रक्षा मंत्रालय ने ओएफबी संघ को बातचीत के लिए बुलाया
केंद्र सरकार के कारपोरेटाइजेशन (व्यापारीकरण) योजना के खिलाफ हड़ताल पर जाने की नोटिस दे चुके आयुध कारखाना मंडल (ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड) के असैनिक (सिविलियन) कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता : केंद्र सरकार के कारपोरेटाइजेशन (व्यापारीकरण) योजना के खिलाफ हड़ताल पर जाने की नोटिस दे चुके आयुध कारखाना मंडल (ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड) के असैनिक (सिविलियन) कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है। शनिवार को रक्षा उत्पाद सचिव अजय कुमार ने बताया कि विभिन्न रक्षा प्रतिष्ठानों में बोर्ड के सिविलियन कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे विभिन्न संगठनों ने 20 अगस्त से एक महीने की हड़ताल की नोटिस दी है। केंद्र सरकार ने उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। उम्मीद है कि हम मामला सुलझा लेंगे। अजय कुमार ने शनिवार को कोलकाता में गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लि. के राजाबागान डक में तेजी से गश्त लगाने वाले पोत के जलावतरण के बाद पत्रकारों से बातचीत में उक्त जानकारी दी। इस मौके पर ऑल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन (एआइडीइएफ) के मुख्य सचिव सी श्रीकुमार ने बताया कि उन्हें इस आशय की जानकारी मिली है कि 14 अगस्त को रक्षा उत्पाद के अतिरिक्त सचिव ने इस मुद्दे पर तीन कर्मचारी संगठनों की बैठक बुलाई है, हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि उक्त संदेश में कहीं भी प्रस्तावित हड़ताल का जिक्र नहीं है। इसमें सिर्फ इतना कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा आयुध कारखानों के लिए लिए गए नीतिगत फैसलों पर चर्चा के लिए उक्त बैठक बुलाई गई है।
तीन कर्मचारी संगठनों द्वारा मंत्रालय को दी गई संयुक्त हड़ताल के नोटिस में केंद्र सरकार से आयुध कारखानों के कारपोरेटाइजेशन के फैसले को तुरंत स्थगित करने की मांग की गई है। गौरतलब है कि आयुध कारखाना बोर्ड के तहत देश में कुल 41 आयुध कारखाने रक्षा उत्पादन में लगे हैं। रक्षा मंत्रालय ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि कोलकाता मुख्यालय वाले इस बोर्ड को इसके स्वयं के निदेशक निर्देशित करें, यह सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड का कारपोरेटाइजेशन कर देना चाहिए।
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क्या है व्यापारीकरण (कारपोरेटाइजेशन) व्यापारीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी सरकारी प्रतिष्ठान में निजी कारपोरेट (व्यापारिक घराने) की तर्ज पर कारोबार प्रक्रिया स्थापित की जाती है। जहां किसी सरकारी प्रतिष्ठान को सरकारी नियंत्रण वाला व्यापारिक प्रतिष्ठान बना दिया जाता है। अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों की तरह इसके भी शेयर आम नागरिकों के लिए जारी किए जाते हैं, हालांकि प्रतिष्ठान में सबसे बड़ी हिस्सेदारी सरकार की होती है।
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