केंद्र ने ठुकराई पश्चिम बंगाल का नाम 'बांग्ला' करने की मांग
-केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की दलील नाम बदलने के लिए संवैधानिक संशोधन की जरुरत -बीते साल बंगाल
-केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की दलील, नाम बदलने के लिए संवैधानिक संशोधन की जरुरत
-बीते साल बंगाल विधानसभा में सर्वसम्मति से नाम बदलने का प्रस्ताव हुआ था पारित
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जेएनएन, कोलकाता : केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर 'बांग्ला' करने की ममता सरकार की मांग ठुकरा दी है। बुधवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा सांसद ऋतुब्रत बनर्जी के सवाल के लिखित जवाब में सदन को बताया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर 'बाग्ला' करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं दी है। राज्य का नाम बदलने के लिए सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करने के बाद संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होती है।
गौरतलब है कि गत वर्ष 26 जुलाई को बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बांग्ला, हिदी व अंग्रेजी में बदलकर 'बाग्ला' करने को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा गया था। राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में इसके लिए 'पश्चिम बंग' नाम का सुझाव दिया था, जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया था। 2016 में एक अन्य प्रस्ताव दिया गया, जिसमें राज्य का नाम अंग्रेजी में 'बेंगाल', बांग्ला में 'बाग्ला' और हिदी में 'बंगाल' करने का प्रस्ताव दिया गया। इस घटनाक्रम से अवगत एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि पहले भेजे गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की ओर से यह कहकर आपत्ति जताई गई थी कि बांग्ला नाम पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से काफी मिलता-जुलता है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों के बीच भेद करने में काफी कठिनाई होगी। 2018 के प्रस्ताव को विदेश मंत्रालय के पास उसकी राय जानने के लिए भेजा गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से राज्य का नाम बदलकर बाग्ला करने के लिए समुचित उपाय करने का अनुरोध किया है। देश में इससे पहले 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर 'ओड़िशा' किया गया था।
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संवैधानिक संशोधन केंद्र का काम : मन्नान
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि बंगाल का नाम 'बांग्ला' होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने अगर यह कहा है कि नाम बदलने के लिए संवैधानिक संशोधन करना होगा तो यह काम केंद्र सरकार का है। ऐसे में चाहिए कि केंद्र संविधान में संशोधन करे। नाम बदलने की मांग को केंद्र ने स्वीकार न कर बंगाल विधानसभा की अवहेलना की है क्योंकि नाम बदलने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से विधानसभा में पारित हुआ था।
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बंगाल की उपेक्षा की जा रही है : पार्थ
वरिष्ठ तृणमूल नेता व बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि केंद्र की ओर से हमेशा ही बंगाल की उपेक्षा की जा रही है। राज्य में एक निर्वाचित सरकार है। नाम बदलने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से विधानसभा में पारित किया गया था, ऐसे में केंद्र को आवश्यकता अनुसार इसपर कदम उठाना चाहिए। वहीं, इसपर विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने कहा कि केंद्र को रिमाइंडर भेजा जाना चाहिए। अगर इसपर प्रस्ताव लाया जाता है तो विधानसभा में चर्चा संभव है।
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नाम बदलने को ममता ने पीएम को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया तेज करने के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। ममता ने पीएम मोदी को संसद के मौजूदा सत्र में इसके लिए संविधान में जरुरी संशोधन करने का भी अनुरोध किया है। यह पत्र ऐसे दिन भेजा गया है, जब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया कि केंद्र ने बंगाल का नाम बदलने को अब तक हरी झडी नहीं दी है और इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। ममता ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि वेस्ट बंगाल (पश्चिम बंगाल) नाम अंग्रेजी में है और पश्चिम बंग बांग्ला में। यह (पश्चिम बंगाल) हमारे राज्य के पुराने इतिहास की गवाही नहीं देता। पत्र में आगे कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने 21 अगस्त, 2018 को केंद्रीय गृह सचिव को पश्चिम बंगाल का नाम बदलने के लिए आवश्यक कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया था।