27 को शहीद दिवस मनाएगा गोजमुमो
गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन में प्राण की आहुति देने वाले शहीदों की याद गोजमुमो आगामी 27 जुलाई को शहीद दिवस पालन करने जा रहा है।
दार्जिलिंग, संवादसूत्र।गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन में प्राण की आहुति देने वाले शहीदों की याद गोजमुमो आगामी 27 जुलाई को शहीद दिवस पालन करने जा रहा है। हालांकि इस दिन जीटीए के कार्यालय, स्कूल व कालेज को छोड़कर सभी संस्थान बंद रहेंगे।
वही जीटीए की ओर से निजी कार्यालय, स्कूल व महाविद्यालय को चेयरमैन विनय तामांग ने छुट्टी की घोषणा की अपील की है। इस दिन गोजमुमो का होने वाला शहीद दिवस किसी जगह केंद्रित नहीं रहेगा। दार्जिलिंग के गोरखा रंगमंच भवन, कालिम्पोंग का शहीद पार्क, कर्सियांग का इगेल क्रेग, मिरिक के सौरेनी में पार्टी भव्य रूप से शहीद दिवस का पालन करने जा रहा है।
वही दूसरी ओर गोरामुमो सोनादा में आगामी 27 जुलाई को शहीद दिवस का पालन कर रहा है। बता दें कि 1986 साल में सुभाष घीसिंग के गोरखालैंड आंदेालन में शुरू में 27 जुलाई को कालिम्पोंग में कई समर्थक शहीद हुए थे। उनको आंदोलन में कुल 28 महीने में 1200 लोगों ने अपनी जान दी थी। वही 2007 से लेकर 2017 के गोजमुमो के आंदोलन में कई समर्थक शहीद हुए थे।
हाल ही में गोजमुमो के संस्थापक व सुप्रीमो ने हाल ही जून महीने में फरमान जारी करते हुए कहा था कि 2017 साल में शहीद हुए समर्थकों की याद में शाम के समय दिया जलाने की बात कही थी। इससे पहले गोरखा रंगमंच भवन में गत आठ जून 2017 में हुए कांड में जीटीए से जिला प्रशासन ने अपने हाथों में ले लिया था।
हालांकि भवन परिसर शहीद बेदी होने के कारण प्रशासन की अनुमति से गोजमुमो अब गोर्खा रंगमंच भवन में फिर से शहीद दिवस पालन करने जा रहा है। वही दूसरी तरफ गोरामुमो के सोनादा सार्वजनिक स्थल पर शहीद दिवस मनाने को लेकर अब तक अनुमति नहीं मिली है। पार्टी नेता संदीप लिम्बू ने इसकी जानकारी दी।
माना जा रहा है कि इस बार शहीद दिवस कार्यक्रम काफी रोचक होने जा रहा है। कारण गोजमुमो का राजनीतिक विस्तारिकरण तेजी से होना, फिर मन घीसिंग द्वारा हिल्स एरिया डेवलपमेंट कमेटी से राज्य सरकार को इस्तीफा देना एवं सोनादा में गोरामुमो की ओर से शहीद दिवस मनाना एवं छठी अनुसूची का मुद्दा उठाना है।
जानकारों का मानना है कि गोजमुमो के विनय-अनित पंथी शहीदों का सपना गोरखालैंड राज्य अब यहां पर खुलकर यह मुद्दा नहीं उठा पाएगा। केवल समर्थकों को रूझाने के लिए इस प्रकार का कार्यक्रम किया जा रहा है। ऐसे में शहीदों का सपना साकार करने का एक मात्र मुद्दा अब दोनों पार्टियों के बीच शहीद कार्यक्रम एक खास विषय बनकर रहेगा।