पर्यटन कारोबार की पूरी तरह से टूटी कमर
-होटलों की बुकिंग कैंसिल कराने का सिलसिला शुरू -कुछ कमाने की उम्मीद लगाए बैठे टूर ऑपरे
-होटलों की बुकिंग कैंसिल कराने का सिलसिला शुरू
-कुछ कमाने की उम्मीद लगाए बैठे टूर ऑपरेटर बेहद निराश -यही स्थिति रही तो भविष्य ना जाने क्या होगा
-एंटीजेन टेस्ट की अनुमति के बाद भी पर्यटकों के आने पर संदेह 72
घंटे पहले की आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य था पहले
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डोज लेने वाले पर्यटकों की संख्या बेहद कम
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डोज लेने वालों की संख्या पचास फीसदी से भी कम जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो कोरोना महामारी से प्रभावित हुआ हो। कमोवेश हर क्षेत्र को कोरोना काल में नुकसान हो रहा है। लेकिन कोरोना के इस आतंकित काल मे पर्यटन व्यापार पर एक के बाद एक गाज गिर रही है। दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने से कारोबार ठीक होने की उम्मीद पर्यटन व्यापारियों को थी। लेकिन अब उनकी उम्मीदों को एक और झटका लगा है। पहले से बदहाल पर्यटन कारोबार की कमर पूरी तरह से टूट गई है। टूर ऑपरेटरों को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें। दार्जिलिंग जिले में अब वही पर्यटक आ सकते हैं जिनकी 72 घंटे पहले की कोरोना आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव हो। हां जिन पर्यटकों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग गई है वह भी आ सकते हैं। इस दिशा निर्देश के जारी होने के करीब पांच दिन बाद पर्यटन कारोबार पूरी तरह से पटरी से उतर गई है। पिछले कुछ दिनों को दौरान कोरोना से स्थिति में सुधार के बाद पर्यटक आने लगे थे। भले ही इनकी संख्या कम थी लेकिन पर्यटन स्थल धीरे-धीरे गुलजार होने लगे थे। लेकिन इस नए निर्देश ने फिर से इस कारोबार पर संकट पैदा कर दिया है।
बीते वर्ष कोरोना के आगमन के साथ ही सबसे पहला गाज पर्यटन व्यापार पर पड़ा। पर्यटन व्यापार से जुड़े होटल, होम स्टे, टूर ऑपरेटर, हवाई और रेल टिकट का कम करने वालों का व्यापार एक ही बार में धड़ाम से नीचे गिर गया। पहले चरण मे संक्रमण की रफ्तार कम होने पर टूर ऑपरेटरों ने पर्यटकों के आगमन को लेकर योजना बनानी शुरु ही की थी कि पहले से भी ज्यादा आक्रामक रुप और तेज रफ्तार से दूसरे स्ट्रेन ने दस्तक दे दी। दूसरी लहर मे भी संक्रमण कि रफ्तार कम हुई तो पड़ोस के पूर्वोत्तर राज्यों मे तीसरी लहर की दस्तक सुनाई देने लगी है। सिलीगुड़ी समेत दाíजलिंग और तराई-डुआर्स मे कोरोना के मामले कम होने से पर्यटन व्यापारियों कि उम्मीद जगने लगी थी। वहीं पश्चिम बंगाल राज्य सरकार द्वारा होटल व रेस्टोरेंट को सीमित समय के लिए खोलने कि अनुमति से पर्यटन व्यापारियों को उत्साहित किया। लेकिन राज्य सरकार ने कोरोना चेन को एक से दूसरे स्थान पर नहीं फैलने देने के उद्देश्य से एक नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके अनुसार कोरोना टीका की दोनों खुराक लेने और आरटी-पीसीआर जाच की नेगेटिव रिपोर्ट वाले को पर्यटक को ही प्रवेश देने का निर्देश जारी किया गया है। बल्कि होटल और होम स्टे प्रबंधन को पर्यटकों के कोरोना टीका के दोनों खुराक लेने का प्रमाण पत्र और आरटी-पीसीआर जाच रिपोर्ट संभाल कर रखने का निर्देश जारी किया है।
हांलाकि सोमवार से प्रशासन ने रैपिड एंटीजेन टेस्ट कराकर आने वाले पर्यटकों को भी पहाड़ पर आने की अनुमति दे दी है,लेकिन इससे भी कोई खास लाभ होगी इसकी उम्मीद टूर ऑपरेटरों को नहीं है। सबका यही कहना है कि आखिर पर्यटक कोरोना टेस्ट की जहमत क्यों उठाएंगे। आखिर पर्यटक क्यों कराने लगे टेस्ट
राज्य सरकार के इस निर्देश से पर्यटन व्यापारियों की कमर टूट गई है। पर्यटन व्यापारी सम्राट सन्याल, राज बसु व अन्य ने दुख भरे शब्दो मे कहा कि कोरोना संक्रमण सिर्फ पर्यटकों से ही फैलेगा। सरकार के निर्देश पर कटाक्ष करते हुए व्यापारियों ने कहा कि अभी देश के पचास प्रतिशत लोगों को भी कोरोना टीका की पहली खुराक नहीं लगी है। ऐसे में दूसरी खुराक भी लेने वाले लोगों की संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। दूसरी खुराक 8 हफ्ते बाद ही तो लगनी है। इसके अतिरिक्त कोई भी स्वस्थ्य परिवार घूमने के लिए आरटी-पीसीआर जाच भला क्यों कराने लगा। हांलाकि इनका यह भी कहना है कि अब रैपिड एंटीजेन टेस्ट कराने वाले को भी यहां आने की अनुमति दी गई,इससे हो सकता है कि पर्यटकों को थोड़ी सुविधा हो।
नौ की लकड़ी नब्बे खर्च
आरटी-पीसीआर जाच का सरकारी खर्च एक हजार रुपये है। निजी अस्पताल व लैब मे आरटी-पीसीआर का खर्च कई गुणा अधिक है, जो किसी से छिपा भी नहीं। पर्यटन के लिए आने वाले परिवार को जाच खर्च नौ कि लकड़ी और नब्बे खर्च जैसा ही होगा। आम तौर पर एक परिवार से चार से पांच लोग पर्यटन के लिए आते हैं। किसी निजी लैब में आरटी-पीसीआर जांच करानी पड़ी तो उसी में आठ से दस हजार रुपये का खर्च आ जाएगा। अब रैपिड एंटीजेन टेस्ट कराने वाले को भी आने की अनुमति मिलेगी। लेकिन इस टेस्ट का खर्चा भी कम नहीं है।