जैविक खेती से बनेगा आत्मनिर्भर सिक्किम, साथ में चुनौतिया भी
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने को पीएम नरेंद्र मोदी भी अपने संभाषण में कहते संसू.गंगटोकजैि
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने को पीएम नरेंद्र मोदी भी अपने संभाषण में कहते
संसू.गंगटोक:जैविक राज्य के ब्राड से परिचित उत्तर पूर्वी हिमालयी राज्य सिक्किम जैविक खेती को लेकर आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है। सिक्किम की जैविक उत्पादों को देश और विदेश में ब्राडिंग और बाजारीकरण के लिए राज्य सरकार विशेष ध्यान दे रहा है। सिक्किमी और भारतीय किसानों को जैविक खेती में प्रोत्साहित करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संभाषण में जैविक खेती के संबंध में बातें करते रहते हैं।
इस समय राज्यपाल गंगा प्रसाद, मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामाग (गोले), कृषि एवं बागवानी मंत्री लोकनाथ शर्मा किसी भी कार्यक्त्रम में जैविक खेती का प्रचार करना नहीं छोड़ते। यहा तक की राज्य सरकार जैविक उत्पादन में सिक्किम को आत्मनिर्भर बनाने की सोच बना रही है।
कृषकों को अतिरिक्त राशि देकर खेती के लिए किया जा रहा है प्रोत्साहित
सिक्किम कृषि प्रधान राज्य होने के कारण राज्य सरकार राज्य के किसानों को विभिन्न उत्पादन के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है।
राज्य सरकार ने दुग्ध उत्पादकों को दूध में आठ रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का निर्णय लिया है, जो सीधे किसानों के खाते में डाला जाएगा। दूसरी ओर यहा की बढ़ी मात्रा में उत्पादन होने वाली बड़ी इलायची, संतरा, अदरक, बेसार (हल्दी), डल्ले खुर्सानी (अकबरे खोर्सानी) जैसे उत्पादों में भी प्रति किलो के दर पर प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का निर्णय लिया है।
हाल ही में कृषि मंत्री लोकनाथ शर्मा ने जानकारी दी है कि वर्तमान सरकार मत्स्य पालकों के लिए भी प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी। इसके साथ ही सुअर पालकों के लिए भी राज्य सरकार ने राशि तय किया है। सिक्किम सरकार के कृषि एवं बागवानी विभाग राज्य के किसानों को आर्थिक सहयोग और उन्हें उनकी आय को दुगुना बनाने के लिए ऋण के माध्यम से विकास कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को ऋण उपलब्ध करा रहा है। पशुपालकों के लिए राज्य सरकार कभी फिस मेला तो कभी पशु मेला आयोजित कर प्रदर्शनी और बाजारीकरण का काम कर रही है। इन प्रदर्शनों में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कभी राज्य के राज्यपाल, कभी मुख्यमंत्री तो कभी केंद्रीय राज्य मंत्री भी पहुंचते है।
क्या है जैविक खेती: जैविक खेती को परंपरागत खेती भी कहा जाता है। इस खेती में विषाक्त केमिकल का प्रयोग में प्रतिबंध रहता है। जैविक खेती करने वाले किसान जंगली पौधों से खाद और जैविक दवाइया बनाकर खेती में प्रयोग करते है। दूसरी ओर गोमूत्र और गोबर को जैविक खेती के लिए प्राथमिकता दिया जाता है। विशेष कर सिक्किम के जैविक कृषक यहा के जंगल से पतझड़, दवायुक्त लताएं और विभिन्न पौधों से निर्मित दवाइया बनाते है। जैविक किसानों के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विशेष एजेंसिया किसानों को सहयोग करते है। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित और जागरूक करने के साथ ही यहा प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
सिक्किम में जैविक खेती: एक सरकारी आकड़ों के अनुसार सिक्किम में खेती योग्य जमीन करीब 10.47 प्रतिशत ही है। इसे हेक्टर के रूप में देखें तो खेती योग्य जमीन 74.343 हेक्टर है। सिक्किम में जैविक खेती का आरंभ साल 2003 में किया गया। राज््य सरकार ने बाहर से आने वाली अजैविक खाद को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया। धीरे धीरे मृदा स्वास्थ्य जाच (मिट्टी का स्वास्थ्य जाच) आदि की गई। लोगों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया। बाद में 18 जनवरी 2016 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिक्किम को देश का प्रथम जैविक राज्य घोषित किया। सिक्किम को जैविक राज्य बनाने के लिए विभाग, किसान और स्विट्जरलैंड की एक कंपनी एफआईबीएल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
जैविक किसानों के लिए चुनौती
राज्य के किसानों को जैविक खेती में सरकार की तरफ से सुविधाएं तो मिल रही है लेकिन किसान आज भी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे है। किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को जैविक उत्पादक बाजारीकरण में ध्यान देना आवश्यक दिखा जा रहा है। राज्य सरकार को बाजारीकरण नीति में सुधार लाना आवश्यक है। जब भी किसानों से उनकी समस्याओं के बारे में पूछा जाएगा तो वह कहते है कि उत्पादन हम निकालेंगे लेकिन बाजारीकरण में समस्याएं आएगी। यहा उत्पादन एकीकरण केंद्र, लंबे समय तक टिकाव के लिए उचित स्थान और जैविक किसानों के लिए चिन्हित बाजार की आवश्यकता किसान बताते है।