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ब्रेन हेमरेज से बचना है तो सबसे पहले स्नान करने का तरीका सीखें

नहाने का सही तरीके का न पता होना ब्रेन हेमरेज का कारण हो सकता है। तकवा भी मार सकता है। आइए जाने सही तरीके से स्नान करने के तरीके क्या हैं।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 11:56 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 03:41 PM (IST)
ब्रेन हेमरेज से बचना है तो सबसे पहले स्नान करने का तरीका सीखें
ब्रेन हेमरेज से बचना है तो सबसे पहले स्नान करने का तरीका सीखें
सिलीगुड़ी [जागरण स्पेशल]। यदि आपको ब्रेन हेमरेज से बचना है तो सबसे पहले सही तरीके से स्नान करना सीखें। खासकर जाड़े के मौसम में यह और जरूरी है। बुजुर्गों और बच्चों को मामले में यह और आवश्यक है। अचानक सिर पर पानी कभी भी नहीं डालना चाहिए। पहले पैर भिगोएं, इसके बाद क्रमशः शरीर के ऊपरी हिस्सों को भिगोते जाएं। सबसे अंत में सिर पर पानी डालेंगे तो ब्रेन हेमरेज और लकवा से बहुत हद तक बचा जा सकता है।आपको बता दें कि सही तरीके से नहाने से थकान दूर हो जाती है। तनाव से राहत मिलती है, पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होता है। सिर दर्द और पीठ दर्द से राहत मिलती है। सही तरीके से नहीं नहाएं तो खतरे बहुत हैं। जान भी जा सकती है। आपने सुना या पढ़ा होगा कि अक्सर नहाते समय ही बुजुर्गों को लकवा मार जाता है, दिमाग की नस फट गई, हार्ट अटैक आ गया। यह सही तरीके से स्नान न करने के कारण होता है। 
नहाने का बेस्ट तरीका
हल्का गुनगुना पानी
स्नान करने के लिए हल्के गुनगुने पानी का उपयोग सबसे बेस्ट है, क्योंकि हल्के गुनगुने पानी के नहाने से शरीर की थकान भी मिट जाती है और आप बेहद अच्छा महसूस करते हैं।
प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग
नहाने से पहले हल्दी और बेसन का उबटन बेस्ट है। इसके अलावा चेहरा धोने के लिए मुल्तानी मिट्टी का भी उपयोग बेस्ट है।
स्नान की विधि
स्नान करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि सबसे पहले पानी को पैरों के पंजोंं पर, फिर घुटनोंं और जांघो पर डालिए और फिर धीरे-धीरे पानी को पेट और कंधो पर डालिए। इसके बाद हाथों की अंजुली में पानी लेकर मुंह पर डालिए और फिर सिर पर डालिए। इसके बाद आप पूरे शरीर पर साबुन लगाएं और फिर शॉवर के नीचे खड़े होकर या सिर पर पानी डालकर नहा सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में केवल एक मिनट लगता है। लेकिन इस प्रक्रिया से आपके जीवन की रक्षा होती है और आप स्वस्थ रहते हैं। इस एक मिनट में शरीर की विद्युतशक्ति सही प्राकृतिक दिशा में ऊपर से नीचे की ओर बहती रहती है क्योंकि विद्युत शक्ति को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरों पर, फिर हाथ, फिर चेहरा और फिर सिर पर डाला गया, जो स्वास्थ्य के लिए भी हितकारी है। अगर बच्चे को भी इसी तरीक़े से नहलाया जाएं तो बच्चे बिलकुल भी कंंपकपाते या डरते नहीं हैं।
तौलिए से रगड़ना
नहाने के बाद शरीर को सुखाने के लिए तौलिये से तेजी से न रगड़े, क्योंकि तौलिये से तेज रगड़ने से रूखापन और खुजली जैसी त्वचा की समस्याएं हो सकती हैंं इसलिए त्वचा को ऐसे ही सूखने दें। 
गलत तरीके से स्नान करने के दुष्प्रभाव
सच यह है कि ये सभी समस्या गलत तरीके से स्नान करने से होती है। दरअसल हमारे शरीर में गुप्त विद्युतशक्ति खून के निरंतर प्रवाह के कारण उत्पन्न होती रहती है, जिसकी सही प्राकृतिक दिशा ऊपर से आरम्भ होकर नीचे पैरोंं की तरफ होती है। हमारे सिर में बहुत महीन रक्त नलिकाएं होती है, जो दिमाग को रक्त पहुंचाती है। जब कोई व्यक्ति लगातार सीधे सिर पर ठंडा पानी डालकर नहाता है तो ये नलिकाएं सिकुड़ने लगती है या रक्त के थक्के जमने लगते हैं और जब हमारा शरीर इनको सहन नहीं कर पाता, तब पानी को शरीर पर डालते ही कंपकपी होने लगती है, हार्टटैक आ जाता है या फिर ब्रेन हेमरेज जैसी समस्याएं होने लगती हैं। सिर पर सीधे पानी डालने से हमारा सिर ठंडा होने लगता है, जिससे हृदय को सिर की तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है जिससे या तो बुजुर्ग में हार्ट अटैक या फिर दिमाग की नस फटने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
बच्चे पर प्रभाव
ठीक इसी तरह जब बच्चे के सिर पर पानी डाला जाता है तो उसका नियंत्रण तंत्र भी तुरंत प्रतिक्रिया देता है जिससे बच्चे के शरीर में कंंपकपी होने लगती है और मां समझती है कि बच्चा पानी से या फिर नहाने से डर रहा है। गलत तरीके से स्नान कराने से बच्चे के हृदय की धड़कन अत्यधिक बढ़ जाती है। इसलिए नहलाने से पहले पानी सिर पर डालने के बजाय पैरों के पंजोंं पर डालना चाहिए और फिर धीरे धीरे पैर, हाथ, पेट, चेहरा और फिर सिर पर डालना चाहिए ताकि स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से बच सकें।
