अब एक साल होगा नगरपालिकाओं में प्रशासकों का कार्यकाल
-विधानसभा में नपा संशोधित विधेयक 2019 पारित -छह महीने से एक वर्ष तक कार्यकाल बढ़ाने में सक्षम ह
-विधानसभा में नपा संशोधित विधेयक 2019 पारित
-छह महीने से एक वर्ष तक कार्यकाल बढ़ाने में सक्षम होगी सरकार
जागरण संवाददाता, कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा में गुरुवार को तीन संशोधित विधेयक पारित किया गाय जिसके बाद राज्य सरकार विभिन्न नगरपालिकाओं में प्रशासकों के कार्यकाल को मौजूदा छह महीने से एक वर्ष तक बढ़ाने में सक्षम होगी। हालांकि विपक्ष ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।
गुरुवार को इसे लेकर राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने विधानसभा में संशोधित विधेयक पेश किया, जिसके अनुसार प्रशासकों की समय-सीमा को छह महीने से बढ़ा कर एक वर्ष कर दिया गया है। विभागीय मंत्री ने विधानसभा में द वेस्ट बंगाल म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (अमेंडमेंट) बिल 2019, द कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (अमेंडमेंट) बिल 2019 व द हावड़ा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (अमेंडमेंट) बिल 2019 पेश किया। इन तीनों विधायकों को विधानसभा में पारित कर दिया गया, इससे अब राज्य सरकार को नगरपालिकाओं में प्रशासकों की समय-सीमा को बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। बिल पेश करते हुए फिरहाद ने कहा कि बगैर चुनाव जीते कोई निगम का मेयर तो बन सकता है लेकिन उसे छह महीने के भीतर चुनाव जीतना अनिवार्य होगा।
यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन के बाद कई नपा से तृणमूल के पार्षद दल बदल कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। भगवा पार्टी ने राज्य में छह तृणमूल संचालित नगरपालिकाओं को अपने कब्जे में ले लिया है। छह नगरपालिकाओं में से पाच उत्तर 24 परगना जिले से है जबकि एक दार्जिलिंग जिले से है।
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विपक्ष ने विधेयक को बताया अलोकतांत्रिक
संशोधित विधेयक पारित किए जाने को विपक्षी माकपा, काग्रेस और भाजपा ने अलोकतात्रिक बताते हुए इसका विरोध किया है। भाजपा विधायक मनोज टिग्गा ने कहा कि कई नगरपालिकाओं के अधिकांश पार्षद हमारे साथ जुड़ गए हैं, इसलिए तृणमूल भयभीत हो गई है कि उसे कई नगर निकायों में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि सरकार प्रशासकों के कार्यकाल को बढ़ा रही है। वहीं, माकपा विधायक अशोक भंट्टाचार्य ने कहा कि प्रशासकों की मियाद छह महीने बढ़ाना तृणमूल के भय को दशार्ता है। उन्होंने कहा कि बजाय संशोधित विधेयक पेश करने के तृणमूल को खुले मन से जनता के बीच जाना चाहिए और चुनाव जीत कर आना चाहिए। वहीं, कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी ने कहा कि सरकार जनता की राय से भयभीत नजर आ रही है। राज्य में कई नपा की मियाद पहले ही शेष हो चुका है जहां नियम के अनुसार पहले ही चुनाव कराना चाहिए था लेकिन अब प्रशासकों की मियाद बढ़ाने के बूते चुनाव को टाला जा रहा है।
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संवैधानिक बिल ही होता है सदन में पेश : तृणमूल
तृणमूल कांग्रेस विधायक तापस राय ने कहा कि विपक्ष जिस संशोधित विधेयक को असंवैधानिक बता रहा है दरअसल वह संवैधानिक है। जो विधेयक संवैधानिक होता है वही सदन में लाया जाता है और पास होता है। विधेयक का विरोध विपक्ष की हताशा के अलावा और कुछ नहीं है।