West Bangal: मॉब लिंचिंग निरोधी बिल पर राज्यपाल ने मांगा स्पष्टीकरण
बंगाल विधानसभा में मॉब लिंचिंग निरोधी पारित बिल को लेकर जटिलता अब भी बरकरार है। विस में पास होने से पहले और पास होने के बाद बिल में अंतर होने का वामो-कांग्रेस ने लगाया था आरोप
कोलकाता, जागरण संवाददाता। बंगाल विधानसभा में मॉब लिंचिंग निरोधी पारित बिल को लेकर जटिलता अब भी बरकरार है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार से पास होने के समय विस सदस्यों को दिए गए बिल के मसौदे और पारित होने के बाद के बिल के मसौदे में अंतर को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस और वाममोर्चा ने विधानसभा में पास हुए बिल और राज्यपाल के हस्ताक्षर वाले बिल के मसौदे में अंतर होने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।
सूत्रों के मुताबिक दुर्गापूजा की छुट्टी से पहले ही सरकार की ओर से राज्यपाल को रिपोर्ट भी सौंपी गई थी, लेकिन सरकार के जवाब से राजभवन संतुष्ट नहीं है। यही कारण है कि राज्यपाल ने राज्य सचिवालय से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। राज्यपाल द्वारा नए सिरे से रिपोर्ट तलब करने के बाद कानून विभाग की मदद से दो-तीन दिनों के भीतर सामूहिक पिटाई रोकथाम बिल की विस्तृत रिपोर्ट फिर से राज्यपाल को सौंपी जाएगी।
गौरतलब हो कि विधानसभा में किसी तरह का बिल पेश करने के पहले तैयार मसौदे पर राज्यपाल के हस्ताक्षर करवाने होते हैं। राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद ही विधानसभा में बिल पेश किया जाता है। विधानसभा में बिल पास हो जाने के बाद फिर से उसे राज्यपाल के पास भेजा जाता है, जहां फिर से राज्यपाल हस्ताक्षर करते हैं, जिसके बाद वह कानून बन जाता है।
मालूम हो कि मानसून सत्र में तृणमूल सरकार ने सामूहिक पिटाई रोकथाम बिल पास कराया था। पर आरोप है कि पास होने से पहले विधानसभा के सदस्यों के बीच आवंटित बिल और पास होने के बाद के बिल में फर्क दिख रहा है। इसी मुद्दे पर बीते दिनों नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस विधायक अब्दुल मन्नान व वाममोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती समेत विपक्ष के कई विधायक राज्यपाल से मिल थे और नए सिरे से बिल की जांच कराने की अपील की थी। उनकी बात मानते हुए राज्यपाल ने सरकार से रिपोर्ट तलब की है।