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सीपीआर के माध्यम से प्राणों की रक्षा संभव

खड़गपुर सेंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड के डिवीजनल कमांडर असीम नाथ

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 06:35 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 06:35 PM (IST)
सीपीआर के माध्यम से प्राणों की रक्षा संभव
सीपीआर के माध्यम से प्राणों की रक्षा संभव

जागरण संवाददाता, खड़गपुर : खड़गपुर सेंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड के डिवीजनल कमांडर असीम नाथ ने कहा कि कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर)

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के माध्यम से हम मरीज या किसी घायल व्यक्ति की प्राणों की रक्षा कर सकते हैं। इस तरीके से कार्डियो अरेस्ट व सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में पीड़ित व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। असीम नाथ शनिवार को पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत आइआइटी खड़गपुर अंतर्गत खनन अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ समीर कुमार दास के प्रयास से विगत 4 सितंबर से आयोजित Þमाइन हैज‌र्ड्स, सेफ्टी एंड लैजीस्लेशन'विषय पर आधारित कार्यक्रम के तहत सीपीआर एवं प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के अंतिम दिन आयोजित इस शिविर में खनन विभाग से संबंधित धनबाद, नागपुर समेत देश के कई स्थानों से पहुंचे प्रतिनिधि शामिल हुए।

प्रतिनिधियों को जानकारी देते हुए असीम नाथ ने कहा कि सीपीआर में अचेत व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलता रहे। दिल की धड़कन सामान्य होने तक अथवा अस्पताल पहुंचाए जाने तक मरीज या घायल व्यक्ति को सीपीआर दिया जा सकता है। उन्होने बताया कि ह्रदयाघात, कार्डियो अरेस्ट, करंट लगने आदि की स्थिति में सीपीआर दिया जा सकता है। डमी पुतले के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करते हुए असीम नाथ ने जानकारी दी कि सीपीआर भी दो प्रकार के होते हैं। पहला सामान्य सीपीआर, जिसमें मरीज को एक मिनट में सौ कंप्रेस के रेशियो में 30 कंप्रेस देने के साथ मुंह से मुंह सटाकर दो बार सांसें दी जाती हैं, वहीं सीओ सीपीआर दूसरा तरीका है, जिसमें मुंह से मुंह सटाने का तरीका न अपनाने की स्थिति में एक मिनट में सौ कंप्रेस के रेशियो में 60 कंप्रेस देना होता है। इस स्थिति में समय के साथ गति का भी ध्यान रखना होता है। शिविर के दौरान ऑटोमेटेड एक्सट्रनल डिफिबुलेशन मशीन के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ह्रदय का एसए नॉड बंद होने की स्थिति में करंट पास करने के लिए इस मशीन का उपयोग किया जा सकता है। एक बार एसए नॉड चालू होने के बाद हम सामान्य सीपीआर का तरीका अपना सकते हैं। उन्होंने अपने साथी देवाशीष घोष के साथ अचेतावस्था में पुर्नप्राप्ति की स्थिति में लाने का तरीका भी सबके साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य काम आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्य करना है। शिविर के दौरान लेक्चरर गौतम बांकुड़ा ने भी प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान कर उपस्थिति प्रतिनिधियों को जागरूक करने का प्रयास किया।


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