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नदिया में विचाराधीन कैदी की संदिग्ध हालत में मौत

परिजनों ने पुलिस व जेल अधिकारियों पर मौत की सच्चाई छिपाने का लगाया आरोप। .......

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 09:23 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 09:23 AM (IST)
नदिया में विचाराधीन कैदी की संदिग्ध हालत में मौत
नदिया में विचाराधीन कैदी की संदिग्ध हालत में मौत

परिजनों ने पुलिस व जेल अधिकारियों पर मौत की सच्चाई छिपाने का लगाया आरोप।

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जासं, कोलकाता : बंगाल के नदिया जिले में एक विचाराधीन कैदी की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है। मृतक के परिजनों व पड़ोसियों ने जेल अधिकारी और पुलिस पर मौत की सच्चाई छिपाने का आरोप लगाते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने गुरुवार को बताया कि विचाराधीन कैदी बोसु दास (33) को मंगलवार को कल्याणी सब डिवीजनल जेल स्थित अपने सेल में बेहोश पाया गया था। इसके बाद उसे जेएनएन अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जेल अधिकारियों ने कहा कि विचाराधीन कैदी दास की बीमारी के कारण मृत्यु हुई है। वहीं, मृतक के परिवार का आरोप है कि पुलिस और जेल अधिकारी वास्तविक घटना को छिपा रहे हैं। घटना से उत्तेजित परिवार के सदस्यों व पड़ोसियों ने कल्याणी थाना, एसडीओ ऑफिस, मुर्दाघर और जेल के सामने जमकर प्रदर्शन किया। इधर, राणाघाट के पुलिस अधीक्षक वीएसआर अनंतनाग ने कहा कि पोस्टमार्ट रिपोर्ट मिलने के बाद ही मैं इस बारे में कोई टिप्पणी करूंगा। वहीं, जेएनएन अस्पताल के अधीक्षक अभिजीत मुखर्जी ने बताया कि बुधवार को तीन डॉक्टरों की उपस्थिति में पोस्टमार्टम किया गया। बताया जा रहा है कि कल्याणी के माझेरचर इलाके के रहने वाले दास को कुछ दिनों पहले कल्याणी शहर में चोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें कल्याणी सब डिवीजनल कोर्ट में पेश किया गया और चार दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इसके बाद उन्हें कल्याणी सब डिवीजनल जेल भेज दिया गया। दास को सोमवार को फिर से कल्याणी अदालत में पेश किया गया। उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि उस दिन अदालत परिसर में उनसे मिले थे और वह ठीक दिखे। पुलिस के अनुसार, मंगलवार को दास अपने सेल में बेहोश पड़ा मिला। मृतक के बड़े भाई बासु दास का कहना है कि जब हमने सोमवार को उससे बात की तो वह ठीक था। लेकिन, अगले दिन हमें सूचित किया गया कि वह मर चुका है। उन्होंने कहा कि जब उसकी मृत्यु सुबह 6.30 बजे के आसपास हुई तो हमें दोपहर 1 बजे क्यों सूचित किया गया? हमें संदेह है कि पुलिस और जेल अधिकारी दोनों ही सच्चाई को छिपा रहे हैं। हम न्याय पाने के लिए संघर्ष करते रहेंगे।


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