कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जज को कोरोना होने का श्राप देने वाले वकील से किया जवाब-तलब
न्यायाधीश दत्ता ने कहा कि चूंकि बस 15 जनवरी को जब्त कर लिया गया था यह एक आपात मामला नहीं था। तय समय पर संबंधित डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई होगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने पक्ष फैसला नहीं सुनाया तो एक वकील ने उन्हें कोरोना होने का श्राप दिया था। उस वकील ने मेज पर हाथ मारते हुए कहा था कि आपने फैसला नहीं सुनाया तो आप को कोरोना हो जाएगा, लेकिन श्राप काम नहीं आया। न्यायाधीश दत्ता पूरी तरह से स्वस्थ हैं और पदोन्नत होकर बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बन गए। बुधवार को खबर आई कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन की पीठ ने श्राप देने वाले वकील बिजय अधिकारी से जवाब तलब किया है। उन्हें चार सप्ताह के भीतर हलफनामा देना होगा कि उन्होंने एक वकील होकर एक न्यायाधीश साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया?
यह मामला एक बस जब्त किए जाने का है। इस मुकदमे की पैरवी वकील बिजय अधकारी जस्टिस दीपंकर दत्ता की अदालत में कर रहे थे। बैंक ने 15 जनवरी को डिफाल्ट के कारण बिजय अधिकारी के मुवक्किल की एक बस को जब्त कर लिया और नीलाम किया जाना था। बिजय अधिकारी चाहते थे कि अदालत नीलामी प्रक्रिया को निलंबित कर दे। इसलिए अदालत ने तत्काल आधार पर मामले की सुनवाई की, लेकिन हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने बिजय की अर्जी को खारिज कर दिया। क्योंकि, उस समय कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन की वजह से हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अति आवश्यक मामलों पर ही सुनवाई की जा रही थी। यह मामला उसी दौरान कोर्ट में किया गया था।
न्यायाधीश दत्ता ने कहा कि चूंकि बस 15 जनवरी को जब्त कर लिया गया था, यह एक आपात मामला नहीं था। तय समय पर संबंधित डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई होगी। उसके बाद बिजय अधिकारी अपना आपा खो बैठे। जब जज अपना फैसला सुना रहे थे, तो वह फैसले को रोकने के लिए मेज पर हाथ मारते हुए कहा कि यदि आप कोई फैसला नहीं देते हैं, तो आप को कोरोना हो जाएगा। हालांकि न्यायाधीश दत्ता ने बिजय के श्राप को नजरंदाज करते हुए उन्हें चेताया कि अदालत में सही व्यवहार करें।
फिर भी उन्होंने न्यायाधीश की बात नहीं मानी और अमर्यादित आचरण करते रहे। इसके बाद न्यायाधीश दत्ता ने उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला शुरू करने की बात कही और कहा कि मैं आप को बताना चाहूंगा कि मुझे डर नहीं है कि मेरा भविष्य बर्बाद हो जाएगा या मैं वायरस से संक्रमित हो जाऊंगा। न्यायालय की गरिमा मेरे लिए सर्वोच्च है और उसे बनाए रखने को आप पर अवमानना का मामला चलाया जाएगा। इसके बाद न्यायाधीश दीपंकर दत्ता बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हो गए और वहां कार्यभार संभाल लिया। नतीजतन बिजय अधकारी के खिलाफ अदालत अवमानना के मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन की पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया और जवाब तलब किया गया है।