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पार्क सर्कस में सीएए के खिलाफ आंदोलनरत अधेड़ महिला की हार्ट अटैक से मौत

- नाराज लोगों ने काली पंट्टी लगा कर जारी रखा प्रदर्शन - मृतका के बेटे के ईरान से लौटने के बाद

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 07:14 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 07:14 PM (IST)
पार्क सर्कस में सीएए के खिलाफ आंदोलनरत  अधेड़ महिला की हार्ट अटैक से मौत
पार्क सर्कस में सीएए के खिलाफ आंदोलनरत अधेड़ महिला की हार्ट अटैक से मौत

- नाराज लोगों ने काली पंट्टी लगा कर जारी रखा प्रदर्शन

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- मृतका के बेटे के ईरान से लौटने के बाद अंतिम संस्कार कराने का निर्णय

जागरण संवाददाता, कोलकाता : दिल्ली के 'शाहीन बाग' की तर्ज पर कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन कर रही एक अधेड़ महिला की शनिवार की देर रात मौत होने का मामला प्रकाश में आया है। मृतका की पहचान शमिदा खातून के रूप में हुई है। 57 वर्षीय शमिदा इंटाली की रहने वाली थी। वह पिछले 26 दिनों से पार्क सर्कस में धरने पर बैठी हुई थी। पर पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थी।

पुलिस व स्थानीय लोगों की मानें तो पार्क सर्कस इलाके में चल रहे धरना स्थल पर बैठी शमिदा के दिल में शनिवार रात 12 बजे अचानक दर्द शुरू हो गया था। धरने पर बैठे अन्य लोगों की मदद से तुरंत शमिदा को स्थानीय चित्तरंजन मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। शमिदा की मौत की खबर मिलने के बाद रात में ही माइक बंद कर आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। रविवार को भी इसका असर दिखा। आंदोलनकारी इस दिन शमिदा के सम्मान में काला बैच पहन कर प्रदर्शन करते नजर आए। साथ ही स्पष्ट कर दिया कि जब तक सीएए और एनआरसी वापस नहीं लिया जाता, तब तक धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों ने चुकानी पड़े। लगे हाथ एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि मृतका का बेचा ईरान में रहता है। उसके वापस लौटने के बाद ही शमिदा के अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया है।

गौरतलब हो कि शाहीन बाग की तरह करीब 60 की संख्या में महिलाएं पार्क सर्कस मैदान में सीएए और एनआरसी के खिलाफ पिछले 26 दिनों ने लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। कड़ाके की ठंड में भी महिलाओं का धरना जारी रहा। मालूम हो कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने बीते दिनों पार्क सर्कस में आंदोलन कर रही महिलाओं पर तंज कसते हुए कहा था कि नोटबंदी के दौरान पैसे के लिए एटीएम के बाहर कतार में खड़े-खड़े कई लोगों की मौत हुई थी, तो इस कड़ाके की ठंड में किसी की मौत क्यों नहीं हो रही है। इस बयान के कुछ दिनों बाद ही आंदोलनकारी शमिदा की मौत हो गई।

तृणमूल के महासचिव और राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने पार्क सर्कस में सीएए के खिलाफ आंदोलनरत शमिदा खातून की मौत पर गहरा दुख जताया। कहा अब यह देखना बाकी है कि मौत के बाद भी मोदी सरकार की आंख खुलती है की नहीं। हम भी जानना और देखना चाहते हैं कि सरकार चाहती क्या है।


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