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भूटान व भारत के प्रतिनिधियों ने डोलामाइट खनन स्थल का किया निरीक्षण

- डोलोमाइट से डुवार्स के 25 चाय बागान प्रभावित, उत्पादन में आई कमी संवाद सूत्र, नागराका

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 06:30 PM (IST)
भूटान व भारत के प्रतिनिधियों ने डोलामाइट खनन स्थल का किया निरीक्षण
भूटान व भारत के प्रतिनिधियों ने डोलामाइट खनन स्थल का किया निरीक्षण

- डोलोमाइट से डुवार्स के 25 चाय बागान प्रभावित, उत्पादन में आई कमी

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संवाद सूत्र, नागराकाटा: भूटान के डोलोमाइट के चलते डुवार्स के 25 चाय बागान इलाके में रहने वालों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। चाय उद्योग पर डोलोमाइट के प्रभाव को लेकर भूटान व भारत प्रतिनिधि सदस्यों ने खनन स्थल का निरीक्षण किया। केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य विभाग की ओर से भारत के पांच सदस्य गत रविवार को समची जिला के अंतर्गत पागली भूटान पहुंचे थे। भारतीय प्रतिनिधि टीम का नेतृत्व टी बोर्ड के निर्देशक एस सुंदरराजन कर रहे थे। ये लोग डोलोमाइट खनन स्थल का जायजा लेकर केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे। चाय मालिकों की माने तो भूटान के डोलोमाइट के चलते आसपास के चाय बागानों को काफी नुकसान हो रहा है। इससे पहले शनिवार को फुन्छोलिंग में अधिकारियों के साथ जरूरी बैठक भी आयोजित की गई थी।

टी बोर्ड सूत्रों की माने तो 177.03 हेक्टेयर इलाका डोलोमाइट से प्रभावित होता है। यहां प्रति वर्ष चायपत्ती उत्पादन में भी कमी आ रही है। वर्तमान समय में प्रत्येक वर्ष 880 किलोग्राम ही चाय उत्पादन हो पा रहा है। लेकिन एक चाय बागान को चलाने के लिए साल में कम से कम 2000 किलोग्राम चाय का उत्पादन होना चाहिए। डोलोमाइट से प्रभावित होने वाले चाय बागानों में माकरापाड़ा, बंदापानी, नांगडोला, डिमडिमा, लंकापाड़ा, तुलसीपाड़ा, हंटापाड़ा, धूमचीपाड़ा, टेकलापाड़ा, जयवीरपाड़ा समेत अन्य चाय बागान शामिल हैं।

सरकारी सूत्रों की माने तो गत 17 व 18 मई को भी थिम्पू में दोनों देशों के वाणिज्य सचिव के बीच डोलोमाइट को लेकर चर्चा हुई थी।


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