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हाथियों के हमले से निपटने को प्रशासनिक बैठक

पश्चिम मेदिनीपुर जिले के मेदिनीपुर शहर स्थित वन विभाग के मेदिनीपुर डि

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Nov 2017 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Nov 2017 03:00 AM (IST)
हाथियों के हमले से निपटने को प्रशासनिक बैठक
हाथियों के हमले से निपटने को प्रशासनिक बैठक

संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिले के मेदिनीपुर शहर स्थित वन विभाग के मेदिनीपुर डिवीजनल कार्यालय सभागार में गुरुवार को प्रशासनिक बैठक का आयोजन किया गया। हाथियों के हमले से होने वाली जान-माल की क्षति को कम से कम करने के मुद्दे पर आयोजित इस बैठक को बतौर मुख्य वक्ता वन दफ्तर (पश्चिमांचल) के मुख्य वनाधिकारी शक्ति शंकर दे ने संबोधित किया।

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बैठक में जन प्रतिनिधि, पुलिस प्रशासन, वन कर्मी व वन बंधु उपस्थित रहे। बैठक के उपरांत मीडिया से मुखतिब होने के क्रम में वन दफ्तर (पश्चिमांचल) के मुख्य वनाधिकारी शक्ति शंकर दे ने कहा कि हम हाथियों द्वारा की जाने वाली जान-माल की क्षति को कम से कम करने के उपायों पर चर्चा के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। उन्होंने कहा कि हाथियों को रोकने के लिए पड़ोसी राज्य ओडिशा के मयूरभंज में जो कॉरिडोर तैयार किया गया है, वहां पर जल समस्या उत्पन्न होने के कारण हाथियों को खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इस समस्या को देखते हुए हम लोगों ने राज्य सरकार के जल तीर्थ प्रकल्प के तहत पांच बड़े जलाशय तैयार करने की योजना बनाई है। इन जलाशयों के समीप बड़ी संख्या में पौधरोपण किया जाएगा, जो हाथियों के लिए खाद्य सामग्री होगी। अगले दो वर्ष में इस योजना पर काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हाल के कुछ वर्षो से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक धान भी हाथियों का प्रिय खाद्य बन गया है। इसलिए हाथी धान की फसलों को अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे मुकाबले के लिए हम तमिलनाडु सरकार से वार्ता कर वहां से विशेष केमिकल मंगाने का बंदोबस्त कर रहे हैं, क्योंकि उस केमिकल को धान खेत में पास छिड़काव करने से हाथी वहां नहीं जाते। हाथियों के सामान्य रास्ते में बाधा उत्पन्न न करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो हाथी अधिक क्षति करता है। इसलिए हमें उनके मार्ग में परिवर्तन करने से बचना होगा। पश्चिमांचल में इन दिनों 240 हाथी विचरण कर रहे हैं, जिसमें से 80 हाथी मेदिनीपुर के जंगलों में हैं। विगत वर्षो की तुलना में इस बार हाथियों के हमले से मानव मृत्यु की संख्या में भी काफी गिरावट आई है।


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