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आदिवासियों ने निष्ठापूर्वक मनाया बांधना पर्व

संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत विभिन्न भागों में गुरुवार को आदिवासियों का बा

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 05:52 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 05:52 PM (IST)
आदिवासियों ने निष्ठापूर्वक मनाया बांधना पर्व
आदिवासियों ने निष्ठापूर्वक मनाया बांधना पर्व

संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत विभिन्न भागों में गुरुवार को आदिवासियों का बांधना पर्व निष्ठापूर्वक मनाया गया। जिले के कुछ हिस्सों में यह त्योहार शुक्रवार को भी मनाया जाएगा।

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जंगल महल में बांधना पर्व का बड़ा प्राचीन इतिहास रहा है। कोतवाली क्षेत्र के बाड़ुआ निवासी संबरण किस्कू ने बताया कि आदिवासियों की आजीविका का मुख्य स्त्रोत कृषि है। इस कार्य में मवेशी उनकी काफी मदद करते हैं। एक तरह से दोनों के बीच सह अस्तित्व का सिद्धांत है। इसलिए आदिवासियों में यह प्रथा कई सालों से चली आ रही है। अमावस्या के दूसरे दिन बांधना पर्व की मान्यताओं के तहत पशुओं खास तौर से गाय-बैल को एक खूंटे से बांध दिया जाता है। इसके बाद उसके सामने आतिशबाजी व बाजा वगैरह बजा कर उसे उत्तेजित किया जाता है। इसके पीछे मूल भावना पशुओं में आक्रामकता और चुस्ती-फूर्ती को बढ़ाने की रहती है। ग्रामीणों का मानना है कि उनकी आजीविका में सहायक गाय-बैल चुस्त-दुरुस्त रहेंगे, तभी उनका अस्तित्व बच पाएगा। इसीलिए साल का एक दिन पशुओं के लिए त्योहार के तौर पर छोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि जिले कुछ हिस्सों में यह पर्व शुक्रवार को भी मनाया जाएगा।


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