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छोटी सी चीज से नुकसान बड़ा,सरकार उदासीन

छोटी सी चीज से नुकसान बड़ासरकार उदासीन -जिला अस्पताल में भी व्हील चेयर और स्ट्रेचर खस्त

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 07:55 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 07:55 PM (IST)
छोटी सी चीज से नुकसान बड़ा,सरकार उदासीन

छोटी सी चीज से नुकसान बड़ा,सरकार उदासीन -जिला अस्पताल में भी व्हील चेयर और स्ट्रेचर खस्ताहाल

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-रोगियों के लिए ट्रॉली ब्वॉय तक की व्यवस्था नहीं

-कभी भी हो सकती है मेडिकल कॉलेज जैसी दुर्घटना

विपिन राय,सिलीगुड़ी:उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्ट्रेचर से एक रोगी की मौत के बाद राच्य में स्वास्थ्य सेवा सवालों के घेरे में है। आरोप है कि पिछले कुछ वषरें में अस्पतालों की बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें तो बना दी गई है, लेकिन ढाचागत सुविधाओं के विकास की कोई पहल नहीं की गई। छोटी-छोटी वजह से रोगी की मौत हो रही है। चिकित्सा सेवा में लापरवाही, डॉक्टरों एवं अस्पताल के अन्य कर्मचारियों की भारी कमी आदि जैसी शिकायतें तो पहले से ही है। यहा बता दें कि बुधवार रात को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्ट्रेचर से गिरकर एक रोगी की मौत हो गई। वह भी उस रोगी की जिसे अस्पताल में भर्ती कराने का विशेष निर्देश सिलीगुड़ी के एसडीओ ने दिया था। मृतक का नाम आलोक कुंडू है। वह सिलीगुड़ी महकमा क्रीड़ा परिषद के कार्यालय सचिव थे। उन्हें गाड़ी से उतारकर डॉक्टर के पास ले जाने की तैयारी थी। स्ट्रेचर में एक पहिया नदारद था। इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। जैसे ही उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाया गया स्ट्रेचर के एक ओर टेढ़ा हो जाने से वह नीचे गिर पड़े। उनके सिर पर चोट लगी। डॉक्टर जब तक उनकी चिकित्सा करते, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। ऐसा नहीं है कि व्हील चेयर और स्ट्रेचर की समस्या सिर्फ उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ही है। एक तरह से कहें तो तमाम सरकारी अस्पतालों में यही हाल है। सिलीगुड़ी जिला अस्पताल की भी कमोबेश यही स्थिति है। मेडिकल कॉलेज के बाद इस इलाके में सबसे बड़ा अस्पताल सिलीगुड़ी जिला अस्पताल है। यहा रोगियों के लिए जो स्ट्रेचर और व्हील चेयर हैं उससे कभी भी मेडिकल कॉलेज जैसी दुर्घटना हो सकती है। जबकि और स्ट्रेचर और व्हील चेयर बहुत ही मामूली चीज है। इनकी कीमत लाखों रुपये में नहीं है और अस्पतालों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल भी नहीं होता है। वास्तविकता यह है कि एक बड़े अस्पताल में 8 से 10 व्हील चेयर और स्ट्रेचर से अधिक की आवश्यकता नहीं पड़ती। इनकी कीमत कहें तो पांच हजार रुपये से ही शुरू हो जाती है। सरकार का ध्यान इन छोटी बातों पर भी नहीं है। सिलीगुड़ी जिला अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहा इमरजेंसी विभाग में जो व्हील चेयर हैं उसमें से एक भी सही नहीं है। कुछ के तो पहिए तक काम नहीं कर रहे। इस कुर्सी की गद्दी तक फट गई है। यही हाल स्ट्रेचरों का भी है। मिली जानकारी के अनुसार किसी भी अस्पताल में सिर्फ इमरजेंसी विभाग में ही स्ट्रेचर और व्हील चेयर रखने की आवश्यकता होती है। वार्डो में रोगी को किसी जांच के लिए ले जाने में ही इसकी जरूरत पड़ती है। जब गंभीर रूप से बीमारी या किसी दुर्घटना में घायल किसी रोगी को इमरजेंसी में लाया जाता है तो गाड़ी से उतारकर डॉक्टर तक ले जाने और डॉक्टर की सलाह पर इमरजेंसी विभाग से वार्ड तक भर्ती कराने के लिए ही व्हील चेयर या फिर स्ट्रेचर की आवश्यकता पड़ती है। जबकि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में यह पूरी व्यवस्था एक तरह से कहें तो राम भरोसे है। रोगियों के परिजनों की मानें ंतो इमरजेंसी में ट्रॉली ब्वॉय तक कहीं नहीं दिखते। गाड़ी से मरीज को उतार तक कर डॉक्टर तक पहुंचाने एवं डॉक्टर से इंडोर में रोगी को भर्ती करने तक उसे ले जाने की जिम्मेदारी ट्रॉली ब्वॉय की ही। वार्ड में जैसे वार्ड ब्वॉय की भूमिका महत्वपूर्ण है तो इमरजेंसी में ट्रॉली ब्वॉय की। रोगियों के परिजनों को ही यह भूमिका निभानी पड़ती है। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि किस तरह से रोगी को स्ट्रेचर पर लिटाया जाए या फिर पर व्हील चेयर से इंडोर तक ले जाया जाए। जानकारी नहीं होने तथा स्ट्रेचर एवं व्हील चेयर के घटिया होने के कारण दुर्घटना होने की आशका रहती है। मेडिकल कॉलेज में जो दुर्घटना हुई,वहां ट्रॉली ब्वॉय नहीं था। मिली जानकारी के अनुसार आलोक कुंडू के भाई अशोक कुंडू तथा उनके कुछ सहयोगी उन्हें डॉक्टर के पास ले जा रहे थे और इसी दौरान दुर्घटना हो गई।