फिजिशियन की सलाह
सिलीगुड़ी के प्रसिद्ध फिजिशियन डॉ. पीडी भूटिया ने बताया कि नहाने का सही तरीका न अपनाएं तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। आजकल लोग बाथरूम में जाकर शॉवर खोलकर उसके नीचे सीधे खड़े हो जाते हैं, यह तरीका गलत है। तालाब में या नल के पानी से भी नहाते समय सबसे पहले पैरों को भिगोना चाहिए। इसके बाद एक-एक अंग को भिगोते हुए सिर को सबसे अंत में भिगोएं। जाड़े में यह सावधानी ज्यादा अपेक्षित है। नहाने का सही तरीका पता न होने के कारण ही जाड़ा में स्नान करते समय ही ब्रेन हेमरेज की आशंका ज्यादा रहती है। इस तरह के केस अक्सर सामने आते भी रहते हैं। 
ठंडे पानी से नहाने के फायदे
सुबह के समय ठंडे पानी से नहाने से आलस्य से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। डिप्रेशन को दूर करने वाले बीटा एंडोर्फिन नामक केमिकल के रिलीज में मदद कर अवसाद को दूर करता है। अध्ययनों के अनुसार ठंडे पानी से नहाने से टेस्टोस्टेरोन के रिलीज में मदद होती है जिससे पुरुषों में प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह फेफड़ों के कार्यों में भी सुधार लाने में मदद करता है। ठंडे पानी का स्नान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और लसीका को उत्तेजित करता है, जिससे संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ता है।
गर्म पानी से नहाने के फायदे
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गर्म तापमान कीटाणुओं को अधिक तेजी से मारता है। इस तरह गर्म पानी से नहाने से शरीर साफ होता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि गर्म पानी मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार और दर्द वाली मांसपेशियों को आराम देने में मदद करता है। गर्म पानी से स्नान शरीर में शुगर के स्तर को कम करने और डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह भाप नली को साफ कर खांसी और सर्दी के इलाज के लिए फायदेमंद होता है।
आयुर्वेद के अनुसार ठंडे या गर्म पानी के बीच चयन कैसे करें
आयुर्वेद के चिकित्सक डॉ. केडी रंजन के अनुसार आपको शरीर के लिए गर्म पानी और आंखों और बालों के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार पानी के तापमान का निर्धारण इन कारकों के आधार पर किया जाना चाहिए।
1. उम्र 
युवाओं और बुजुर्ग को ‍गर्म पानी से नहाने का सु‍झाव दिया जाता है। लेकिन अगर आप छात्र हैं और अपना ज्यादातर समय पढ़ने में लगाते हैं तो आपके ठंडे पानी से नहाना ज्यादा फायदेमंद होगा।
2. शारीरिक प्रकार पर आधारित
अगर आपके शरीर का प्रकार पित्त है तो आपके लिए ठंडे पानी से नहाना बेहतर रहता है और अगर आपके शरीर का प्रकार कफ या वात है तो गर्म पानी का उपयोग करें।
3. रोगों पर आधारित
अगर आप पित्त से संबंधित किसी रोग जैसे अपच या लीवर संबंधित विकार से पीडि़त हैं तो ठंडे पानी से नहाना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होगा। अगर आप कफ या वात से संबंधित विकारों से पीड़ि‍त हैं तो गर्म पानी से नहाना चाहिए। अगर आप मिर्गी रोगी हैं तो गर्म और ठंडे पानी दोनों से नहाने के लिए मना किया जाता है। इसके बजाए गुनगुने पानी से नहाना चाहिए।
4. आदतों पर आधारित
अगर आप नियमित रूप से काम करते हैं तो गर्म पानी से नहाने का सुझाव दिया जाता है।
5. समय पर आधारित
अगर आप सुबह के समय नहाते हे तो ठंडे पानी से नहाना बेहतर रहता है। लेकिन अगर आप रात में नहाते हैं तो आराम महसूस करने के लिए गर्म पानी से नहाना चाहिए। चूंकि शाम के समय वात का प्रभुत्व होता है इसलिए गर्म पानी से नहाना फायदेमंद होगा।
आयुर्वेद के अनुसार कैसे नहायें
 जल्दबाजी में नहाना जल्दबाजी में भोजन करने की तरह होता है और आपके शरीर को सभी लाभ नहीं मिल पाते। और आप जल्दी में नहाते है तो ठीक से शरीर की सफाई भी नहीं होती। ताजगी पाने के लिए नहाने का अच्छा अनुभव करना जरूरी होता है। आप इस प्रक्रिया का धीरे-धीरे का पालन करें, ताकि आपके शरीर के हर हिस्से में पानी ठीक तरह से जा सके। नहाने की शुरुआत अपने हाथ और पैरों को धोने से करें। नहाने से पहले सरसों के तेल या तिल के तेल की मसाज आपके शरीर के लिए फायदेमंद हो सकती है। यह मांसपेशियों को रिलैक्स करने और त्वचा की बनावट में सुधार करने में मदद करती है। हालांकि स्नान करते समय जल्दी नहीं होनी चाहिए, लेकिन बहुत देर तक भी नहाना ठीक नहीं होता। इसके अलावा बेहतर स्वच्छता के लिए दिन में दो बार नहाना पर्याप्त रहता है। आप नहाने के पानी के कुछ नीम मिलाकर कुछ समय मे लिए छोड़ सकते है। फिर इस पानी से नहाने से त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार होता है।

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