19वीं सदी में चल
- 21वीं सदी के यात्रियों को आकर्षित कर रही ट्राम
जागरण संवाददाता, कोलकाता : 19वीं सदी में चली ट्राम अब 21वीं सदी का नया ट्रासपॉर्ट बन गई है। नवीनीकरण के बाद एयर-कंडीशनर हुई ट्राम, अब ट्रामवेज के लिए आशा की नई किरण बनकर उभरी है। बीते दो दशकों में ट्राम का क्रेज बेहद कम हो गया है। ट्राम सेवा केवल गंभीर रूप से कटे हुए मागरें पर एक कंकाल सेवा की तरह चालू थी लेकिन एक बार फिर से लोगों में इसके प्रति क्रेज बढ़ा है। कोलकाता की सड़कों पर ट्राम 35 किलोमीटर प्रति घटे की औसत रफ्तार से चलती है। आज के इस युग में मेट्रो तेज रफ्तार से चलती है और यात्रियों की पहली पसंद है लेकिन सबसे पुराने मागरें में से एक श्यामबाजार और एस्प्लेनेड के बीच इसी महीने चलाई गई एसी ट्राम की सेवा यात्रियों को आकर्षित कर रही है। यह एक कोच वाली ट्राम एक दिन में छह राउंड यात्राएं कर रही है और दो कोच वाली ट्राम की अपेक्षा इस ट्राम से तीन गुना राजस्व बढ़ा है। एसी ट्राम की इस बढ़ी माग को अधिकारियों ने संज्ञान में लिया है। पश्चिम बंगाल परिवहन निगम के एक अधिकारी ने बताया कि कोलकाता में किसी भी ट्राम ने वषरें में उतना राजस्व नहीं कमाया है, जितना इस एकल-कोच एसी ट्राम ने किया है। उन्होंने कहा कि इससे उत्साहित होकर हम शहर के अन्य हिस्सों में भी ऐसी सेवा शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। वहीं उन्होंने कहा कि गैर एसी सेवाओं वाली ट्राम घाटे में चल रही है। एसी ट्राम इन गैर-एसी सेवाओं को क्रॉस-सब्सिडी देने में भी मदद कर सकती हैं। गैर एसी ट्राम का किराया चार किलोमीटर तक छह रुपये व उससे ऊपर सात रुपये है, जबकि एसी ट्राम का किराया 20 रुपये है। यह पहला एसी ट्राम नहीं है, लेकिन यह नियमित आवागमन के लिए व्यावसायिक रूप से संचालित होने वाली पहली ट्राम है। 2013 में उसी कार्यशाला ने दो एसी ट्राम का निर्माण किया था, जिन्हें चारोइबेती और रूपश्री बंगला नाम दिया गया था, जो विशेष रूप से मध्य व उत्तर कोलकाता में हेरिटेज टूर के लिए उपयोग की जाती थी। ट्राम-वे के नवीनतम प्रयास का उद्घाटन राज्य के परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने फरवरी में किया था, लेकिन कोच का संचालन मई से शुरू किया गया।