दूसरी ओर जिला अस्पताल के रोगियों एवं उनके परिजनों के साथ-साथ आम लोगों का भी कहना है कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल की भव्य बिल्डिंग तो बना दी गई है, लेकिन ढाचागत सुविधाओं के विकास की दिशा में सिर्फ नीला और सफेद रंग करने का काम ही हुआ है। मामूली स्ट्रेचर एवं व्हीलचेयर तक की व्यवस्था नहीं की गई है।

यहां यह भी बता दें कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के इंडोर में रोगियों की भर्ती के लिए करीब 8 वार्ड बने हुए हैं। इसमें मेल मेडिसिन और फीमेल मेडिसिन सबसे महत्वपूर्ण है। इसके अलावा सर्जिकल मेल,सर्जिकल फीमेल, आईसीयू, एचडीयू, स्निकू और गायनो वार्ड भी है। हर दिन काफी संख्या में रोगी विभिन्न वाडरें में भर्ती होते हैं। क्योंकि सिलीगुड़ी तथा आसपास के इलाके की आबादी बीस लाख से भी अधिक है। इस क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज के बाद यही दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल है। एक अनुमान के मुताबिक हर दिन करीब 500 रोगियों की चिकित्सा इंडोर के विभिन्न वाडरें में की जाती है। ऐसे जिला अस्पताल में कुल बेडों की संख्या 360 ही हैं। लेकिन इतनी अधिक संख्या में मरीज यहा इलाज कराने आते हैं कि एक बेड पर दो-दो मरीजों की चिकित्सा की जाती है। बेड के आभाव में जमीन पर भी काफी मरीज चिकित्सा कराते हैं। अभी सिलीगुड़ी तथा आसपास के इलाके में डेंगू का आतंक है। बुखार पीड़ित रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आप सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में जिधर चले जाएं वहा मरीज ही मरीज दिखेंगे। तमाम वार्डो में तो मरीज भर्ती हैं ही साथ ही कोरिडोर में भी मरीज जमीन पर लेटे नजर आ जाएंगे। जाहिर है रोगियों की सही चिकित्सा के लिए राज्य सरकार को ढाचागत सुविधाओं के विकास की एक बड़ी कोशिश करनी होगी। आज तक सिर्फ चिकित्सा नहीं मिलने की वजह से रोगियों की मौत होने की खबर मिलती थी। अब बदहाल स्ट्रेचर से गिरकर रोगियों की मौत हो रही है। यह एक गंभीर मामला है। मेडिकल कॉलेज में जो घटना हुई है,उसकी उच्च स्तरीय जाच की जानी चाहिए। जो भी लोग दोषी हों, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही राज्य सरकार को इन छोटी-छोटी असुविधाओं को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सिर्फ भव्य अस्पताल बिल्डिंग बनाने में लगी हुई है। भव्य बिल्डिंग बने,इसमें कोई एतराज नहीं है। इसके साथ ढाचागत सुविधाओं की विकास की भी पहल की जानी चाहिए। डॉक्टरों को और मानवीय होने की जरूरत है। -सोमनाथ चटर्जी,प्रमुख समाजसेवी तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के तमाम स्ट्रेचर और व्हील चेयर बदले जाएंगे। स्ट्रेचर से गिरकर रोगी के मौत के मामले की जाच की जाएगी। वह स्वयं मृतक के परिजनों के घर जाएंगे और उनसे मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी लेंगे। यह बहुत ही दुर्भाग्यजनक घटना है। इसकी रिपोर्ट मागी गई है।

- रुद्रनाथ भट्टाचार्य,अध्यक्ष, रोगी कल्याण स्ट्रेचर से गिरकर रोगी की मौत की घटना ने राज्य सरकार की कलई खोल दी है। यह काफी दुखद घटना है। इसकी उच्चस्तरीय जाच की जानी चाहिए। जो भी इस मामले में दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। राज्य सरकार आम लोगों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में पूरी तरह से विफल रही है।

-अशोक भट्टाचार्य,मेयर,सिलीगुड़ी नगर निगम


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