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गैरगेंडा चाय बागान के श्रमिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित

- कंपनी बदलने के बाद भी श्रमिकों की दैनिक स्थिति में नहीं हुआ सुधार इलाज के दवाई भी नह

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 05:55 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 05:55 PM (IST)
गैरगेंडा चाय बागान के श्रमिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित
गैरगेंडा चाय बागान के श्रमिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित

- कंपनी बदलने के बाद भी श्रमिकों की दैनिक स्थिति में नहीं हुआ सुधार, इलाज के दवाई भी नहीं मिलती

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संवाद सूत्र, वीरपाड़ा: चिकित्सा के लिए अस्पताल में दवाई नहीं है। इसके अलावा मरीजों को दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी नहीं है। छात्रों के लिए स्कूल बस नहीं और सड़क भी बदहाल अवस्था में पड़ा हुआ है। उक्त समस्याएं डुवार्स के गैरगेंडा चाय बागान की श्रमिकों की है। चाय बागान वर्तमान समय में मेरिको कंपनी के अंतर्गत है। विभिन्न समस्याओं के कारण यहां रहने वाले श्रमिकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बागान के श्रमिक नेता चाय बागान तृणमूल कांग्रेस मजदूर यूनियन के विष्णु तांति ने कहा कि श्रमिक कर्मचारियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। आर्थिक समस्याओं के कारण श्रमिकों का जीवन काफी दयनीय हो गई है। बागान के अस्पताल में दवाई न होने के कारण श्रमिकों को काफी समस्याएं होती है। यहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से सप्ताह में दो दिन मोबाइल वैन की चिकित्सा सेवा दी जाती है। यहां के श्रमिकों की माने तो बागान के पास से बहने वाली नदी का पानी सड़क पा आर जाने से यातायात का मार्ग भी बदहाल स्थिति में है। इस बार की बारिश में सड़क का अधिकांश हिस्सा टूट गया है। फलस्वरूप राहगीरों व वाहन चालकों को आवाजाही में परेशानी हो रही है। सड़क टूटने के कारण रामझोड़ा हिन्दी हाई स्कूल, डिमडिमा हाई स्कूल व वीरपाड़ा के दूसरे स्कूल के छात्रों को यातायात में समस्या होती है। छात्रों के लिए स्कूल बस भी एक परेशानी का सबक है। बस न होने के कारण प्रतिदिन जीप को किराया देकर स्कूल जाना पड़ता है। श्रमिक नेताओं ने कहा कि इस बार श्रमिकों को 9.1 फीसद बोनस मिला। इससे श्रमिक खुश नहीं हैं। बागान के मैनेजर भारत शर्मा ने कहा कि गैरगेंडा बागान को डंकंस समूह से लिया गया है। बागान खुलने से पहले हुए समझौते के अनुसार श्रमिकों को सभी प्रकार की सुविधाएं दी जा रही है। बीच-बीच में रिव्यू मीटिंग भी की जाती है। वर्तमान समय में श्रमिक डंकंस से काफी बेहतर स्थिति में है।


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