West Bengal : मिठाई बेचने के लिए रोजाना 120 किलोमीटर साइकिल की सवारी कर रहा 19 वर्षीय युवक
लॉकडाउन के बाद जब ट्रेन सेवाएं बंद हो गईं तो परिवार गरीबी के कारण संघर्ष करना शुरू कर दिया। लॉकडाउन हालांकि युवा इमरान शेख के मजबूत इरादों को डिगा नहीं सका। इमरान मिठाई बेचने के लिए कोलकाता आने जाने के लिए प्रतिदिन सात-आठ घंटे साईकिल चलाता है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार गरीब व असहाय लोगों पर पड़ी है। रोजगार छीनने के साथ ही रोजी रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है। हालांकि इस विकट स्थिति के बावजूद कुछ बुलंद हौसले वाले लोग इन चुनौतियों का डटकर सामना कर रहे हैं। इन्हीं में से बंगाल के नादिया जिले का एक 19 वर्षीय लड़का इन दिनों मिठाई बेचने के लिए प्रतिदिन 120 किमी की यात्रा करके साईकिल से कोलकाता आता- जाता है, जिससे उसके परिवार की जीविका चलती है।
दरअसल मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद जब लोकल ट्रेन सेवाएं बंद हो गईं, तो लड़के का परिवार गरीबी के कारण संघर्ष करना शुरू कर दिया। लॉकडाउन, हालांकि युवा इमरान शेख के मजबूत इरादों को डिगा नहीं सका। उसने साइकिल से ही रोजाना कोलकाता आने का फैसला किया। इमरान मिठाई बेचने के लिए नदिया जिले के राणाघाट से कोलकाता आने जाने के लिए प्रतिदिन सात-आठ घंटे साईकिल चलाता है।
दरअसल, पहले वह मिठाई बेचने के लिए लोकल ट्रेनों से यात्रा करता था। नादिया अपनी मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है, मुख्य रूप से 'सरपुरिया'। इमरान शेख उर्फ़ सागर, जो अपने इस काम से बहुत प्यार करता है, ने कहा- 'मैं घर पर लॉकडाउन में नहीं बैठना चाहता था। लोग मुझसे मिठाई खरीदते थे और मैं अपना व्यवसाय नहीं खोना चाहता था। इसलिए, मैंने अनलॉक- 1 में अपने व्यवसाय को फिर से शुरू किया। लेकिन ट्रेनें नहीं चल रही थीं। इसलिए, मैंने अपने साइकिल की सवारी करके मिठाई बेचने के लिए कोलकाता आने का फैसला किया।'
दरअसल, बाजार के मानकों की तुलना में इमरान की मिठाइयां बहुत सस्ती है। इमरान ने कहा, 'मैं सुबह 3 बजे के आसपास घर से निकलता हूं और कोलकाता लगभग 7 बजे पहुंचते हैं। मिठाइयों में रसगुल्ला, गुलाब जामुन और लंगचा’ शामिल हैं, जिसे अपने बैग में भरकर ले जाते हैं। इसके अलावा सूखी मिठाइयों से भरा बैग भी ले जाता हूं। रास्ते में छोटे शहरों व गांवों से गुजरने के दौरान मिठाइयां बेचते हुए वे कोलकाता पहुंचते हैं।
उन्होंने कहा कि शुरू में मैं प्रतिदिन 300 पीस मिठाई बेचता था, लेकिन मेरे ग्राहकों ने मुझे मिठाई की अधिक किस्में लाने के लिए प्रेरित किया। अब मैं रोजाना कम से कम 700 मिठाइयां बेचता हूं। उनके प्रत्येक मिठाई की कीमत मात्र 5 रुपये है। किफायती दाम व बेहतर स्वाद होने के चलते उनके मिठाई की काफी डिमांड रहती है।