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तीन महीने तक नदियों में खनन पर लगी रोक

-बालू और पत्थर माफिया की उड़ी रातों की नींद -चार से पांच दिनों में ही स्टॉक जमा करने की

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 10:38 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 10:38 PM (IST)
तीन महीने तक नदियों में खनन पर लगी रोक
तीन महीने तक नदियों में खनन पर लगी रोक

-बालू और पत्थर माफिया की उड़ी रातों की नींद

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-चार से पांच दिनों में ही स्टॉक जमा करने की मची होड़

-लाकडाउन के समय भी रात में डंपरों की आवाजाही जारी -भूमि और भूमि सुधार विभाग ने जारी किया नोटिस

-पुलिस प्रशासन से नदी किनारे पेट्रोलिंग बढ़ाने की अपील

-पुलिस कमिश्नर और अन्य अधिकारियों को भेजा पत्र

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : अगले तीन महीनों के लिए नदियों से खनन की प्रक्रिया पर रोक लगने जा रही है। अगले तीन महीने तक नदी से बालू-पत्थर निकालने पर प्रतिबंध रहेगा। इस खबर के बाद बालू माफिया के सिर पर बोझ बढ़ गया है। विधि-निषेध जारी होने के पहले नदियों से युद्धस्तर पर बालू-पत्थर निकाल कर स्टॉक किया जा रहा है।

प्रात में मानसून प्रवेश कर चुका है। मौसम परिवर्तन के प्राकृतिक चक्र के अनुसार गर्मी के साथ बारिश का मौसम प्रात में दस्तक दे चुका है। बारिश के इस मौषम में समतल इलाकों से होकर बहने वाली नदियों के पेट और किनारों पर बालू की नई परत जमती है। जबकि लगातार खनन कर बालू-पत्थर निकाले जाने की वजह से नदिया अपना पथ बदल रही है। जिसकी वजह से कटाव और बाढ़ की समस्या जटिल होती जा रही है। बल्कि इसी लगातार खनन की वजह से बारिश के बाद नदियों के जल स्तर का घटने व सूखने के साथ प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ रहा है। इस वर्ष भी अगले 16 जून से 15 सितंबर तक दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिला अंतर्गत बहने वाली नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर पाबंदी लगा दी गई है। इस कड़ी में दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिला भूमि व भूमि सुधार विभाग की ओर से नोटिस जारी कर दिया गया है। बल्कि चोरी-छिपे नदियों से खनन कर बालू-पत्थर निकालने वालों को रोकने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाई करने के लिए सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस समेत दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिला पुलिस को कहा गया है।

16 जून से 15 सितंबर तक नदियों से खनन पर रोक लगाने की खबर फैलते ही बालू माफियाओं की नींद हराम हो गई है। सिलीगुड़ी व आसपास से बहने वाली महानंदा, महिषमारी, बलासन व जलपाईगुड़ी जिले से होकर बहने वाली तीस्ता आदि नदियों से रात के अंधेरे में खनन शुरु कर दिया गया है। जबकि कोरोना के दूसरे स्ट्रेन पर ब्रेक लगाने के लिए राज्य में जारी आशिक लाकडाउन के तहत बालू-पत्थर वाली ट्रकों के आवागमन पर निषेध जारी है। तीन महीनों तक निर्माण कार्य जारी रखने और बंदी के दिनों में दुगनी कीमत पर बालू-पत्थर मुहैया कराने के उद्देश्य से नदियों से बालू-पत्थर निकाल कर जमा किया जा रहा है। बल्कि भवन निर्माण कराने वाले बिल्डर भी अवैध तरीके से खनन को बढ़ावा देकर बालू-पत्थर जमा करा रहे हैं। सूरज ढलने के साथ अंधेरा होते ही शहर की सड़कों पर बालू-पत्थर ढोने वाली गाड़ियों का काफिला दौड़ता है। बल्कि सिलीगुड़ी व आसपास की नदियों से बालू-पत्थर पड़ोसी राज्य बिहार पहुंचाने वाले डंपर भी बिना किसी रोक टोक के सड़को पर दौड़ते हैं। क्या है नियम

बालू माफिया से नदियों और प्रकृति की रक्षा के लिए पश्चिम बंगाल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2016 में सस्टनेबल सैंड मैनेजमेंट गाइडलाइन (सतत बालू प्रबंधन दिशा-निर्देश) जारी किया। इसके तहत बारिश के मौसम में नदियों से खनन पर रोक लगाई गई। वर्ष 2016 से प्रति वर्ष बारिश के मौसम में तीन महीने नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।


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