बंद चाय बागान के श्रमिकों में चुनावी माहौल फीका
- डायना नदी से बालू-पत्थर निकालकर चला रहे परिवार बागान खोलने की मांग संवाद सूत्र नागराक
- डायना नदी से बालू-पत्थर निकालकर चला रहे परिवार, बागान खोलने की मांग
संवाद सूत्र, नागराकाटा: डुवार्स के तीन बंद चाय बागानों में विधानसभा चुनाव को लेकर कोई उत्साह नहीं देखा जा रहा है । धरनीपुर, रेड बैंक , सुरेंद्रनगर यह तीन चाय बागान वर्ष 2012 से बंद पड़ा हुआ है। चाय बागान बंद होने से पहले भी 2003 से कभी बागान बंद होता तो कभी खुलता। पिछले 10 सालों से बंद अवस्था में रहने के बाद चाय बागान के चाय श्रमिक भी हताश और निराश हो गए हैं । चाय बागान खुलने की उम्मीद छोड़ चुके हताश और निराश चाय श्रमिकों में विधानसभा चुनाव को लेकर भी किसी प्रकार का उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है। साथ ही यहां किसी राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार भी नहीं हो रहा है।
बंद इन तीनों चाय बागान के चाय श्रमिक विभिन्न प्रकार कि समस्यों से जड़ित है । इन चाय बागान में कहीं पर पेयजल की समस्या, कहीं सड़क की समस्या, तो कहीं स्वास्थ्य परिसेवा की समस्या है। इस विकट परिस्थिति में भी श्रमिक परिवार दैनिक मजदूरी कर संसार चलाने को बाध्य हैं। श्रमिक परिवार दो वक्त की रोटी के लिए पास के डायना नदी में बालू और पत्थर उठाने का काम करते हैं । लेकिन ठंड के समय में बालू-पत्थर नहीं होने से मनरेगा और सरकार से जीआर में मिलनेवाले 12 किलो राशन के चावल से ही अपना परिवार चलाते हैं।
श्रमिकों का कहना है कि हम इस तरह बचना नहीं चाहते। चाय बागान खुल जाए हम काम करके जीना चाहते हैं । सुरेंद्रनगर चाय बागान के चाय श्रमिक अलमेन्स टोप्पो, कुल बहादुर सार्की, गोपी लामा ने कहा चाय बागान बंद होने से लगभग सभी युवा युवती रोजगार के लिए अन्य राज्य चले गए हैं । इसके अलावा यहा अन्य कोई उपाय नहीं है। चाय बागान में कमेटी बनाया गया है जो कच्ची पत्तियों को तोड़कर बिक्री कर चाय श्रमिकों को दैनिक मजदूरी प्रतिदिन 120 रुपये दिया करती है लेकिन श्रमिक परिवार के लिए काफी नहीं है। रेड बैंक चाय बागान के चाय श्रमिक गेन्द्रा उराव, मिनिस्ता उराव ने कहा कि चाय बागान बंद होने के बाद यहा की अवस्था काफी खराब है। चुनाव आता है और जाता है । लेकिन उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। धरनीपुर चाय बागान के चाय श्रमिक भोला नट्टो, चरण संथाल, सोरेन मुंडा ने कहा कि चाय बागान में जो समस्या है वह समस्या केवल चाय बागान खुलने से ही समाधान हो पाएगा । चाय बागान नहीं खुलने से हमारे बच्चों का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा। चाय बागान बंद होने के कारण छात्रों को स्कूल जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर ही जाना पड़ता। फलस्वरूप बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। उनलोगों की मांग है कि कि चाय बागान को जल्द से जल्द खोला जाए ।