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Bengal Violence: बंगाल में अभिजीत सरकार हत्याकांड में 12 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

Bengal Violence भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की हत्या के मामले में सीबीआइ की ओर से 12 आरोपितों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। गिरफ्तारी वारंट की प्रति सीबीआइ की ओर से आरोपितों के घर पर भेज दिया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 07:37 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 07:37 PM (IST)
Bengal Violence: बंगाल में अभिजीत सरकार हत्याकांड में 12 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
बंगाल में अभिजीत सरकार हत्याकांड में सीबीआइ ने जारी किया 12 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल विधानसभा चुनाव के के बाद हुई हिंसा के दौरान कांकुड़गाछी में भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की हत्या के मामले में सीबीआइ की ओर से 12 आरोपितों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। गिरफ्तारी वारंट की प्रति सीबीआइ की ओर से आरोपितों के घर पर भेज दिया गया है। अभिजीत सरकार को दो मई को विधानसभा चुनाव परिणाम के दिन हत्या कर दी गई थी। उनके परिजनों ने बंगाल पुलिस पर असहयोग का आरोप लगाया था। कांकुड़गाछी में भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की हत्या के मामले में शनिवार को नारकेलडांगा थाने की उपनिरीक्षक रत्ना सरकार सीबीआइ के सीजीओ परिसर में पेश हुई थीं। उन्हें दूसरी बार बुलाया गया था।

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रत्ना सरकार को पहली बार 30 अगस्त को तलब किया गया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुई थी। सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक शनिवार को रत्ना सरकार से पूछताछ के अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने उनका बयान भी दर्ज किया है। बता दें कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआइ चुनाव बाद हिंसा के मामलों की जांच कर रही है और अभी तक 37 एफआइआर दर्ज कर चुकी है। अभिजीत सरकार की मां ने आरोप लगाया था कि रत्ना सरकार ने एक सफेद कागज पर असली दोषियों की जगह दूसरों के नाम लिखकर उन्हें हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ के अधिकारियों ने रत्ना सकार से उन मुद्दों पर पूछताछ की है।

अभिजीत सरकार के परिवार को एक सादा पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए क्यों मजबूर किया गया या पुलिस ने असली गुनहगारों के नाम छिपाने की कोशिश क्यों की? ऐसे तमाम सवालों का सामना एसआइ रत्न सरकार को करना पड़ा है। जांच की वजह से अभिजीत सरकार के शव का अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दी गई थी। शव मिलने के बाद अभिजीत के परिवार ने सवाल किया कि क्या शव अभिजीत का है। उनका आरोप था कि सबूत मिटाने के प्रयास में शव को हटाया गया होगा। फिर मृतक के शरीर का डीएनए टेस्ट का आदेश दिया था, लेकिन जब से उच्च न्यायालय ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया, डीएनए रिपोर्ट सीबीआइ को सौंप दी गई थी।


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