शोभन को वाई प्लस व वैशाखी को वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली
- शोभन की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को ममता सरकार ने हटाया -शोभन ने कहा-देखते हैं सरक
- शोभन की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को ममता सरकार ने हटाया
-शोभन ने कहा-देखते हैं सरकार और कितना नीचे गिरती है
जागरण संवाददाता, कोलकाता : तृणमूल छोड़ भाजपा शामिल होने के बाद खुद पर हमले की आशंका जाहिर करते हुए शोभन चटर्जी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए उन्हें वाई प्लस व उनकी महिला मित्र वैशाखी बंद्योपाध्याय को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। वहीं भाजपा में शामिल होने से नाराज ममता सरकार ने कोलकाता के पूर्व मेयर व विधायक शोभन चटर्जी की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को हटा दिया। गौरतलब है कि कोलकाता पुलिस के छह और राज्य पुलिस के पाच कर्मियों को मिलाकर उन्हें 11 पुलिसकर्मियों की सशस्त्र सुरक्षा मिली हुई थी। रविवार से यह सुरक्षा खत्म कर दी गई है। शोभन राज्य के पूर्व अग्निशमन मंत्री थे। 20 नवंबर, 2018 को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर उन्होंने मंत्रालय से इस्तीफा दिया था और उसके तीन दिन बाद कोलकाता के मेयर का पद भी छोड़ दिया था। जब वह मंत्री थे तब उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा मिलती थी, लेकिन बाद में उनकी सुरक्षा वाई श्रेणी की कर दी गई थी। कोलकाता पुलिस और राज्य पुलिस के 11 सशस्त्र जवान उनकी सुरक्षा में तैनात रहते थे, लेकिन उन्हें शनिवार तक अंतिम सुरक्षा मिली। रविवार से उनकी सुरक्षा खत्म कर दी गई। हालांकि इससे पहले ही शोभन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख सुरक्षा की मांग की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए उन्हें और उनकी महिला मित्र को केंद्र की ओर से सुरक्षा मुहैया कराने का निर्णय लिया गया। बताया गया कि शोभन चटर्जी को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा व उनकी महिला मित्र को वैशाखी बंद्योपाध्याय को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है। दरअसल, गत बुधवार को दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पहुंच शोभन चटर्जी ने अपनी महिला मित्र वैशाखी बंद्योपाध्याय संग भगवा झंडा थाम लिया था, जिसके बाद रविवार को राज्य सरकार ने उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को हटा लिया। इधर, राज्य सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को हटाए जाने पर शोभन ने कहा कि वे राज्य के मंत्री रहे हैं। ऐसे में संवैधानिक नियमानुसार उन्हें सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, लेकिन राज्य की ममता सरकार से किसी संवैधानिक नियम को मानने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। खैर, आगे देखते हैं कि राज्य सरकार और कितना नीचे गिरती है।