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विनय तमांग ने गुरुंग को दी चुनौती, अलग गोरखालैंड पर अडिग गुरुंग

गोजमुमो नेता विनय तमांग की अगुवाई में कर्सियंग में हुई राष्ट्रीय समिति की बैठक के बाद तमांग ने शुक्रवार से 12 दिनों तक बंद उठा लेने की घोषणा की।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 01 Sep 2017 05:09 PM (IST)Updated: Fri, 01 Sep 2017 05:09 PM (IST)
विनय तमांग ने गुरुंग को दी चुनौती, अलग गोरखालैंड पर अडिग गुरुंग

कोलकाता,  [राज्य ब्यूरो] । पहाड़ के कुछ राजनीति दलों के साथ 29 अगस्त को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक होने के बाद दार्जिलिंग में बर्फ पिघलने की जो उम्मीद जगी थी वह एकाएक बूझ गई। अब 12 सितंबर को उत्तर कन्या में पहाड़ की राजनीतिक पार्टियों के साथ मुख्यमंत्री की होनेवाली दूसरी बैठक के सफल होने पर संदेह पैदा हो गया है।

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सूत्रों के मुताबिक अंतिम क्षण में वह बैठक रद करनी पड़े तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। इसलिए कि पहाड़ में लगातार बंद व धरना प्रदर्शन को लेक पहाड़ की राजनीतिक पार्टियों में मतभेद खुल कर सामने आ गया है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) दो भागों में बंट गया है। मुख्यमंत्री के साथ बैठक में भाग लेनेवाले विनय तमांग पर विमल गुरुंग ने विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। विनय तमांग और विमल गुरुंग समर्थकों के बीच दरार मारपीट और हाथापाई तक चली गई है।

गोजमुमो नेता विनय तमांग की अगुवाई में गुरुवार को कर्सियंग में हुई मोर्चा की राष्ट्रीय समिति की बैठक के बाद तमांग ने शुक्रवार से 12 दिनों तक बंद उठा लेने की घोषणा की। लेकिन उसके तुरंत बाद मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग ने इस पर पानी फेर दिया और कहा कि पहाड़ में लगातार बंद जारी रहेगा। शुक्रवार को विमल गुरुंग गुट ने बंद के समर्थन में पहाड़ में जगह-जगह जुलूस भी निकाला। गुरुंग ने विनय तमांग को पार्टी से निकालने की धमकी दी है। इस पर विनय तमांग ने भी गुरुंग को चुनौती दी है। विनय तमांग ने दावा किया है कि पहाड़ की जनता उनके साथ है।

लेकिन अब पहाड़ में किसका नेतृत्व चलेगा यह देखने का समय आ गया है। सरकार पहाड़ की स्थिति पर कड़ी नजर रख रही हैं। पहाड़ की पार्टियां जब खुद आपस में लड़ रही हैं तो ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री के 12 सितंबर को उत्तर कन्या में किसके साथ बैठक करेंगी इसे लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। गुरुंग ने कहा कि गोरखालैंड को छोड़ कर अन्य किसी मुद्दे पर सरकार के साथ बातचीत नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने 29 अगस्त की बैठक में ही स्पष्ट कर दिया कि अलग राज्य का मुद्दा उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यह केंद्र का मामला है। मुख्यमंत्री ने अलग गोरखालैंड के मुद्दे पर बातचीत करने से सिरे से इन्कार कर दिया है।


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