बर्द्धमान विस्फोट के बाद जेएमबी मॉड्यूल का हुआ था राजफाश, बंगाल के कई जिलों को मिलाकर ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की योजना
बांग्लादेश में प्रतिबंध के बाद बंगाल सहित सीमावर्ती राज्यों में बनाया था अपना अड्डा बांग्लादेश की सरकार को उखाड़ कर शरिया कानून की स्थापना के एजेंडे पर कर रहे थे काम
कोलकाता, दीपक भट्टाचार्य। 2 अक्टूबर 2014 को बर्द्धमान के खागड़ागढ़ में बम विस्फोट की घटना के बाद पहली बार बंगाल में प्रतिबंधित आंतकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) की सक्रियता का खुलासा हुआ था। विस्फोट की जांच का जिम्मा संभालने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने जब गुत्थी खोलनी शुरू की तो इसका दायरा बंगाल ही नहीं बल्कि बांग्लादेश की सीमा से लगे कई राज्यों तक जा पहुंचा। खासकर बंगाल के सीमावर्ती जिलों में गहरी पैठ जमा चुके जेएमबी से जुड़े एक के बाद एक आतंकियों की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों को भी चौंका दिया था। जेएमबी आतंकियों की सिलसिलेवार गिरफ्तारी के साथ उनके पास से बेहद चौकाने वाले तथ्य हाथ लगते गए।
बंगाल के कई मदरसों में एक विशेष समुदाय के युवाओं को आतंकी प्रशिक्षण देने के साक्ष्य मिलने के साथ बेहद खतरनाक हथियार तैयार करने के साजो-सामान आदि मिले। यह भी पता चला कि भारत और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ कर दोनों देशों में शरिया कानून स्थापित करने के मकसद से भारत में आतंकी मॉड्यूल तैयार करने की जिम्मेदारी जेएमबी के शीर्ष नेताओं को सौंपी गई थी। यही नहीं बंगाल के कई सीमावर्ती जिलों को मिलाकर ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की भी योजना पर जेएमबी काम कर रहा था। इस काम के लिए बांग्लादेश से लगे बंगाल के सीमावर्ती जिलों को सुरक्षा के लिहाज से मुफीद माना गया था।
जेएमबी मॉड्यूल तैयार करने के लिए उन युवाओं को टारगेट पर रखा गया था जो घुसपैठ के जरिए बांग्लादेश से आकर बंगाल में रह रहे थे। युवाओं को बरगलाकर जिहाद का वास्ता देकर संगठन में शामिल करने के लिए मदरसों का इस्तेमाल किया गया। बंगाल के अलग- अलग जिलों में मॉड्यूल तैयार करने की जिम्मेदारी जेएमबी के शीर्ष नेताओं को सौंपी गई थी।
जेएमबी ने बंगाल के मुर्शिदाबाद, नदिया, वीरभूम, बर्द्धमान, झारखंड के साबिहगंज और पाकुड़ तथा असम के बरपेटा में अपना नेटवर्क स्थापित कर लिया था। साथ ही मुर्शिदाबाद के बेलडांगा, मुकीमनगर, वीरभूम के नानूर और बर्द्धमान के खागड़ागढ़ व सिमुलिया में आतंकी प्रशिक्षण व बम बनाने का केंद्र भी स्थापित कर लिया था। एनआइए द्वारा सीमावर्ती जिलों में स्थित कई मदरसों में की गई छापेमारी में बरामद जिहादी किताबें, महत्वपूर्ण दस्तावेज आदि से बंगाल में जेएमबी की सक्रियता पुख्ता हो गई थी।
आतंकी संगठन को मजबूत करने के लिए बंगाल में लोगों द्वारा फंडिंग किए जाने का भी खुलासा हुआ था। इसके बाद खागडागढ़ विस्फोट कांड में शेख कौशर, असादुल्ला, मुफज्जिल हक, हबीबुल रहमान, मोतीउर रहमान, दालिम शेख, ग्यासुद्दीन, सैदुर रहमान, अबुल सलेक, हासिम मुल्ला, अब्दुल हकीम, खालिद मुहम्मद, जिला उल हक, अमजद, अलीमा बीबी, रेजीरा बीबी समेत 31 को गिरफ्तार कर लिया था जिसमें से 19 दोषियों को कोर्ट ने सजा सुना दी है।
उधर, कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने भी एक के बाद एक जेएमबी आतंकियों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। एसटीएफ के हाथों गिरफ्तार जेएमबी के आतंकी मोहम्मद जियाउर रहमान (44) उर्फ मोहसिन उर्फ जहीर अब्बास, मामोनूर रशीद (33) भी बांग्लादेश निवासी हैं। इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड इराक (आइएसआइएस) के कई दस्तावेज मिले थे। इससे आशंका जताई जा रही है कि जेएमबी आतंकियों का आइएसआइएस के साथ भी संबंध है। बीते कुछ वर्षो में बंगाल के विभिन्न हिस्सों से लगातार हो रही जेएमबी के संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी संगठन की बढ़ती सक्रियता व बड़े खतरे की ओर साफ इशारा कर रही है।