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सतपालजी महाराज के साथ आध्यात्मिक ज्योति जलाकर किया गया नववर्ष का अभिनंदन

सिलीगुड़ी में आध्यात्मिक ज्योति जलाकर नववर्ष का अभिनंदन किया गया। इसके अगुवा थे मानव धर्म के प्रणेता सतपालजी महाराज। हजारों ने मोमबत्ती जलाकर ज्योति से ज्योति जलाते चलो... गाया।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 11:00 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 11:00 AM (IST)
सतपालजी महाराज के साथ आध्यात्मिक ज्योति जलाकर किया गया नववर्ष का अभिनंदन
सतपालजी महाराज के साथ आध्यात्मिक ज्योति जलाकर किया गया नववर्ष का अभिनंदन
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। सिलीगुड़ी में आध्यात्मिक ज्योति जलाकर नववर्ष का अभिनंदन किया गया। इसके अगुवा थे मानव धर्म के प्रणेता सतपालजी महाराज।मध्य रात्रि 12 बजे महाराजजी एवं सम्पूर्ण दिव्य परिवार की उपस्थिति में हजारों भक्तों तथा संत-महात्माओं ने दोनों हाथों में मोमबत्ती जलाकर ज्योति से ज्योति जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो...भजन के सुर में सुर मिलाते हुए नए वर्ष 2019 में प्रवेश किया। यह अलौकिक नजारा देखने के लिए भी देश-विदेश से हजारों भक्त मौजूद थे।
नव वर्ष के अभिनंदन में जलती मोमबत्ती लेकर भजन गाते लोग।
इसके पहले उन्होंने कहा कि अहंकार ही भक्ति के मार्ग में सबसे वड़ा व्यवधान है। वे मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के दूसरे दिन सालूगाड़ा स्थित मानव धर्म आश्रम परिसर में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
भक्तों को आशीर्वाद देते सतपालजी महाराज।
उन्होंने नए वर्ष के अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी तथा अध्यात्म ज्ञान की शक्ति से भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जब धरती पर नकारात्मक शक्तियां बढ़ जाती हैं, तब महापुरुषों का आगमन होता है। वे लोगों को आत्मज्ञान प्रदानकर उनकी नकारात्मक सोच को बदल देते हैं।
सद्गुरु लोगों के मन की सफाई करने की दवा देते हैं। मनुष्य जीवन को मुक्ति का साधन बताते हुए महाराजजी ने लोगों को तत्वदर्शी सद्गुरु से आत्मज्ञान जानने और भगवान के अविनाशी पावन नाम का सुमिरन करने का अमूल्य संदेश दिया। चाय बागानों के गरीब एवं सरल स्वभाव के लोगों का जिक्र करते हुए महाराजजी ने कहाकि अंग्रेजों ने चायबागान बनाकर उसके बाहर शराब की दुकान खोल दी, जिससे गरीब मजदूर जो कमाकर लाते थे, शराब खरीद कर पी लेते और घर में जाकर अशांति पैदा करते थे। जब से इन चायबागानोंं में हमारे मानव धर्म का प्रचार हुआ, लोगों ने आत्मज्ञान जाना और उनका जीवन परिवर्तित हो गया।
उन्होंने कहा कि भक्ति करने के लिए ही मनुष्य शरीर मिला है। इसे माया के प्रेम में न पड़कर प्रभु के प्रेम में लगाना चाहिए, तब जाकर हमारा भी परिवर्तन होगा और देश का भी भला होगा। वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हुए उन्होंने कहा कि महापुरुष पूरे विश्व को अपने परिवार के रुप में देखते हैं और सबके लिए मंगल की कामना करते हैं।
शाम को भजन-सत्संग का कार्यक्रम शुरू हुआ। पूज्यमाता श्रीअमृताजी भी अपने प्रेमी भक्तों एवं इंटरनेट के माध्यम से प्रोग्राम देख रहे दर्शकों को नए वर्ष 2019 की शुभकामनाएं प्रदान की। उसके बाद सदगुरु महाराजी, माताश्री अमृताजी, विभूजी महाराज, माताश्री आरध्याजी एवं सुयेशजी महाराज ने भक्तों को नए वर्ष की शुभकामनाएं दीं। काफी ठंड के बावजूद छोटे छोटे बच्चों ने स्टेज पर सुंदर-सुंदर आध्यात्मिक नृत्य और नाटक प्रस्तुत किए। हरिद्वार से पधारे महात्मा वर्धमाननंदजी ने कहा कि हम भक्त लोग कितने भाग्यशाली हैं कि जहां आज कितने लोग होटलों में जाकर नए वर्ष का जश्न मना रहे होंगे, वहीं हम भक्त लोग सद्गुरु महाराजजी के सानिध्य में बैठकर प्रभु के गुणगान के साथ नया साल मना रहे हैं। 

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