खदानों से निकलने वाले लाल पानी से निजात नहीं मिली तो होगा आंदोलन : बामिया
सारंडा में चल रही खदानों के खदान प्रबंधकों को सारंडा के बीच बसे ग्रामीणों को नियुक्तियों में पहली प्राथमिकता देनी चाहिए।
संवाद सूत्र, किरीबुरू : सारंडा में चल रही खदानों के खदान प्रबंधकों को सारंडा के बीच बसे ग्रामीणों को नियुक्तियों में पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। आज सारंडा के ग्रामीणों की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है। एक ओर ग्रामीण लाल पानी पीने के लिए विवश हैं, तो दूसरी तरफ इनके खेती लायक जमीन लाल पानी के बहाव के कारण बंजर हो चुकी है। उक्त बातें पूर्व जिला परिषद सदस्य मनोहरपुर सह झारखंड मुक्ति मोर्चा के पश्चिम सिंहभूम कार्यकारिणी सदस्य बामिया मांझी ने कही। उन्होंने बताया कि उषा माíटन लिमिटेड (वर्तमान टाटा स्पंज) की खदान विजय दो से निकलने वाले लाल पानी से तेतलीघाट, बाईहातु, जोजोगुट्टु, राजाबेड़ा, सेतारूईया एवं गुवा खदान से निकलने वाला लाल पानी से कासिया, पेचा सहित कई अन्य गांव के लोग परेशान हैं। इस तरह से सेल की किरीबुरू एवं मेघाहातुबुरू लौह अयस्क खदान से निकलने वाले लाल पानी से भी कई गांवों के लोग प्रभावित हैं। खदानों की ओर से चलाई जाने वाली योजना निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत भी कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा रहा है। कागज पर ही खानापूर्ति कर दी जाती है। अगर समय रहते खदान प्रबंधकों द्वारा इस दिशा में अविलंब कार्य नहीं किया जाता है तो सारंडा के ग्रामीण आंदोलन छेड़ने में भी पीछे नहीं रहेंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी सारंडा में संचालित हो रहे खदान के प्रबंधकों की होगी।