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West Bengal: आदिवासी विकास परिषद ने सरकारी नौकरियों की परीक्षा हिंदी में भी कराने की मांग की, जलपाईगुड़ी में निकाली रैली

राज्य सरकार के विभिन्न नौकरियों की लिखित परीक्षा में हिंदी में प्रश्न पत्र नहीं होते हैं। फलस्वरूप उन परीक्षाओं के लिए तराई-डुवार्स के आदिवासी और हिंदी भाषी युवा आवेदन नहीं कर पाते हैं। आरोप है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आदिवासी युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।

By Edited By: Published: Mon, 29 Aug 2022 05:24 PM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2022 01:01 PM (IST)
West Bengal: आदिवासी विकास परिषद ने सरकारी नौकरियों की परीक्षा हिंदी में भी कराने की मांग की, जलपाईगुड़ी में निकाली रैली
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की ओर से डीएम को दिया गया ज्ञापन । सांकेतिक तस्‍वीर।

जलपाईगुड़ी, जागरण संवाददाता। राज्य सरकार के विभिन्न नौकरियों की लिखित परीक्षा में हिंदी में प्रश्न पत्र नहीं होते हैं। फलस्वरूप उन परीक्षाओं के लिए तराई-डुवार्स के आदिवासी और हिंदी भाषी युवा आवेदन नहीं कर पाते हैं। आरोप है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आदिवासी युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। इसलिए अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद ने सोमवार को जलपाईगुड़ी के जिलाधिकारी को माग पत्र सौंपकर सरकारी नौकरी की परीक्षा में हिंदी में भी प्रश्नपत्र देने की मांग की।

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इस दिन संगठन की ओर से एक रैली निकाली गई, जो डीएम कार्यालय के पास आकर समाप्त हुई। तराई-डुवार्स के अलावा उत्तर बंगाल के जिलों में हिंदी माध्यम के स्कूल और कॉलेज हैं। इन क्षेत्रों के अधिकाश आदिवासी और हिंदी भाषी छात्र हिंदी माध्यम में पढ़ते हैं। इसलिए वे बंगाली और अंग्रेजी में अधिक धाराप्रवाह नहीं हैं। लेकिन यह देखा गया है कि सभी बंगाल की सरकार नौकरी की परीक्षाओं में प्रश्न पत्र हिंदी में नहीं होते हैं। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की मालबाजार इकाई के सचिव बबलू माझी ने बताया कि अंतिम दिन पुलिस कांस्टेबल व आबकारी की लिखित परीक्षा हुई। हालांकि कई आदिवासी शिक्षित युवाओं ने उस परीक्षा के लिए आवेदन किया था, लेकिन प्रश्न पत्र बंगाली और नेपाली भाषाओं में दिए गए थे। इस कारण आदिवासी या हिंदी भाषी युवा पीछे छूट जा रहे हैं।

बबलू माझी ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को लेकर लोगों में काफी रोष है। उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग हिंदी माध्यम की पढ़ाई कर रहे हैं, अगर उन्हें इसी तरह राज्य सरकार की विभिन्न परीक्षाओं से बाहर रखा जाता है, तो उनका भविष्य क्या होगा? इस बीच अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के तराई जिलाध्यक्ष निकोटिन मिंज ने कहा कि नौकरी लिखित परीक्षा के प्रश्न पत्र की यह समस्या कई वर्षों से हो रही है। यह मामला पहले भी विभागीय कमीशन के संज्ञान में लाया गया था। लेकिन समाधान नहीं हुआ। इसलिए हमारा उद्देश्य जिलाधिकारी के माध्यम से अपनी आवाज मुख्यमंत्री तक पहुंचाना है।


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