मोहब्बत का पैगाम लेकर आया पाक प्रतिनिधि दल
सुरेन्द्र प्रसाद, खड़गपुर : ÞÞहैं जरा सी दूरियां बस सरहदों की, दिल तो एक जैसा है, इधर भी-उधर भी''किसी
सुरेन्द्र प्रसाद, खड़गपुर : ÞÞहैं जरा सी दूरियां बस सरहदों की, दिल तो एक जैसा है, इधर भी-उधर भी''किसी शायर द्वारा लिखित यह पंक्तियां बरबस ही जुबां पर चढ़ गईं, जब पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत आइआइटी खड़गपुर में स्पिक मैके द्वारा छठें अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने को पहुंचा 72 सदस्यीय पाक प्रतिनिधि दल के कुछ सदस्याओं से बात करने का मौका मिला। उनसे बातचीत करने के बाद यही निष्कर्ष निकला कि प्यार-मोहब्बत का पैगाम सरहद के दोनों तरफ से आना चाहिए, ताकि लोगों में जमीनी सतह पर एक-दूसरे के प्रति प्यार और विश्वास उत्पन्न हो। सियासी एवं कुछ अन्य विशेष बातों को छोड़ दी जाएं तो कला-संस्कृति का आदान-प्रदान ही ही एकमात्र ऐसा माध्यम है, जो सरहद की दीवारें तोड़ने में सक्षम है।
सांस्कृतिक समारोह इंटकॉन-18 में आयोजित क्राफ्ट की विभिन्न कार्यशालाओं की ऋंखला में बैम्बू वी¨वग आर्ट के ख्यातिप्राप्त कलाकार त्रिपुरा निवासी सुब्रतो चक्रवर्ती की कार्यशाला में शामिल 30 से अधिक प्रशिक्षुओं मे पाकिस्तान से पहुंचे प्रतिनिधि दल की कुछ सदस्याएं भी हैं, जो बड़े मनोयोग से बैम्बू वी¨वग सीख रही हैं। बातचीत के दौरान वरिष्ठ सदस्या लाहौर निवासी समीना खालिद ने बड़े ही हर्ष के साथ बताया कि वे दूसरी बार भारत आई हैं। इससे पूर्व वे 2014 में एक अन्य संस्था द्वारा आयोजित सांस्कृतिक समारोह में शिरकत करने को आ चुकी हैं। उस दौरान उन्होंने दिल्ली, बंगलूर, अजमेर शरीफ, अमृतसर एवं आगरा की सैर की थी। समीना ने कहा कि हम अपने यहां से मोहब्बत का पैगाम लेकर आए हैं। हमारे सरहदें बंटी हैं, तो क्या हुआ। हमारे दिल तो एक हैं। यहां आकर कभी महससू नहीं हुआ कि हम अलग हैं। हमें यहां अपने भारतीय भाई-बहनों एवं मित्रों से बेइंतहा मोहब्बत मिल रही है। लाहौर की ही रहने वाली नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स में आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहीं अरुज और सारा पहली दफा इस सांस्कृतिक आंदोलन के बहाने भारत आई हैं। उन्होंने कहा कि रमजान के मौके पर घर-परिवार से दूर हैं, उसका थोड़ा मलाल है। हालांकि इस समारोह का हिस्सा बनना काफी अच्छा लग रहा है। यहां बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत आना अपने दूसरे घर आने के समान लग रहा है। बैम्बू वी¨वग कला सीख रहीं अरुज व सारा ने कहा कि पाकिस्तान में भी बैम्बू वी¨वग काफी प्रचलित कला है। वहां चोलेस्तान की तरफ इस कला का काफी चलन है और बड़ी-बड़ी प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं। लोग इनसे बने उत्पादों को खरीद कर घर की सजावट भी करते हैं।