कुछ महीने की बल्ले-बल्ले के बाद फिर से टेंशन शुरू
जागरण विशेष -अनलॉक होते ही चाय के उत्पादन में बंपर उछाल -कीमतों में लगातार दूसरे माह
जागरण विशेष :
-अनलॉक होते ही चाय के उत्पादन में बंपर उछाल
-कीमतों में लगातार दूसरे माह आई कमी
-चाय की चुस्की अब 60 से 100 रुपये किग्रा सस्ती
शिवानंद पाडेय,
सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस महामारी के बीच में चाय की कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर शुरू हो गया है। शुरू में चाय की कीमतें काफी बढ़ी,लेकिन पिछले दो महीने से चाय की कीमत में लगातार गिरावट आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के चलते इस वर्ष 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान उत्तर बंगाल का प्रमुख उद्योग चाय उद्योग पूरी तरह से प्रभावित हुआ था। लेकिन मई महीने में अनलॉक शुरू होने तथा इसके कुछ दिन बाद कुछ शर्तो के साथ चाय बागान खोले जाने की हरी झडी मिलने से चाय उद्योग को कुछ राहत मिली। चाय फैक्ट्रियां चालू की गई। चाय का उत्पादन शुरू हुआ। उत्पादन शुरू होते ही चाय की कीमतों में भारी उछाल आई तथा कीमतों में प्रति किलोग्राम सौ रुपये से 100 रुपये तक की बढोत्तरी दर्ज की गई। चाय की कीमतें बढ़ने से एकाएक चाय उद्योग की बल्ले-बल्ले हो गई। चाय कारोबारी खुश हुए तथा लॉकडाउन की वजह से चाय उद्योग को हुई क्षति की भरपाई करने में कामयाब रहे। चाय उद्योग से जुड़े लोग मानने लगे थे कि चाय की कीमतों में जो बढ़ोत्तरी हो गई है, वह अब कम होने वाली नहीं है। हालांकि चाय की कीमतों में बढ़ोतरी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी। अक्टूबर महीने के द्वितीय सप्ताह से लेकर नवंबर के प्रथम सप्ताह तक चाय की कीमतों में 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट दर्ज की गई। वहीं दिसंबर महीना आते-आते कीमतों में और गिरावट आई । 60 रुपये से लेकर 120 रुपये तक चाय की कीमत गिर गई। चाय उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि वर्षा का मौसम खत्म होने के बाद चाय का उत्पादन काफी बढ़ गया। चाय का उत्पादन बढ़ने से बड़ी-बड़ी कंपनियां चाय की कीमतें गिरा रही हैं। जिससे अन्य कंपनियों को भी चाय की कीमतें कम करनी पड़ी। इस तरह से कहें तो करीब तीन महीने की बल्ले-बल्ले के बाद चाय कारोबारी फिर से निराश हैं। प्रतिकिलो चाय की कीमत में 60 से सौ रुपये की कमी आना बड़ी बात है।
लॉकडाउन ने तोड़ दी थी कमर
कोरोना वायरस महामारी के चलते केंद्र सरकार द्वारा 25 मार्च से लागू किए गए लॉकडाउन से देश के प्रमुख उद्योगों के साथ-साथ चाय उद्योग को भी काफी नुकसान पहुंचा था। मार्च का महीना चाय उद्योग के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। चाय बागानों से मार्च महीने में निकलने वाली पत्ती को फर्स्ट फ्लश कहते हैं। फर्स्ट फ्लश पत्ती के चाय की गुणवत्ता काफी बेहतर होती है। इसकी मांग भी काफी होती हैं। लेकिन चाय कंपनियां फर्स्ट फ्लश पत्ती से चाय उत्पादन नहीं कर पाई। बताया गया कि लॉकडाउन से लगभग एक सौ मिलियन किलोग्राम चाय के उत्पादन में कमी आई थी। वहीं इससे चाय उद्योग को 15 सौ करोड़ से दो हजार करोड़ रुपये के नुकसान हुआ था।
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सिलीगुड़ी टी-ऑक्शन कमेटी के चेयरमैन कमल किशोर तिवारी का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान चाय की कीमतों में एक सौ रुपये से लेकर 120 रुपये तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। जिससे चाय उद्योग को काफी लाभ पहुंचा। कोरोना वायरस महामारी के दौर में चाय की कीमतों में जो बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, उतनी बढ़ोत्तरी पिछले वर्ष भी नहीं हुई थी। अब चाय का उत्पादन काफी बढ़ जाने से इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले दो महीने में चाय की कीमत में 60 से 100 रुपये गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि एक ओर उत्पादन बढ़ा है तो दूसरी ओर चाय की कीमतों में गिरावट का कारण चाय की क्वालिटी को लेकर के भी हुआ है। आने वाले दिनों में क्वालिटी वाले चाय की कीमत में 15 से 20 रुपये फर्क पड़ने की संभावना है। जबकि नॉन क्वालिटी वाले चाय कीमत और गिर सकती है। चाय की कीमतों में गिरावट का एक और कारण है जो कंपनियां इस वर्ष सितंबर महीने तक सात से आठ लाख किलोग्राम चाय ले जाती थी, उन्होंने इसे सीधे घटाकर आधी कर दी हैं। यानि तीन से चार लाख किलोग्राम ही चाय ले जा रही हैं।
- कमल किशोर तिवारी,चेयरमैन,सिलीगुड़ी टी-ऑक्शन कमेटी