40 साल से जेल में बंद विचाराधीन कैदी के घर का पता लगाएगा कलकत्ता हाईकोर्ट
अदालत कैदी दीपक जैशी के घर का पता और अन्य विवरण जानना चाहती है। जयंत नारायण चट्टोपाध्याय ने कहा कि 1981 में दार्जिलिंग में हत्या के आरोप में गिरफ्तार दीपक को 2005 में राज्य की एक अन्य जेल से दमदम जेल लाया था। वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोलकाता की एक सेंट्रल जेल में हत्या के जुर्म में 40 साल से बंद नेपाली मूल के कैदी के घर का पता लगाने के लिए अब कलकत्ता हाईकोर्ट आगे आया है। इस कड़ी में कोर्ट ने स्वत संज्ञान का मामला दर्ज किया है। दिलचस्प बात यह है कि कैदी अभी भी विचाराधीन है। 75 वर्षीय कैदी दीपक जैशी को रिहा करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उच्च न्यायालय ने इस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में मामले में नेपाली दूतावास को शामिल किया।
सोमवार को हुई मामले की सुनवाई
राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता जयंत नारायण चट्टोपाध्याय ने कहा कि अदालत मामले में नेपाल दूतावास को शामिल करके कैदी दीपक जैशी के घर का पता और अन्य विवरण जानना चाहती है। सोमवार को राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्त और उच्च न्यायालय के नियुक्त अधिवक्ता सैकत बनर्जी सुनवाई में रहे।
२००५ में दमदम जेल लाया गया था
जयंत नारायण चट्टोपाध्याय ने कहा कि 1981 में दार्जिलिंग में हत्या के आरोप में गिरफ्तार दीपक को 2005 में राज्य की एक अन्य जेल से दमदम जेल लाया गया था।वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है। न्यायाधीश चिंतित हैं कि अगर दीपक इस स्थिति में जेल से रिहा हो गया तो कहां जाएगा।
अगली सुनवाई १२ फरवरी से होगी
मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति शुभाशीष दासगुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को फिर से शुरू होगी। गौरतलब है कि कोलकाता की दमदम सेंट्रल जेल में नेपाल के रहने वाले एक कैदी के 40 साल कट गए हैं और वह अभी भी विचाराधीन है। अभी उसकी की उम्र 75 वर्ष है।
मानसिक स्थिति भी सही नहीं है
1981 में दार्जिलिंग में हत्या के जुर्म में उसे गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2005 में वह दार्जिलिंग जेल से अलीपुर जेल होते हुए दमदम सेंट्रल जेल में आया था। तब से सिर्फ सुनवाई की तारीख ही बीतती जा रही है। कैदी की मानसिक स्थिति भी सही नहीं है। नेपाल में उसके घर का भी पता नहीं चला है और ना ही कोई उसका रिश्तेदार सामने आया है।