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क्या वाकई बढ़ रही तेंदुओं की तादाद!

By Edited By: Published: Thu, 29 May 2014 12:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 May 2014 12:00 AM (IST)
क्या वाकई बढ़ रही तेंदुओं की तादाद!

फोटो= गुरजंगझोड़ा चाय बागान में पकड़ा गया नर तेंदुआ

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-वन मंत्री बोले : तेंदुओं पर सर्वे के लिए करेंगे अधिकारियों से बातचीत

संवाद सूत्र, मालबाजार : चाय बागान इलाकों में जंगल से राह भटक आए तेंदुओं की आवाजाही आम लोगों के साथ चाय बागानों की चिंता बढ़ गई है। आए दिन वन विभाग के पिंजड़ों में तेंदुए फंस रहे हैं। यह सिलसिला लगातार चल रहा है। इसलिए आवाज उठने लगी है कि तेंदुओं की वास्तविक तादाद जानने के लिए सर्वे किया जाना चाहिए। बुधवार को तड़के माल प्रखंड के गुरजंगझोड़ा चाय बागान में एक वयस्क नर तेंदुआ पिंजड़े में पकड़ा गया। वन मंत्री विनय कृष्ण बर्मन ने बताया कि वे विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों से सर्वे के बारे में बातचीत कर निर्णय लेंगे।

जानकारी अनुसार माल शहर से पांच किमी दूर गुरजंगझोड़ा चाय बागान में तेंदुओं का आगमन अक्सर होता रहता है जिससे वहां का काम प्रभावित हो रहा है। हाल ही में बागान के सुखानीझोड़ा के निकट एक मृत तेंदुआ मिला था। सोमवार की सुबह बागान के सहायक मैनेजर संजय साहा, अशोक दे की मौजूदगी में चायपत्ती तोड़ने का काम चल रहा था कि उसी समय एक तेंदुआ वहां आ पहुंचा। बाद में शोरगुल के बाद वह झाड़ियों में गुम हो गया। मैनेजर आलोक बनर्जी ने बताया कि वन्य प्राणी डिवीजन से उन्होंने अनुरोध कर मंगलवार को ही पिंजड़ा लगवाया था। बागान के 14-15 नंबर सेक्शन में लगाए गए पिंजड़े में तेंदुआ अगले तड़के फंस गया। बागान के चौकीदार रामधर नायक ने देखा कि तेंदुआ गर्जन कर रहा है। उसकी नाक सूजकर लाल हो गई थी।

गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन की डीएफओ सुमिता घटक ने बताया कि वयस्क नर तेंदुए को स्वस्थ हालत में गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया है। तेंदुआ पकड़े जाने के बावजूद वहीं पर फिर से पिंजड़ा लगाया गया है। हाल ही में निदाम, गुडहोप, वाशाबाड़ी जैसे चाय बागानों में तेंदुआ पकड़ने के लिए पिंजड़े लगाए गए हैं। जानकारों का मानना है कि चाय बागान की घनी झाड़ियां तेंदुओं की मनपसंद जगह है जहां मादा तेंदुआ अक्सर शावकों को जन्म देती हैं। बागान में उन्हें खरगोश और पशु पक्षी जैसे शिकार आसानी से मिल जाते हैं। हाल के दिनों में चाय बागानों में तेंदुओं के पकड़े जाने की घटना में वृद्धि से सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई तेंदुओं की आबादी बढ़ रही है या भोजन की कमी से वे रिहाइशी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं। हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन (नैफ) के संयोजक अनिमेष बसु ने कहा कि उनका संगठन काफी दिनों से चाय बागानों में तेंदुओं की संख्या का सर्वे करने की मांग करते आ रहा है। एक प्रश्न के उत्तर में डीएफओ सुमिता घटक ने कहा कि तेंदुओं के आवासीय क्षेत्र और उनकी संख्या का सर्वे किए बिना यह कहना मुश्किल है कि तेंदुओं की संख्या वाकई बढ़ रही है या नहीं। यह सर्वविदित है कि जमाने से चाय बागान इन वन्य पशुओं के पसंदीदा इलाके रहे हैं।


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