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पांच महीने के हुए शीला के शावक

-सीसीटीवी से लगातार की जा रही है निगरानी -सभी के नामकरण का अभी भी है इंतजार जागरण संवा

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 08:51 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 08:51 PM (IST)
पांच महीने के हुए शीला के शावक
पांच महीने के हुए शीला के शावक

-सीसीटीवी से लगातार की जा रही है निगरानी

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-सभी के नामकरण का अभी भी है इंतजार

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शहर से थोड़ी दूर सेवक रोड के पांच माइल स्थित नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी) की बाघिन शीला के नवजात तीनों शावकों की उम्र अब पांच महीने हो गई है। वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपनी मां के संग खूब अठखेलियां करते देखे जा रहे हैं। मां शीला भी अपने तीनों नवजात शावकों का खूब दुलार-पुचकार करती देखी जा रही है। सीसीटीवी कैमरे के जरिये हर घड़ी मां और नवजात शावकों पर नजर रखी जा रही है। वे हर पल डॉक्टर और सफारी मैनेजर की विशेष निगरानी में हैं। याद रहे कि वर्तमान में नए जन्मे बाघिन शीला के तीनों शावकों का नाम रखने के लिए राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र भी लिख चुके हैं। अब सभी को मुख्यमंत्री द्वारा इन नवजात शावकों के नामकरण का इंतजार हैं। इधर, कोरोना महामारी व लॉकडाउन के मद्देनजर कई महीनों तक बंद रहने के बाद बीते दो अक्टूबर को बंगाल सफारी पार्क आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। मगर फिर, कोरोना के मद्देनजर हालात की गंभीरता को देखते हुए हफ्ते-दो हफ्ते बाद ही फिर उसे बंद कर दिया गया। उसके हफ्ते भर बाद से वह फिर खुला हुआ है।

याद रहे कि बीते 12 अगस्त 2020 को शीला ने एक साथ तीन शावकों को जन्म दिया था। यह दूसरी बार था कि उसने एक साथ तीन शावकों को जन्म दिया। इससे पूर्व भी उसने एक साथ इका, कीका, रिका को जन्म दिया था। शीला के उन नवजात शावकों का नामकरण भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ही इका, कीका, रिका किया था। उनमें इका की मौत हो गई जबकि कीका व रीका पूरी तरह स्वस्थ हैं और मजे में हैं। इधर, नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी) पार्क में बाघों के मनोरंजन के लिए तरह-तरह के साधन लगाए गए हैं जिसका बाघ खूब लुत्फ उठा रहे हैं। इस बारे में बंगाल सफारी पार्क के निदेशक बादल देवनाथ ने कहा कि मोटी-मोटी रस्सियों पर लकड़ी की सिल्लयों से बनाए गए विशेष प्रकार के झूले व लटकने के उपकरण आदि को बंगाल सफारी पार्क के बाघों के बाड़े में लगवाया गया है ताकि बाघ मनोरंजन कर सकें और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें। इन साधनों का बाघ व उनके शावक बहुत ही लाभ उठा रहे हैं।


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