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फिलहाल ट्रेन सेवा स्वभाविक होना मुश्किल-डीआरएम

-अभी एक से दो महीने का लग सकता है वक्त -ट्रेनें चलाई गई तो बढ़ जाएगा कोरोना संक्रमण क

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 08:57 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 06:20 AM (IST)
फिलहाल ट्रेन सेवा स्वभाविक होना मुश्किल-डीआरएम
फिलहाल ट्रेन सेवा स्वभाविक होना मुश्किल-डीआरएम

-अभी एक से दो महीने का लग सकता है वक्त

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-ट्रेनें चलाई गई तो बढ़ जाएगा कोरोना संक्रमण का खतरा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोविड-19 महामारी के इस दौर में जिस तरह से प्रत्येक दिन कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, इसे देखते हुए अगले एक से दो महीने यात्री ट्रेनों को स्वाभाविक परिचालन शुरू होना संभव नहीं है। हालांकि पूर्व निर्धारित स्पेशल ट्रेनें व श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलती रहेंगी। उक्त बातें एनएफ रेलवे, कटिहार डिवीजन के डीआरएम रविंद्र कुमार वर्मा ने कही है। वह गुरुवार को वेबनार के जरिए संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना के इस दौर में ट्रेन सेवा सुचारू रूप से बहाल होने पर मामले और बढ़ जाएंगे। इसे देखते हुए रेलवे द्वारा अभी सभी ट्रेनों का परिचालन शुरु नहीं किया जा रहा है।

डीआरएम वर्मा ने बताया कि पिछले एक वर्ष में कटिहार डिवीजन अंतर्गत विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर काफी विकास कार्य किए गए हैं। एनजेपी व कटिहार स्टेशन पर दो जोड़ी एस्केलेटर तथा दो लिफ्ट लगाए गए हैं। एनजेपी स्टेशन फुट ओवर ब्रिज का निर्माण कराया गया है। उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी समेत विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर एयरपोर्ट जैसी लाइट की सुविधा मुहैया कराई गई है। कटिहार डिवीजन से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में सौ प्रतिशत बॉयो टॉयलेट की सुविधा प्रदान की गई है।

डीआरएम ने कहा कि यात्री सुरक्षा को प्रथम वरीयता दी गई है। उन्होंने कहा कि एनजीटी का गाइड लाइन फॉलो करते हुए स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल क्रसर मशीन लगाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कटिहार डिवीजन अंतर्गत सैकड़ों श्रमिक स्पेशल ट्रेनें विभिन्न जगहों से पहुंची हैं। इनमें एनजेपी में 79 श्रमिक स्पेशल ट्रेन अब तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा आइआरसीटीसी के के सहयोग से 33 हजार 298 पैकेट भोजन जरूरतमंदों को मुहैया कराया गया है। गोरखालैंड आंदोलन में जलाए गए स्टेशनों का हुआ जीर्णोद्धार

उन्होंने कहा कि गोरखालैंड आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों द्वारा जला दिए गए सोनादा व गायाबारी डीएचआर स्टेशन का फिर से जीर्णोद्धार कराया गया है। इसके अलावा एनआरसी व सीएए के विरोध में आंदोलनकारियों द्वारा जलाए गए भालुका रोड स्टेशन को भी फिर से बना दिया गया है।


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