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आजादी की आखिरी रात, क्या होती है बात?!

सबहेड कुछ शादी से पहले कुछ

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 10:07 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 10:07 PM (IST)
आजादी की आखिरी रात, क्या होती है बात?!
आजादी की आखिरी रात, क्या होती है बात?!

फोटो : राजेश 13

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(बिना कैप्शन के स्टोरी फोटो) सबहेड : 'कुछ शादी से पहले, कुछ शादी के बाद' ओए-होए, नहीं-नहीं, 'सब कुछ पहले'! -मद्धम रौशनी व रूमानी धुनों के बीच पल-पल जवां होता है 'प्यार'

-'माइल्ड' 'वाइल्ड' 'कंफेशन' 'प्रॉमिस' खिलते हैं बहुत से गुल इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी :

नए जमाने में सब कुछ नया-नया होता जा रहा है। इससे शादी-विवाह भी अछूते नहीं रहे। अब शादी के संस्कारों ने भी नया चोला पहन लिया है। उन्हीं चोलों में एक चोला है 'बैचलर पार्टी'। शादी करने जा रहे जोड़े अमूमन शादी के एक महीने पहले से लेकर एक हफ्ते पहले तक यह मनाते हैं। चंद बरस पहले केवल लड़के ही इसे मनाते थे। मगर, अब लड़के-लड़कियां सब मिल कर मस्ती करते हैं। इसमें बस उन्हीं दोस्तों को एंट्री मिलती है जो 'दो जिस्म एक जान' सरीखे होते हैं। 'बैचलर पार्टी' को दरअसल 'आजादी की आखिरी रात' के रूप में मनाया जाता है।

इस फैशन के दीवाने युवाओं का मानना है कि शादी असल में कैद है। शादी के बाद जिंदगी जिंदगी नहीं रह जाती। सारी आजादी खत्म हो जाती है। सो, शादी से पहले 'आजादी की एक रात' तो होनी ही चाहिए। बस, सज जाती है वह रात। कहीं किसी खासम-खास दोस्त का खाली घर रात भर के लिए नसीब हो गया तो सोने पे सुहागा वरना एक से एक होटल, रेस्तरां, क्लब, पब व बार, रेसॉर्ट वगैरह-वगैरह इसके लिए सारी सहूलतों के साथ पलकें बिछाए बैठे हैं। क्योंकि, इससे उनकी गाढ़ी कमाई जो हो जाती है।

अब सवाल उठता है कि, जवान लड़के-लड़कियां सारी रात घर से बाहर कैसे रह जाते हैं? घर वाले कुछ नहीं कहते? तो ऐसा है कि वे घर वालों से परमिशन लिए रहते हैं। मगर, हर गार्जियन को यही पता होता है कि उनका लड़का/लड़की अपने दोस्त/सहेली के घर पर किसी खास पारिवारिक कार्यक्रम में जा रहे हैं और रात वहीं ठहरेंगे। अगर कोई गार्जियन क्रॉस-चेक भी करे तो सब-दोस्त एक-दूसरे के गार्जियन को 'कंफर्मेशन' भी दे देते हैं कि 'हां, अंकल/आंटी वो हमारे घर पर ही है, आप बेफिक्र रहें' और गार्जियनों को तसल्ली हो जाती है।

खैर, अब मुद्दे की बात, जो कुछ लड़के-लड़कियों ने अपना परिचय न छापने की शर्त पर बताई। आखिर क्या होता है उस रात? एक जुमले में कहें तो वह मद्धम रौशनी व रूमानी धुनों के बीच 'शराब व शबाब की खुमारी भरी हसीन रात' होती है। हर दोस्त/सहेली को हर हाल में एक बोतल बीयर या शराब 'कंट्रीब्यूट' करनी होती है। उसके बाद जरूरत के हिसाब से 'एक्स्ट्रा' जो भी लगे उसका 'ऐरेंजमेंट' जोड़े को ही रखना/करना पड़ता है। पहला 'स्टार्ट-अप' राउंड मनचाहे स्टार्टर्स, कुछ चटपटे चखने, चिप्स, सिगार, सिगरेट व जाम भरा होता है। इसमें मूड बनाया जाता है।

मूड बन जाने के बाद इस 'माइल्ड' राउंड को 'वाइल्ड' किया जाता है। खूब पी जाती है। खूब-खूब पी जाती है। और कोई भले जितना चाहे उतना ही पिए मगर जोड़े को हर दोस्त/सहेली के नाम कम से कम एक जाम लेना ही पड़ता है चाहे वह 'टुल्ल' हो जाए या 'हैंग' या 'चैर्रैट'। इस दौरान सारे दोस्त सेक्सी गाने गा कर, सेक्सी ठुमके लगा कर, सेक्सी अदाएं बिखेर कर अपने-अपने सेक्सी टैलेंट भी शो करते हैं व खूब वाहवाही बटोरते हैं।

सेकेंड राउंड 'मेन कोर्स' का होता है यानी कि 'फुल्ल बेली मील' मतलब भरपेट भोजन। जो-जो, जो-जो चाहे, जितना चाहे खाए 'बिल' जोड़े के नाम ही फटता है। फिर थर्ड राउंड लगता है 'टिप्स राउंड' इसमें नॉन-वेज जोक्स, सेक्सी ऑडियो-वीडियो क्लिपिंग के के तड़के के साथ दोस्त-सहेली अपनी-अपनी ओर से जोड़े को एक से एक आइडिया व टिप्स देते हैं। इसलिए कि उनकी आगे की जिदंगी में काम आ सके। इस दौरान सब एक-दूसरे संग पूरी भाव-भंगिमा के साथ प्रायोगिक ज्ञान भी बघारते हैं। उसके बाद चौथा 'मेस्स-अप' राउंड होता है। इसमें एक-दूसरे को किसिंग-हगिंग यानी चुम्बन व आलिंगन की पूरी आजादी होती है। अहम यह कि हर राउंड में हल्की-हल्की शराब संग-संग चलती रहे, यह अनिवार्य होता है। सो, किसी को भी नशे में 'हद' का 'होश' नहीं रहता।

आखिरी पलों में पांचवां राउंड 'कंफेशन' का होता है। इसमें जोड़े सबके सामने एक-दूसरे से अपने-अपने अतीत के राज खोलते हैं। मतलब, पहले कोई अफेयर्स-वफेयर्स था या नहीं, यह उसका कबूलनामा होता है। मगर, इस प्रॉमिस के साथ कि जो हो गया सो हो गया अब और नहीं। अब से वे दोनों बस एक-दूसरे की ही वफादार रहेंगे।

एकदम अंत में सब मिल कर 'गिफ्ट राउंड' में जोड़े को 'एक से एक' तोहफे देते हैं। इसके साथ ही 'कंफेशन' यानी स्वीकारोक्ति की शाबाशी और 'प्रॉमिस' की शुभकामनाएं भी देते हैं। 'गिफ्ट राउंड' में गिफ्ट आकर्षक होते हैं। इस राउंड के आते-आते भोर होने को होती है।

अब जिन्हें यह सब पढ़-सुन कर 'छी:-छी:' का एहसास हो रहा है तो उनके लिए एक 'गुड न्यूज' भी है। वह यह कि अभी भी बहुत से ऐसे जोड़े हैं जो अपने घर में ही या आसपास के किसी रेस्तरां में परिवार व दोस्तों संग सीधे-सादे खान-पान व मनोरंजन भरे समारोह कर भी 'संस्कारी बैचलर पार्टी' भी मनाते हैं।


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