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पहाड़ से निकली कई नदियां सिलीगुड़ी होकर गुजरती हैं, महानंदा नदी गंदा क्यों ?

सिलीगुड़ी हिमालय की गोद में बसा है। पहाड़ से निकली कई नदियां सिलीगुड़ी होकर गुजरती हैं। वर्तमान समय में इन नदियों पर संकट के बादल मड़राने लगे हैं। नदियां प्रदूषित हो रही हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 03:08 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 03:08 PM (IST)
पहाड़ से निकली कई नदियां सिलीगुड़ी होकर गुजरती हैं, महानंदा नदी गंदा क्यों ?
पहाड़ से निकली कई नदियां सिलीगुड़ी होकर गुजरती हैं, महानंदा नदी गंदा क्यों ?

सिलीगुड़ी, शिवानंद पांडेय। सिलीगुड़ी हिमालय की गोद में बसा है। पहाड़ से निकली कई नदियां सिलीगुड़ी होकर गुजरती हैं। वर्तमान समय में इन नदियों पर संकट के बादल मड़राने लगे हैं। नदियां प्रदूषित हो रही हैं। इसके अलावा अतिक्रमण से सिकुड़ती भी जा रही हैं। नदियां नाले में तब्दील होने लगी हैं। जिस तरह से नदियों में गंदगियां फैलाई जा रही है। इससे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा है।

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सिलीगुड़ी के जाने माने पर्यावरणविदों का कहना है कि महानंदा नदी सिलीगुड़ी के बीच शहर से गुजरती है। इसे सिलीगुड़ी की जीवन-रेखा भी कही जाती थी। प्रत्येक दिन लाखों लोगों का सिलीगुड़ी आना जाना लगा रहता है। इनमें असम, बिहार, सिक्किम, दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र, नेपाल, बांग्लादेश व भूटान समेत अन्य जगहों से लोग आते हैं। ज्यादातर लोग यहीं पर गैरकानूनी रूप से नदी के जमीन पर ही अपना घर बनाकर रह गये हैं। शहर में पर्याप्त शौचालय की व्यवस्था नहीं होने प्रत्येक दिन लगभग 50 हजार लोग नदी में ही दैनंदिनी क्रिया करते हैं।

लोगों का मानना है कि शहर में जीतने भी गैरेज हैं, इन गैरेजों से मोबील, तेल व अन्य गंदगियां नदियों में जाती है। इसके अलावा नदियों के तट पर स्थित खटालों का भी यही हाल है। शहर के सभी ड्रेनों का कचरा व ड्राईक्लिनर्स का गंदा पानी नदी में ही गिरता है। सिलीगुड़ी जंक्शन डीजल लोको शेड का गंदगी भी महानंदा में ही आती है। विभिन्न देवी देवताओं के प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान प्रतिमा पर लगाये गये पेंट व अन्य रसायनिक पदार्थ नदियों में घुल जाता है। ऐसे में नदी शुद्धिकरण की अपेक्षा कैसे की जा सकती।

नदी के प्रदूषण से जल-प्राणी हो रहे लुप्त :

सिलीगुड़ी के पर्यावरणविद व नैफ के संयोजक अनिमेष बोस ने कहा कि पहले महानंदा का पानी लोग पीते थे। आज इसमें नहाने से डर लगता है। महानंदा को जिस तरह से प्रदूषित किया जा रहा है, इस स्थिति में नहाना यानी बीमारी को दावत देना जैसा है। नदी के प्रदूषण से मछलियां समेत अन्य जल-प्राणी लुप्त होते जा रहे हैं। महानंदा के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार द्वारा सैकड़ों करोड़ रुपये की एक महात्वाकांक्षी योजना महानंदा एक्शन प्लान चालू की थी। लेकिन यह भी अधर में ही लटककर रहा गया है।

नदियों का अतिक्रमण मुक्त व वृक्ष लगाने के प्रति लोग हों सजग :

उनका कहना था कि नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने के प्रति सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठक कर इस नदी को अतिक्रमण मुक्त व इसके सौंदर्यीकरण के लिए प्रयास करना चाहिए। नदियों में गंदगी के प्रवेश को रोकने के नैफ खुद अभियान चलाया जाता है। उन्होंने बताया कि नैफ द्वारा पर्यावरण के संरक्षण के लिए समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं।


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