सफलता को जरूरी लगन व मेहनत : आनंद
प्रख्यात गणितज्ञ व सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने विद्यार्थि
तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : प्रख्यात गणितज्ञ व सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने विद्यार्थियों को गुरुमंत्र देते हुए कहा कि जीवन में सफलता के लिए न तो इंग्लिश का ज्ञान जरूरी है और न पैसा महत्वपूर्ण है। लगन और मेहनत से हर बाधाएं दूर हो सकती हैं। आनंद कुमार शुक्रवार को पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत आइआइटी खड़गपुर में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, खड़गपुर के तत्वावधान में आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए उपस्थित हुए थे। नेताजी प्रेक्षागृह में आयोजित Þहां सब संभव है'विषय पर आयोजित आंनद कुमार व्याख्यान सुनने के लिए विद्यार्थियों के अलावा आइआइटी खड़गपुर के कार्यकारी निदेशक प्रो. एस. भट्टाचार्य, रजिस्ट्रार बी.एन. ¨सह, राजभाषा विभाग के प्रो. बी.आर.देसाई, माइ ¨जदगी के अजय ¨सह, राजभाषा अधिकारी राजीव कुमार रावत, खड़गपुर रेल मंडल के वरिष्ठ मंडलीय वाणिज्यिक प्रबंधक कुलदीप तिवारी, योगेन्द्र शुक्ल सुमन, सूर्यदेव झा आदि उपस्थित थे।
आनंद कुमार ने कहा कि ¨हदी माध्यम से पढ़े बच्चों की पीड़ा को वे बखूबी समझते हैं। वे स्वयं इसके शिकार रहे हैं, लेकिन समय के साथ सारी मुश्किलें आसान हो गईं। लगन की बदौलत गणित पर जर्नल्स में उनका जब प्रतिवेदन प्रकाशित हुआ और उन्हें अमेरिका जाने का मौका मिला तब तक देश के अधिकांश बड़े शहरों को ही उन्होंने नहीं देखा था। ठेठ बोली और देशी वेषभूषा के चलते भारत और अमेरिका दोनों हवाई अड्डों पर उनसे जमकर पूछताछ हुई तो उन्हें लगा कि वे किस झमेले में पड़ रहे हैं, लेकिन जल्द ही उनकी झिझक दूर हो गई। कालांतर में उन्हें हावर्ड से लेकर कैंब्रिज तक से बुलावा आया, लेकिन उन्होंने अपनी भाषा, वेशभूषा और खानपान नहीं छोड़ा। बेहद जरूरी होने पर ही वे अंग्रेजी बोलते हैं। उन्हें किसी भाषा से कोई दिक्कत नहीं है। वे बस इतना चाहते हैं कि ¨हदी भाषी छात्र भाषा की समस्या के चलते अपने आत्मबल को कमजोर न होने दें। ¨हदी माध्यम के बच्चों की परेशानी को समझते हुए उन्होंने तमाम प्रस्तावों के बावजूद 16 साल पहले सुपर 30 की स्थापना की। जिसमें मलिन बस्तियों के गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसके चलते उन्हें पटना के को¨चग माफिया से तमाम धमकियां मिली। कई बार जानलेवा हमला हुआ। बेऊर जेल से फोन कर उन्हें धमकियां दी जाने लगी, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए।
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गिनाई उपलब्धियां तो बजी तालियां
आनंद कुमार ने ऑटो चालक की बेटी निधि झा, गरीब परिवार के शशि नारायण, अनूप आदि के उदाहरण देते हुए कहा कि भूमिहीन किसान परिवारों के इन बच्चों ने किस तरह लगन, मेहनत और संघर्ष की बदौलत फ्रांस जैसे देश की गलियों में धूम मचा दिया। उनके इस कथन पर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
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¨हदी में जो आप हैं वो हैं
ठेठ देशी अंदाज में वक्तव्य पेश करते हुए आनंद कुमार ने जुमलों और चुटकलों से लोगों को खूब हंसाया। एक घटना का उद्धरण देते हुए कुमार ने कहा कि एक बार एक कूरियर वाला एक छात्र से चेमिस्ट्री विभाग का पता पूछने लगा। उस छात्र ने बताया कि चेमिस्ट्री नहीं केमिस्ट्री होता है तो कुछ देर बाद वे कोपड़ा यानी चोपड़ा का पता पूछने लगे। ठहाकों के बीच कुमार ने कहा ¨हदी में जो आप हैं वो हैं। इसमें यह समस्या नहीं है। अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले की घटना को याद करते हुए कहा कि इस घटना में उनका सहायक मुन्ना पेट में चाकू लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे कई बोतल खून की जरूरत थी। सुपर 30 के छात्रों ने उसे लगातार अपना रक्त दिया। ¨हदी माहौल में ही ऐसी सहृदयता की उम्मीद की जा सकती है।
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ऋत्विक जैसे अंग्रेज सरीखे अभिनेता ने सीखी ठेठ ¨हदी
छात्रों को उत्साहवर्द्धन करते हुए आनंद कुमार ने कहा कि उन पर राजकुमार हिरानी से लेकर अक्षय कुमार तक ने बॉयोपिक बनाने की सोची, लेकिन उन्होंने जब इसके लिए ऋत्विक रोशन जैसे अंग्रेज सरीखे दिखने वाले अभिनेता को मंजूरी दी तो लोगों ने इस फैसले को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि ऋत्विक रोशन अंग्रेज सरीखा दिखता है। वह आनंद कुमार का किरदार कैसे निभा सकता है, लेकिन मैं अपने फैसले पर अडिग रहा। आखिरकार ऋत्विक रोशन को छह महीने तक ठेठ अंदाज वाली ¨हदी सीखनी पड़ी। क्या यह कम बड़ी बात है।